टाटा बिरला डालमिया गूजरमल मफतलाल गोदरेज अजीम प्रेमजी आदि बड़े बड़े उद्योगपतियों ने कभी किसी की जमीनें हड़पी ?
देश बनाने वाली इन हस्तियों ने देश में किसी को लूटा ?
किसी को सताया या किसी को बर्बाद किया ?
नहीं न ?
शायद ही किसी ने टाटा बिड़ला के बारे में
कोई विवाद सुना हो !
और हाँ !
तो फिर अडानी अम्बानी ने किसकी भैंस चुरा ली ?
एक श्रीमानजी ने तो अडानी अम्बानी के खिलाफ ऐसा नैरेटिव सैट कर दिया कि टिकैत जैसे लपकचने भी दोनों को गालियां बकने लगे !
उद्योगपतियों ने इस देश को बनाया है । देश का प्राइवेट सैक्टर
भारत के करोड़ों युवाओं को रोजगार देता है । बंगलुरू, गुरुग्राम, नोएडा, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई आदि के सायबर और आईटी क्षेत्र जाकर देखिये, निजी उद्यमियों ने दुनिया बदल दी है । पर्यटन, होटल इंडस्ट्री और विमानन क्षेत्र का 90% हिस्सा निजी क्षेत्र के उद्यमी चला रहे हैं ।
तमाम शहरों में फैले लाखों बड़े उद्योग करोड़ों देशवासियों के घर चला रहे हैं ।
और आप हैं कि अडानी अम्बानी को दिन रात कोसने में लगे हैं ? निजी क्षेत्र के ये बड़े बड़े उद्यमी क्या सात साल में ही पनप गए ? टाटा बिड़ला को पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने देश में विस्तार का
आधार दिया था, मोदी ने नहीं । अम्बानी अडानी को मोदी या अटलजी से विस्तार नहीं मिला, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहराव और मनमोहन सिंह की खुली आर्थिक नीतियों से फैलाव मिला । हां, वर्तमान सरकार ने जिस तरह विकास के तमाम रास्ते खोले, उनसे विकास की गति बेहद तेज हो गई ।
या फिर यह कहें कि स्पीड से दौड़ पड़ी । निजी क्षेत्र में स्टार्टअप्स, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया आने से नए नए बाजार बस गए । जाहिर है अडानी अम्बानी भी कमाएंगे ही , कोई ओटीटी पर बैठकर फिल्में नहीं देखते रहेंगे ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि नेहरूजी ने आजाद भारत को
अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अपनी तमाम शक्तियाँ झोंक दी थी । बीएचईएल, एनटीपीसी, एचएएल, गेल आदि के माध्यम से देश के नवरत्न उद्योगों की नींव रखी । इसरो जैसे आकाश छू लेने वाले विकास क्षेत्र दिए । अनेक बड़े बड़े टेक्निकल और प्रबंधन संस्थान खड़े कर राष्ट्र निर्माताओं की
फौज खड़ी की । सार्वजनिक क्षेत्र में नेहरू के सपनों को इंदिराजी ने उड़ान दी । निःसंदेह भारत उन्हीं के सहारे गरीब देशों की कतार से निकलकर विकासशील देशों की पंक्ति में आकर खड़ा हो गया ।
मतलब सार्वजनिक और निजी क्षेत्र एक साथ आगे बढ़े और बढ़ते ही चले गए । किसी ने नहीं कहा
कि नेहरू और इंदिरा ने टाटा बिरला का घर भर डाला । आज अम्बानी अडानी को लेकर एक राजनैतिक घराने ने जैसा नैरेटिव फैलाया है, किसी ने टाटा बिड़ला को लेकर नहीं फैलाया । आज सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को बेचने का आरोप लगाया जाता है । पहले यह बताइये कि इन्हें बीमार किसने किया ?
एयर इंडिया पर यदि 165 लाख करोड़ का कर्ज है तो किसने लिया यह कर्ज ?
