धर्म की तुला पर राजनीति का सौदा करने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने कल यूपी के चुनाव में औरंगज़ेबकी भी एंट्री करवादी।
उन्होंने कहा कि “जब औरंगज़ेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं,”जो उनकी इच्छानुसार आज अख़बारों की सुर्खी भी है।
उनका संबोधन उन संघियों को ध्यान मे 4/1
रखकर है, जिन्हें आरएसएस रात-दिन शिवाजी माने ‘हिंदू’ और औरंगज़ेब माने ‘मुसलमान’ पढ़ाता रहता है।
मोदी जी को जानना चाहिए कि औरंगज़ेब जब आता है तो मिर्ज़ा राजा जय सिंह और जसवंत सिंह की ताक़त पर आता है और जब शिवाजी उठते हैं तो इब्राहिम ख़ान जैसे तोपची और दौलत खां
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जैसे नौसेनाध्यक्ष को साथ लेकर उठते हैं।
शिवाजी हिंदू थे, हिंदुत्ववादी नहीं! (राहुल गांधी के शब्दों में)
शिवाजी का ‘हिंदवी साम्राज्य’ बीजापुरी मुस्लिम सिपाहियों समेत तमाम मुस्लिम सेनानायकों की कुर्बानियों से बना था।
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अफ़सोस कि औरंगज़ेब और शिवाजी की लड़ाई को हिंदू- मुस्लिम संघर्ष के रुप में दुष्प्रचारित करने के अभियान को भारत का प्रधानमंत्री हवा दे रहाहै।
काशीकी पवित्र ज़मीन पर यह घिनौना काम उनके अलावा और कौन कर सकताहै?
जिन्होंने कभी इतिहास पढ़ा नहीं,उनके मुंहसे ऐसीबातें मूर्खतापूर्ण हैं।4/4
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एक थे जवाहरलाल नेहरू एक है नरेंद मोदी
एक थे लालबहादुर शास्त्री और एक है अजय मिश्रा टेनी
1956में लाल बहादुर शास्त्री रेलमंत्रीथे।इस दौरान तमिलनाडु के अरियालुर में भीषण ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए थे, बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।इस हादसे के लिए स्वयं को जिम्मेदार
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मानते हुए उन्होंने रेल मंत्रीके पदसे इस्तीफा दे दिया
देश एवं संसदने शास्त्रीजी की इस अभूतपूर्व पहल पर हैरान रह गया,किसीने उनसे इस्तीफा मांगानही था लेकिन उन्होंने हादसेकी नैतिक जिम्मेदारीको स्वीकारकिया और आगे बढ़कर स्वंय इस्तीफादे कर भारतीय लोकतंत्रके लिए एकअनूठी मिसाल प्रस्तुतकी
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूने इस घटनापर संसदमें एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने लाल बहादुर शास्त्रीकी ईमानदारी एवं उच्च आदर्शोंकी तारीफकी।नेहरूने संसद में कहाकि उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री का इस्तीफा इसलिए नहीं स्वीकार किया है कि जो कुछ हुआ वे इसकेलिए जिम्मेदार हैं बल्कि
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भारत के रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कल देश में बैंकिंग सेक्टर के भविष्य को लेकर बहुत ही चिंताजनक बात कही।
उन्होंने कहा कि लोगों को "ऊंचे ब्याज़ दरों" के लालच में बैंकों में ज़्यादा पैसा रखने से बाज़ आना चाहिए।
खासकर शहरी कोऑपरेटिव बैंक्स के लिए सरकार नए नियम लाने
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जा रही है। यानी जोखिम और बढ़ेगा।
दास के मुताबिक, इसमें जोखिम ज़्यादा है। साथ ही यह भी कहा कि बैंकों के डूबने पर90 दिन में 5लाख तक मिल जाएं, उसकी गारंटी नहीं है- अलबत्ता मोदीजी ने इसका वादा किया है।
दास का यह भी कहना था कि 5 लाख तक की जमा राशि की वापसी सिर्फ़ अंतिम विकल्प है।
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मतलब आप समझ लें।
आप यह भी जान लें कि कल ही मोदीजी ने कुछ लोगों को उनके डूबे पैसे का एक लाख का चेक भी दिया। ऐसे3लाख से ज़्यादा लोगों को बरसों बाद अब ये चेक मिलेंगे।
ये भारतकी आज की इकॉनमीहै और इसमें रोज़ हवा भरने वाली पेडिग्री मीडियाने दास के बयान को खास तवज़्ज़ो नहीं दिया-
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कथित दुर्घटनामें भारतके पहले सीडीएस एवं अन्य भारतीयभी लुक्मा ए अजल बनगए
बहुतसी कहानियां सोशल मीडिया और आपसी बातचीतमें कही सुनी जारहीहैं जिनका निराकरण यह सरकार कभीनहीं करेगी क्योंकि राजनीतिक उद्देश्यसे करनाभीनहीं चाहती लेकिन
आजकी यह खबर सरकारकी नाकामीपर जरूर सवाल खड़ेकर रही हैं।
यदि सीडीएस का महत्व होताहै तो उसकी नियुक्तिमें अभी कुछ समय क्यों लगेगा?
