#Copied #ArmyDay🇮🇳

ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय जब आर्मी की ब्रिगेड ऑफ द गार्ड और गढ़वाल कंपनी के अधिकतर सैनिक वीरगति प्राप्त हो गए तो '15 कुमाऊं' को आगे भेजा गया ।

6_जून_1984 को 15 कुमाऊं की एल्फा बटालियन की प्रथम यूनिट के 5 सिपाही सुबह 5:30 पर स्वर्णमंदिर में घुसने लगे👇...1/5
आतंकवादी ऊपर से गोलियां बरसा रहे थे।

सबसे आगे चल रहे चुरु निवासी रणजीतसिंह गौड़ सबसे पहले वीरगति प्राप्त हुए {मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र मिला}
तब दूसरे और तीसरे नंबर के जवानों ने ओट ले ली... वहीं एलएमजी के साथ झालरापाटन के नायक निर्भयसिंह सिसोदिया चौथे नंबर और स्टैंनगन...2/5
के साथ जोधपुर के अमरसिंह भाटी पांचवें नंबर पर चल रहे थे।

गोलियों की परवाह नहीं करते हुए निर्भयसिंह सिसोदिया आगे बढ़े लेकिन गोलियों की बौछारों ने उनका दाहिना बाजू उड़ा दिया। तब तक वे तहखाने के पास पहुंच गए और दूसरे हाथ से ग्रेनेड फेंका, जिससे वहां धुआं-धुआं हो गया....3/5
अमरसिंह भाटी ने भी दो ग्रेनेड फेंके। धुंए की आड़ में निर्भयसिंह ने एक हाथ से ही एलएमजी से फायर शुरू किए और भिंडरावाले सहित कई आतंकवादी मारे गए।

राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित आज वीरता की इस दास्तान ने सीना चौड़ा कर दिया....4/5
अभी पंजाब में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले लोगों का एक वीडियो सोशल-मीडिया पर दिखाई दिया था।

मेरा मानना है वहां भेज कर देखो रणजीतसिंह गौड़, निर्भयसिंह सिसौदिया व अमरसिंह भाटी जैसे वीरों की, उन्हीं गद्दारों के मुंह से हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे ना लग जाए तो कहना...5/5

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8 Jan
#देवालयों_की_रक्षार्थ_२२_वर्षीय_सुजानसिंह_शेखावत_के_नेतृत्व_में_३००_शेखावत_वीरों_का_आत्मोत्सर्ग #THREAD👇

8_मार्च_1679 को औरंगजेब की विशाल सेना जो तोपखाने और हाथी घोड़ो पर सजी थी, ने सेनापति दाराब खां के नेतृत्व में खंडेला को घेर कर वहां के शासक राजा बहादुरसिंह को...1
दण्डित करने के लिए कूच कर चुकी थी | इस सेना को औरंगजेब की हिन्दू-धर्म विरोधी नीतियों के चलते विद्रोही बने राजा बहादुरसिंह को दण्डित करने व खंडेला के सभी देव मंदिरों को ध्वस्त करने का हुक्म मिला था| खंडेला के राजा बहादुरसिंह अपनी छोटी सेना के साथ विशालकाय विपक्षी सेना का.....2
सीधा मुकाबला करने में सक्षम नहीं थे इसलिए उन्होंने रणनीति के अनुसार छापामार_युद्ध करने के उद्देश्य से खंडेला पूरी तरह खाली कर दिया और सकराय के दुर्गम पहाड़ों में स्थित कोट सकराय दुर्ग में युद्धार्थ सन्नद्ध हो जा बैठे व खंडेला के प्रजाजन भी खंडेला खाली कर आस-पास के गांवों में....3
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2 Jan
#काशी_का_उत्थान___BY___सनातन_धर्मरक्षक_राजा_मान

हम आज कहते है कि काशी के हजारों मन्दिर औरंगजेब ने तोड़ डाले थें।
उस समय हमारे मन मे एक प्रश्न अवश्य उठना चाहिए कि जब शाहबुद्दीन गौरी से लेकर शर्की सुल्तानों में काशी के सारे मंदिर तोड़ दिए थे तो औरंगजेब ने कौनसे मंदिर तोड़ें?....1 Image
क्या बीच में कोई ऐसा दौर भी आया था जिसमें काशी का भव्य जीर्णोद्धार हुआ था??

जी हां.... काशी पर हुए क्रूर अत्याचारों के बाद भी काशी का वैभव पुनः लौट आया था।
यह वैभव लौटा था शिव_शम्भू की प्रेरणा और रघुकुल_तिलक, सनातन_धर्मरक्षक, कछवाहा कुलभूषण राजा_मानसिंह_जी की वजह से।.....2
#राजा_मानसिंह_कछवाहा ने काशी में 10,000 से अधिक मंदिर बनवाएं (कई जनश्रुतियों में तो 1 लाख के करीब मंदिर बनाने का जिक्र हैं)।

आज भी मानसिंह जी के नाम की कई स्मृतियां काशी में हैं जैसे काशी का "मानमंदिर"।।
यह मान_मंदिर गौरीशंकर जी को समर्पित एक वैदिक_मन्दिर है।.....3
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1 Jan
#वीर_सातलदेव_जी_राठौड़ #Thread