2005 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में क्यौं बीमारू इकाई बन गई महारत्न कम्पनी भेल ? बीएसएनएल की बर्बादी गाथा किसने लिखी ? इन बड़ी बड़ी संस्थाओं को कौन खा गया ? जी हाँ, इन्हें नेता, अधिकारी और बड़ी बड़ी कर्मचारी
यूनियनें मिलकर डकार गईं। कोई बताएगा कि एयर इंडिया यदि फेल होती है तो इंडिगो, स्पाइसजेट आदि क्यों पनपती हैं ? नेहरू के बनाए सार्वजनिक क्षेत्र को कांग्रेस की सरकारों ने ही तबाह किया है राज कुमार ? इन्हें मोदी ने नहीं निचोड़ा ? अच्छा हो यदि अडानी, अम्बानी को दिन रात कोसने की बजाय
मैं बांग्लादेश की यात्रा कर चुका हूं ।। वहां कई फेक्ट्री विजिट कर चुका हूं । माल खरीदना भी था, बेचना भी था ।।
लगभग पूरे बांग्लादेश में ही यह आम बात है, की फैक्ट्री का मालिक तो मुसलमान है, लेकिन लगभग प्रत्येक मुसलमान फेक्ट्री वाला, मैनेजर हिन्दू को ही रखता है ।।
इसका कारण यह है, की मुसलमान मैनेजर होगा, तो लेबर के साथ मिलकर राजनीति करेगा,और हिन्दू की इतनी शक्ति बांग्लादेश में बची नही है, की वह मुसलमान के विरुद्ध थोड़ी भी राजनीति कर सकें,अधिकार मांग सके । इसलिए मैनेजर हिन्दू ही रहेगा।हिन्दू फेक्ट्री लगाने जितनी मजबूत हालत में है नही ...
बांग्लादेश के एक क्रिकेटर Liton Das नाम से है ...वह हिन्दू है ।। उस बेचारे ने दुर्गापूजा पर माताजी की फ़ोटो के साथ बधाई दे दी, उसके जान के लाले पड़ गए ..... इससे आप अंदाजा लगा सकते है, की बांग्लादेश में हिन्दू की हालत क्या है ???
Hyundai कंपनी ने पाकिस्तान से Tweet किया की "हम कश्मीर की आजादी के लिए कुर्बान हुए नौजवानों की शहादत का एहतराम करते हैं, कश्मीर की आजादी की जंग का हम समर्थन करते हैं", साथ ही कटीले तारों से जकड़ा हुआ "KASHMIR" लिखा फ़ोटो पोस्ट किया...
किया तो उन्होंने ब्लॉक करना शुरू कर दिया, ढीठता देखिये की राष्ट्रवादी भारतीयों के सवालों का जवाब देने के बजाय हुंडई ने अपने ट्वीट्स को प्राइवेट करके छुपा लिया है ताकि कोई सवाल ना कर पाए...
ये शायद अभी हम राष्ट्रवादियों को समझ नहीं पाए, हम वो हैं जिसने Snapdeal से लेकर Tata SKY
और Tanishq से लेकर FAB INDIA तक सबको घुटनों पर ला दिया और कईयों को कंगाल भी कर दिया...
यदि आप भी Hyundai की कोई कार (Santro, i10 NIOS, i20, Venue, Verna, Elentra, Creta, Alcazar, Tucson, Kona इत्यादि) खरीदने का सोच रहे हैं तो एक बार देश के उन जवानों को याद कर लीजिएगा जो जिनके
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय एक शब्द की खोज हुई थी इन्फॉर्मेशन वारफेयर, हिन्दी मे अर्थ निकाले तो ये सूचना युद्धशैली जैसा कुछ बनेगा।
जर्मनी की वायुसेना लंदन पर बम गिरा रही थी और रेडियो पर घोषणा कर रही थी कि हमने ब्रिटेन का बहुत नुकसान कर दिया।
इस वजह से अंग्रेजो में डर बनता जा रहा था तब अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को लिखा था कि नाजियों के एयरक्राफ्ट नही बल्कि इन्फॉर्मेशन वॉर से इंग्लैंड को बचाओ।
इन्फॉर्मेशन वारफेयर एक प्रकार का आतंकवाद है जो कि काफी योजनाबद्ध
