हमें यह तो बता दिया गया है कि जिन्ना के आह्वान पर डायरेक्ट एक्शन डे पर अविभाजित बंगाल यानी कोलकाता और नोवाखली में 25 से 30,000 हिंदुओं का कत्लेआम एक झटके में कर दिया गया
लेकिन यह नहीं बताया गया इस कत्लेआम के तीन प्रमुख किरदारों को ईश्वर ने कितनी भयानक सजा दी
डायरेक्ट एक्शन डे के तीन प्रमुख किरदार थे
पहला किरदार था मोहम्मद अली जिन्ना दूसरा किरदार था उस वक्त तत्कालीन बंगाल यानी आज का बांग्लादेश और बंगाल का मुख्यमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी जो जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग से था और तीसरा सबसे प्रमुख किरदार था मुस्लिम लीग का यूथ विंग
का प्रमुख शेख मुजीब उर रहमान।इन तीनों ने बड़े पैमाने पर कत्लेआम को अंजाम दिया हालांकि मोहम्मद अली जिन्ना दिल्ली में बैठा हुआ था लेकिन उसके दोनों प्यादे हुसैन शहीद सुहरावर्दी और शेख मुजीबुर्रहमान ने कोलकाता और नोआखली की गलियों में घूम घूम कर हिन्दुओ के कत्लेआम को अंजाम करवाया
और क्योंकी यह लोग सत्ता में थे(अंग्रेजों ने 40 के दशक में भारत के कई प्रांतों में चुनाव करवाया था चुनाव में कुछ प्रांत में कांग्रेस जीती थी,कुछ प्रांत में मुस्लिम लीग जीती थी और उस वक्त बंगाल में मुस्लिम लीग जीती थी और हुसैन सहित सुहरावर्दी को बंगाल का मुख्यमंत्री बनाया गया था)
इसलिए पुलिस और प्रशासन के द्वारा बड़े पैमाने पर हिंदुओं को चुन चुन कर मारा गया और यह कत्लेआम इतना भयानक था कि नेहरू और गांधी डर गए और उन्होंने बिना शर्त भारत को बांटने की मांग स्वीकार कर ली
अब आते हैं इनके अंजाम पर
मोहम्मद अली जिन्ना खुले विचारों का था वह अक्सर लंदन में रहता था वह कभी स्वतंत्रता सेनानी नहीं था वह बैरिस्टर था सिगरेट पीता था सूअर का मांस खाता था जो इस्लाम में वर्जित है और मोहम्मद अली जिन्ना अपनी जिंदगी में आज तक कभी नमाज नहीं पढ़ा था इतना ही नहीं वह कभी हज यात्रा पर भी
नहीं गया और उसने विवाह भी एक गैर मुस्लिम से किया था
जिन्ना पाकिस्तान को कट्टर इस्लामिक देश नहीं बनाना चाहता था लेकिन पाकिस्तान बनने के बाद वह जिन्ना की कुछ ना चली और धीरे-धीरे पाकिस्तान कट्टरपंथियों के कब्जे में आ गया
इसकी तबियत बहुत खराब हुई लेकिन जानबूझकर इसे एयरपोर्ट
पर 5 घंटे तक रखा गया 5 घंटे के बाद एंबुलेंस आई और एयरपोर्ट से हॉस्पिटल ले जाते समय रास्ते में एंबुलेंस को यह कहकर रोक दिया गया कि एंबुलेंस खराब हो गई है जबकि एंबुलेंस खराब नहीं हुई थी और यह एंबुलेंस में ही तड़प तड़प कर मर गया
इतना ही नहीं इसकी बहन फ़ातिमा जिन्नाह की कब्र को
करांची के कब्रिस्तान से निकाल कर फेंक दिया गया और जिस दिन फातिमा जिन्नाह की शव यात्रा कब्रिस्तान में जा रही थी फ़ातिमा जिन्नाह के शव यात्रा पर कट्टरपंथी मुसलमानों ने हमला किया भयंकर दंगे भड़क गए और पाकिस्तान में उस दिन 5000 लोग मारे गए