क्या इतने समय तक यह सीट खाली रहेगी अर्थात सीडीएस बनाना कोई जरूरी नहींहै और जनरल रावत को किसी और वजह से बनाया गया था!
क्या यह हैरानी का विषय नहीं है कि सीडीएस ऑफिसमें सेकंड इन कमांड जैसा कोई सिस्टम नहीं है
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अर्थात जनरल रावत वन मैन डिक्टेट करते थे ?
यदि इसमें कोई विदेशी साज़िश का संदेह है तो क्या हमारी एजेंसियां इतनी नकारा बना दी गई है या उनमें भी घुसपैठ हो चुकी है ?
यदि उत्तराखंड चुनाव में इनकी शहादत पर वोट मांगने की तैयारी की जा रही है तो उत्तराखंड वालो को पूछना चाहिए कि जो
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उत्तर प्रदेश के भईया लोगों से निवेदन है कि बेरोजगारी,भूखमरी,गरीबी पर ध्यान न दें और मंदिर के लिए वोट देते रहें। इससे आप के परिवार और आने वाली पीढ़ी को विकास के प्रत्यक्ष उदाहरण मिलेंगे जिन्हें आप कांगी, वामी, आपियों के मुंह पर मार सकते हैं।
आखिर भूखमरी है कहां? फिरोजाबाद में?
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बलिया में? फैज़ाबाद इत्यादि अन्य 70 शहरों में? उत्तर प्रदेश में तो नहीं है न? प्रदेश में तो विकास की आंधी चल रही है। अखिलेश के बनाए एक्सप्रेस वे पर हवाई जहाज लैंड कर रहे हैं तो योगी जी के बनाए सड़क पर नारियल फोड़ने पर नारियल नहीं सड़क फूट रही है। इससे क्या फर्क पड़ता है?
अगली बार जब सड़क का इनॉग्रेशन होतो टमाटर फोड़कर काम चलाया जा सकता है!! या फिर बिना इनॉग्रेशन ही जनता को मरने के लिए छोड़ा जा सकता है।आप क्यों परेशान हों? आप जनता थोड़ी हैं।आप तो भक्त हैं!!
उधर योगीजी के #मास्टरस्ट्रोक से रिज़वी त्यागी बनगए।सोचिए विकास की रफ्तार कितनी तेज़ होगी।3
अब वह ज़माना नहीं रहा कि आप अपने देश मे क्या उत्पात कर रहे हैं शेष दुनिया को पता नहीं होता।
अब आप किसी मस्जिद में चुपके से मुर्ति रखेंगे तो कोई जिलाधिकारी नायर इसको दुनियासे छिपा नहीं सकता ना ही कोई किसी6दिसंबर को कोई धार्मिक स्थल चुपचाप तोड़ सकताहै जिसके
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जिम्मेदार आजतक पकड़े नहीं जाते।
यह तिव्र संचार और सोशलमीडिया का ज़माना है जहाँ किसी की कोई करतूत छिप नहीं सकती और यह सब देख कर सारी दुनिया उस पर प्रतिक्रिया देती है।
तमाम देशों के भारत में मौजूद दूतावास देश की एक एक खबर और वीडियो चित्र अपने देश के मुखिया को भेजते रहते हैं।
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उन देशों के मुखिया देश के प्रधानमंत्रीसे अमुक मामलेको लेकर सवाल जवाब करतेहोंगे जिसका असर निश्चित रूपसे द्वीपक्षीय संबन्धों पर पड़ता होगा और पड़ेगा।
एक उदाहरण देखिए कि यूएईकी राजकुमारी "हेंड बिंत-ए- फैसल अल कासिम"ने ज़ी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ एंकर सुधीर चौधरीको एक प्रोग्राम में
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Sweta Singhआप देश के नाम पर कलंक हो.."एजेंडा आजतक" पर सावरकर पर आप डिबेट करवा रही थी..प्रोफेसर चमनलाल साहब, विक्रम संपत और सावरकर का नाती रंजीत सावरकर इस डिबेट में थे..
● Sweta Singh,आपकी उपस्थिति में रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधीको रेपिस्ट बताया और आशाराम बापू का रूप बताया..
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और ऐसा प्रतीत हो रहाथा कि आप रंजीत सावरकर को रोकने का नाटक कर रहीथी..
● रंजीत सावरकरने स्वर्गीय मोतीलाल नेहरूजी और पंडित जवाहरलाल नेहरूजी पर भी आक्षेप लगाए आपकी उपस्थितिमें देश की आजादी के नायकोंको गालीदी जारही थी Sweta Singh,एक एंकरके रूप में आपने पत्रकारिताको शर्मशार कियाहै
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आपको धिक्कार है..
● स्वेता सिंह,आपको चाहिएथा कि सिक्योरिटी बुला कर रंजीत सावरकरको धक्के मारकर बाहर निकालदेना रंजीत सावरकर जैसे इंसान को आपने ऐसी घृणित बात करनेका मौका दिया विक्रम संपत आतंकवादी गोडसेको गोडसेजी बोलरहा था स्वेता सिंह, आप महात्माके चरित्रहननमें बराबरकी हिस्सेदारहै 3