तरीके से होता है। चाणक्य ने सिकन्दर के खेमे में एक अफवाह फैलवाई थी कि स्वर्ग के देवता ग्रीक सेना से नाराज है जिसके बाद सिकन्दर का विरोध शुरू हो गया था। फ़िल्म पदमावत में आपने देखा होगा कि जब राजपूत खिलचियो को चित्तौड़ में घुसने नही देते तो अलाउद्दीन गढ़ के सामने ही सारे
मित्रो, वह पाकिस्तान ही था जिसकी मदद से तालिबान ने न सिर्फ अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, बल्कि विश्व की सर्वोच्च महाशक्ति अमेरिका को भी अफगानिस्तान से निकल भागने के लिए विवश भी होना पड़ा था।
इस हार के बाद से ही अमेरिका पाकिस्तान से खार खाये हुए था। करेले मे नीम तो तब पड़
गया, जब अपने हथियारों को अरब सागर से होकर निकालने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान से रास्ता मांगा और पाकिस्तान ने साफ इनकार कर दिया था। चूंकि ईरान और रूसी गणराज्यों से अमेरिका की शत्रुता थी, अतः विवश होकर अमेरिका अपने 40 विलियन डालर के हथियारों को अफगानिस्तान मे ही छोड़कर
वहां से निकल गया। इसके बाद से आज तक अमेरिकी राष्ट्रपति ने इमरान से कभी टेलीफोन पर भी वार्ता तक नही की। इससे ही अमेरिका की पाकिस्तान से गहरी नाराजगी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
अफगानिस्तान से अपने नागरिकों और सैनिकों को किसी तरह वायुमार्ग से निकालने के बाद शुरु हुई
हाल ही में तीन नए देशों का सृजन हुआ है ! ईस्ट तिमोर, दक्षिणी सूडान और कोसोवो !
क्या हम अधिकांश भारतीयों को यह पता है, इन देशों का निर्माण किस आधार पर हुआ है ?
जिन्हें नहीं पता है उनके लिए जानकारी है कि इन देशों का निर्माण जनसांख्यिकीय परिवर्तन के कारण हुआ है !
ईस्ट तिमोर, जो इंडोनेशिया का एक भाग था, उसमें पहले ईसाइयों की जनसंख्या बहुत कम थी !
मुसलमानों एवं अन्य मत के मानने वाले नागरिकों की आबादी ८०% से अधिक थी ! केवल ५० वर्षों में ईसाई मिशनरियों के प्रयत्नों से, ईस्ट तिमोर में ईसाइयों की जनसंख्या ८०% से अधिक हो गई, परिणाम स्वरूप
"संयुक्त राष्ट्र संगठन" के दखल से जनमत संग्रह करा कर, ईस्ट तिमोर नाम के देश का निर्माण कर दिया गया! कोई युद्ध नहीं हुआ !
सूडान के दक्षिणी क्षेत्र में गरीबी थी मिशनरियों के प्रभाव में कुछ आदिवासी लोगों को पहले ही ईसाई बनाया गया !
धीरे धीरे इस मुस्लिम बहुल देश को दक्षिणी
पुरानी पेंशन नहीं मिलेगी.... अखिलेश राज आया तो तन्ख्वाह भी लुटेगी
30 साल बाद पेंशन तो भूल जाओ... जालीदार टोपी आएगी तो आपके बच्चों को घर से भी पलायन करना पड़ेगा... अपने बच्चों की सोचो !
- अखिलेश यादव ने वादा किया है कि वो उस पुरानी पेंशन को बहाल कर देंगे जो साल 2005 में बंद
की गई थी
-जब पुरानी पेंशन बंद हुई तब राज्य में अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ही मुख्यमंत्री थे... तब मुलायम ने राजकोषीय घाटे का हवाला देकर ही पेंशन को बंद करने का समर्थन किया था लेकिन अब उनके पुत्र अखिलेश यादव ने कहा है कि वो पिता का फैसला पलट देंगे
-अगर देखा जाए तो यूपी में
2005 के बाद 13 लाख सरकारी कर्मचारी नियुक्त हुए हैं ये 13 लाख कर्मचारी अगर अपने साथ 5 वोट और जोड़ पाते हैं तो ये 65 लाख की आबादी हो जाती है इस तरह ये 65 लाख का एक बड़ा वोट बैंक बन जाता है
-कई लालची टाइप के लोग झूठे वायदों में फंसकर पैसे दो गुने करने के लालच में अपना सब कुछ गंवा