पाकिस्तान बनने के बाद पाकिस्तान का यह पहला भयानक दंगा था जो मुस्लिम बनाम मुस्लिम ही था आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं
दूसरा प्रमुख किरदार था हुसैन शहीद सुहरावर्दी
यह बेहद महत्वाकांक्षी था और अविभाजित बंगाल का मुख्यमंत्री था पाकिस्तान बनाने में इसने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी
क्योंकि अगर इसने कोलकाता और नोआखली में डायरेक्ट ऐक्शन डे पर हिंदुओं का कत्लेआम नहीं करवाया होता तो शायद पाकिस्तान नहीं बना होता
यह पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बना लेकिन यह बंगाली था और इसीलिए इसे पाकिस्तान की सेना पसंद नहीं करती थी
बाद में पाकिस्तानी सेना के पंजाबी जनरल
अयूब खान ने इसका तख्तापलट कर दिया जब यह लेबनान की राजधानी बेरुत गया था
और वही बेरुत में इसे जहर देकर मार दिया गया और इसके शव को पाकिस्तान लाने की इजाजत नहीं दी गई
और इसे वही बेरुत में दफन कर दिया गया
चुकी ये बंगाली था इसलिए जब इसके मरने के कुछ साल बाद जब बांग्लादेश बना
तब बांग्लादेश की सरकार ने इसके कब्र को बेरुत से खुदवा कर बांग्लादेश के इसके गांव में दफन करवाया
इसके मरने के बाद इसके खानदान का हाल और ज्यादा बुरा हुआ इसके दो बेटों का कत्ल कर दिया गया जिसकी बेटी जो कभी पाकिस्तान की संसद सदस्य थी उसका भी कत्ल हो गया
अब आते हैं तीसरे किरदार
शेख मुजीबुर रहमान पर यह सब मुस्लिम लीग का युवा विंग का प्रमुख था और सोहराब वर्दी का बहुत प्यारा नेता था
सुहरावर्दी खुद प्रधानमंत्री अविभाजित बंगाल का मुख्यमंत्री था इसलिए उसने हिंदुओं के कत्लेआम की पूरी जिम्मेदारी इसी शेख मुजीबुर रहमान को दिया था
और शेख मुजीबुर रहमान ने बड़े
पैमाने पर हिंदुओं का कत्लेआम किया
बाद में जब पाकिस्तान बना तब पाकिस्तान दो कल्चरल समुदाय की लड़ाई का केंद्र बन गया यानी बंगाली और पंजाबी
पाकिस्तान बनने के बाद बंगाली लोगों को बहुत नीच समझा जाता था क्योंकि बंगाली लोग बांग्ला भाषा बोलते थे और पाकिस्तान की राजभाष उर्दू थी
इन लोगों का खान-पान भी अलग हुआ करता था धीरे-धीरे पाकिस्तान की सेना में पंजाबी लोगों का इतना प्रभुत्व हो गया कि उन्होंने बंगालियों से हद दर्जे की नफरत करनी शुरू कर दी और जब शेख मुजीबुर रहमान को लगा कि बंगाली होने के नाते उसके साथ और सभी बंगालियों के साथ पाकिस्तान में बहुत बुरा
व्यवहार हो रहा है तब उसने अलग बांग्लादेश की मांग शुरू कर दी और पाकिस्तान में इसे कैद कर दिया गया बाद में भारत की मदद से बांग्लादेश बना
यह पाकिस्तान की कैद से ईरान के शाह की मदद से रिहा हुआ और बांग्लादेश का प्रथम प्रधानमंत्री बना यहां तक तो ठीक था लेकिन बांग्लादेश की सेना ने
शेख मुजीबुर रहमान के पूरे खानदान का कत्ल कर दिया
उनकी दो बेटियां जो विदेश में थी वह बच गई यहां तक कि इसके 1 साल के पोते से लेकर इस के सबसे छोटे 10 साल के बेटे इसकी पुत्रवधू इसके बेटे के बच्चों और बेटियों यानी खानदान के सब का कत्ल एक साथ कर दिया गया
भक्तों ने झण्डे गाड़ दिए ...