कहानी उस शासक की जिनके नाम के गीत आज भी राजस्थान के हर घर में गाए जाते हैं।

यह उस समय की बात है जब हिंदुस्तान पर अफ़ग़ान लुटेरों और सुल्तानों के हमले हो रहे थे। यह वो क्रुर लोग थे जो धन सम्पत्ति के साथ-२ हिंदू महिलाओं ख़ासकर सुहासनियों को ....1
अगवा करना और उन्हें हरम की दासियां बनाना अपना जीत का आधार मानते थे।
हिंदू लड़कियों को आक्रांताओं द्वारा अगवा करने की घटनायें उन दिनों होती रहती थी... एक ऐसी ही घटना घटित हुई मौजूदा नागौर ज़िले के पीपाड़ क्षेत्र के पास जब सन् 1492 के मार्च महीने में गणगौर के दिन गांव की.....2
महिलाएं एवं बच्चियां तीज पूजने गांव के तालाब के पास इकट्ठी हुई थी।

इसकी सूचना मिलते ही अजमेर का शाही सूबेदार "मीर घुड़ले खान" वहां पहुंच गया और उसने 140 सुहासनियों(कुंवारी कन्याओं) को अपने क़ब्ज़े में लेकर उन्हें अपने हरम की दासियां बनाने के उद्देश्य से रवाना हो गया।....3
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31 Dec 21
#भैंसचोर_इतिहासचोरों_की_पोल_खोल_अभियान #THREAD

सोशल-मीडिया आजकल बंदर के हाथ में उस्तरे की तरह हो गया है। यही हालत कई चोरों की हो रही है जो कि कॉपी, पेस्ट व एडिटिंग से अपना इतिहास बनाने की चेष्टा कर रहे है।

लेकिन जगजाहिर हैं कि इतिहास सिर कटवाकर पूर्वजों ने रक्त से लिखा है....1
हमारे देश में नकल करने की जन्मजात प्रवृत्ति रही है।
यही हालात हमारे क्षत्रिय समाज में खांप (सरनेमों और गोत्रों) की कॉपी-पेस्ट से जुड़ी हैं।

राज परिवारों से अपने_आप को जोड़ने की चेष्टा के चलते प्राचीन काल से राजा-महाराजाओं के गोत्र अन्य समाज के लोग लगाते आये हैं.....2
सबसे बड़ा उदाहरण जब #वीर_दुर्गादास_राठौड़ जी को मारवाड़ से देश निकाला दिया गया था तब उनके साथ मारवाड़ से हजारों की संख्या में लोग भी उनके साथ चले गये थे....
जिनके वंशज आज बहुत बड़ी संख्या में उज्जैन, ग्वालियर व आगरा के आसपास के क्षेत्रों में विराजते है।.....3
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28 Dec 21
"वीर झुंझारसिंह शेखावत, गुढ़ा-गौड़जी का"

खंडेला के प्रथम शेखावत राजा रायसल दरबारी के 12 पुत्रों को जागीर में अलग-२ ठिकाने मिलें जिनसे आगे जाकर शेखावतों की विभिन्न शाखाएं चली। इन्हीं के पुत्रों में से एक ठाकुर भोजराज जी को उदयपुरवाटी जागीर के रूप में मिली....१
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इन्हीं के वंशज 'भोजराज जी के शेखावत' कहलाते हैं। भोजराज जी के पश्चात उनके पुत्र टोडरमल उदयपुरवाटी(शेखावाटी) के स्वामी बनें। टोडरमल जी दानशीलता के लिए इतिहास में विख्यात है। टोडरमलजी के पुत्रों में से एक झुंझारसिंह थे, झुंझारसिंह सबसे वीर, परम-प्रतापी, निडर व कुशल योद्धा थे....२
तत्कालीन समय "केड़" नामक गांव पर नवाब का शासन था.... नवाब की बढ़ती ताकत से टोडरमल जी चिंतित हुए परन्तु वो काफी वृद्ध हो चुके थें इसलिए केड़ गांव पर चाहकर भी अधिकार नहीं कर पा रहे थे।
कहते हैं कि टोडरमलजी जब मृत्यु शय्या पर थें तब उनको मन-ही-मन एक बैचेनी उन्हें हर समय खटकती थी...३
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3 Dec 21
ठाकुर लक्ष्मणसिंह जी सोढ़ा:-

छाछरो हवेली के राणा तथा पाकिस्तान के पूर्व रेलमंत्री जिनका दिल सदैव हिंदुस्तान राष्ट्र के लिए धड़कता था जिस कारण 1969 में दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति को चलते उनपर पाकिस्तान सरकार द्वारा जासूसी का आरोप लगाया गया....1
Thread अवश्य पढ़ें:- 👇 Image
ऐसे माहौल के बीच सोढ़ा ठाकुर साहब छाछरो की हुकूमत छोड़ ऊंट पर सामान बांधकर हिंदुस्तान आ गये तब वहां की 'मांगणियार महिलाओं' ने विदाई गीत गाएं... "बोल्या चाल्या माफ़ करज्यो, म्हारा राणा रायचंद रे"

अब छाछरो ठाकुर साहब हिंदुस्तान आकर खेती-बाड़ी करने लगे। .....2
दूसरी तरफ़ 71 की जंग छिड़ चुकी थी और कमान जयपुर महाराजा ब्रिगेडियर भवानीसिंह जी के हाथों में थी। छाछरो के मुख्य मौर्चे पर "20राजपूत इन्फैंट्री" व "दरबार की ब्रिगेड" थी।

कहते हैं छाछरो पर अटैक करने से पहले जयपुर दरबार बिग्रेडियर साहब और सोढ़ा ठाकुर साहब की बात हों चुकी थी.....3
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