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भक्तों ने दिया आत्मनिर्भर भारत को अभूतपूर्व समर्थन ... स्वदेशी उत्पादों को अपनाया और चीनी माल से किया किनारा ... ये बात भारत के आयातकों को समय रहते पता चल गयी थी कि इस बार दिवाली में चीन के माल का दुर्गत होने वाला है ....
तो आयातकों ने भी चीन को आर्डर नहीं दिया .. जिसके कारण चीन में भारत के दिवाली को ध्यान में रखते हुए किया गया उत्पादन बेकार हो गया.. कोई भारतीय खरीददार ही नहीं आया और न चीन को आर्डर मिला.. चीन का इस दिवाली कम से कम Rs. 50000 करोड़ का बना बनाया माल बिका नहीं और कूड़ा बन गया ..
इतना ही नहीं चीन से रक्षाबंधन में आने वाली राखी भी नहीं भारत ने खरीदा जिससे 5000 करोड़ का माल पड़ा रह गया .. चीन गणेश चतुर्थी में 300 - 500 करोड़ रुपये का माल भारत निर्यात करता था वो भी इस बार किसी भारतीय आयातक ने नहीं उठाया ...
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इस सबका फायदा लोकल उत्पादकों को मिला ..
सैदपुर के Sitting विधायक सुभाष पासी टोंटी चोर की मसाजवादी पाल्टी छोड़ के भाजपा में आ गए ।
ये एक बहुत बड़ी राजनैतिक Development है ।
जो लोग जमीन से कान लगा के समय की पदचाप सुनना जानते हैं वही इसे समझ सकते हैं ।
सुभाष पासी पिछले 12 साल से सक्रिय राजनीति में हैं और दो बार से लगातार विधायक बन रहे हैं ।
2017 की प्रचंड भाजपा सुनामी में भी सुभाष पासी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे ।
2022 में भी उनका जीतना तय था ।
इसके बावजूद सुभाष पासी सपा छोड़ भाजपा में क्यों चले आये ?????
इसलिए चले आये कि सुभाष पासी जमीनी हक़ीक़त देख समझ रहे थे । वो जानते हैं कि 2022 में भी विधायक तो बेशक बन जायेंगे पर बैठना विपक्ष में ही पड़ेगा ।
सुभाष पासी के पलायन ने सपा को बुरी तरह झकझोर दिया है । उनके इस पलायन का असर सिर्फ सैदपुर नही बल्कि पूर्वांचल की 50 - 60
हरियाणा के पानीपत जिले में एक गाँव है चुलकाना. इसे चुलकाना धाम भी कहते हैं.
यही वो स्थान हैं जहाँ घटोत्कच पुत्र बर्बरीक का शीश भगवान श्रीकृष्ण ने मांग लिया था.
कथा है जब तीन वाणधारी बर्बरीक कुरुक्षेत्र युद्धस्थल की ओर जा रहा था तब
श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर वेश बदल कर उसे रोका था.
बर्बरीक के यह कहने पर कि वह केवल हारते हुए पक्ष की ओर से ही युद्ध करेगा श्रीकृष्ण चिंतित हो गए. यह बेहद गंभीर बात थी. इस तरह तो कौरव और पांडव दोनों का सफाया हो जायेगा. क्योंकि कोई एक पक्ष तो हारेगा ही और बर्बरीक उसकी तरफ से
युद्ध करने लगेगा. जब दूसरा पक्ष हारने लगेगा तो बर्बरीक पाला बदल कर उसकी तरफ हो जाएगा. इसका परिणाम यह होगा कि एक समय ऐसा आएगा जब दोनों पक्षों का सफाया हो जायेगा.
बर्बरीक का कहना था सम्पूर्ण विश्व को नष्ट करने के लिए उसका एक वाण ही बहुत है. अपनी बात सिद्ध करने के लिए
रसोई में नल से पानी रिस रहा था, तो मैंने एक प्लंबर को बुला लिया। मैं उसको काम करते देख रहा था।*.
उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा?
*उसने पाइप से नल को अलग किया। पाइप का जो हिस्सा गल गया था,
उसे काटना था। उसने फिर थैले में हाथ डाला और एक पतली-सी आरी उसने निकाली। आरी भी आधी टूटी हुई थी।*.
मैं मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं किसे बुला लिया हूं? इसके औजार ही ठीक नहीं तो फिर इससे क्या काम होगा?
*वह धीरे-धीरे अपनी मुठ्टी में आरी पकड़ कर पाइप पर चला रहा था।
उसके हाथ सधे हुए थे। कुछ मिनट तक आरी आगे-पीछे किया और पाइप के दो टुकड़े हो गए। उसने गले हिस्से को बाहर निकाला और बाकी हिस्से में नल को फिट कर दिया।*
इस पूरे काम में उसे दस मिनट का समय लगा।
*मैंने उसे 100 रूपये दिए तो उसने कहा कि इतने पैसे नहीं बनते साहब। आप आधे दीजिए।*
छत्तीसगढ़ में दुर्गा भक्तों के कुचले जाने का कोई खास संज्ञान नहीं लिया गया !
जसपुर को किसी ने लखीमपुर नहीं बनाया , जबकि यहाँ देवीभक्त कुचले गए थे !
बनाया तो किसी ने सिंधु बॉर्डर को भी ललितपुर नहीं , जबकि यहाँ तो दलित की नृशंस हत्या हुई थी ?
मीडिया ने भी छत्तीसगढ़ में उतनी रुचि ली न दिल्ली में !
काश घटनाएँ यूपी में हुई होती या फिर उनके शासित राज्यों में ?
फिर भला काहे का पायता और काहे का दशहरा ?
अब तो सब दशहरा मनाते रहे , छुट्टियाँ मनाते रहे , न पीर उपजी , न फोटो खिंचे , न दर्द हुआ !
ऐसे सैट होते हैं नैरेटिव । अर्जुन को जैसे सिर्फ और सिर्फ मछ्ली की आँख नजर आ रही थी , उन्हें सिर्फ मोदी नजर आते हैं । घटनाओं के दर्द अब नहीं हुआ करेंगे । हर दुर्घटना या घटना को देखने का नजरिया राज्य बना करेगा । हम हनुमानगढ़ में दलित की हत्या हो या किसानों के बाड़े में ,
🙏 जय श्री राम 🙏
*अंधभक्ति किसे कहते हैं, चलो आज समझते हैं*🤔 1. कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजो ने की,
ये "स्थानीय राष्ट्रिय पार्टी" नहीं अंग्रेजों की पार्टी थी, ("अंधभक्ति") 2. नेहरू ने चंद्रशेखर आजाद की खबर अंग्रेजों को देकर उन्हें मरवा दिया.... ("अंधभक्ति")
3. लाल बहादुर शास्त्री को मरवाया... फिर भी ("अंधभक्ति") 4. 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने पर अंग्रेजों ने नेहरू को 2 साल की सजा दी,
तब नेहरू ने माफीनामा देकर दो हफ्ते में ही अपनी सजा माफ करवा ली,
( "अंधभक्ति" ) 5. नेहरू ने कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल का
हिस्सा चीन, पाकिस्तान को दे दिया और खुद को भारत रत्न दे दिया..
है ना ("अंधभक्ति") 5. नेहरू ने नेपाल को भारत में मिलाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था,
फिर भी "अंधभक्ति" 6. UN में स्थाई सदस्यता के लिए मना किया फिर वही भीख मांगने पहुंचा, कश्मीर का मुद्दा