शकुनि के बारे में एक बड़ा फैक्ट यह है कि वह स्त्रियों के सम्मान का बड़ा समर्थक था ।
अपनी बहन के सम्मान के लिये उसके आजीवन संघर्ष को पहले की पोस्ट में बता चुका हूँ। उस पोस्ट में जो न पढ़ पाए ,उन्हें बता दूं कि शकुनि ने अपनी बहन का विवाह एक अंधभक्त से कर दिये जाने के कारण,
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उस परिवार का सत्यानाश कर दिया।
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लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि दुशाशन ने प.पू.शकुनि जी के समझाने पर ही द्रोपदी की लाज की रक्षा की थी।
दलाल मीडिया ने यह बात छुपा दी हैं कि असल में कौरवों को बदनाम करने के लिए पांडवो ने पूरे चीर हरण का स्वांग रचा था।पांडवों ने पहले ही योजना बना
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रखी थी की तमाम छल कपट के बावजूद हार गए तो पासा टेम्परिंग का इल्जाम लगाना है, और फिर द्रोपदी को अपने वस्त्र फाड़कर शोर मचाना है।इस दौरान श्रीकृष्ण जो ऊपर बालकनी में छुपे रहेंगे,इस नाटक में द्रोपदी की मदद करेंगे।
योजना अनुसार द्रोपदी द्यूत सभा मे अपने वस्त्र उतार कर फेंकने लगी।
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शकुनि के मना करने के बावजूद वह नही रुकी। तस्वीर में आप साफ देख सकते है, कि इस दौरान किस प्रकार पांडवो के मित्र श्रीकृष्ण ऊपर बालकनी से उक्त प्रार्थिया के वस्त्र खींच रहे थे।
मौके की नजाकत को शकुनी जी समझ गए। उन्होंने दुशाशन को इशारा किया, जिसने दूसरी ओर से अतिरिक्त वस्त्र
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द्रोपदी को देना शुरू कर दिया।इससे द्रोपदी की लाज बच गई।
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परन्तु शकुनि औऱ दुशाशन को बदनाम किया गया। अकबर को महान बताने वाले वामपंथी इतिहासकारों ने भी इस वाकये को गलत ढंग से व्याख्यायित कर पूरे घटनाक्रम का दोष कौरवों पर डाल दिया।
असल मे इसी से मिलता जुलता एक चित्र और है जिसमे
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श्रीकृष्ण वृक्ष पर चढ़कर कई महिलाओं के वस्त्र खींचकर पेड़ पर टांग रहे हैं।यह तस्वीर उनके बचपनकी बताई जाती है।साफ है कि वे इस तरह की गतिविधियों में काफी पहले से लिप्त थे, तथा उन्हें पर्याप्त अनुभव था।
श्रीकृष्ण यादव समाजके थे,इससे समाजवादियों के चरित्रका अंदाजा लगायाजा सकता है।
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अखिलेश यादव को इसपर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।
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बहरहाल इन महत्वपूर्ण प्राचीन तस्वीरों से इतिहास के छुपाये गए एक तथ्य का पर्दाफाश होता है। शेयर औऱ पेटीएम जारी रखा जाए मित्रों।।
शकुनि एक भला आदमी था,जो कि कुरुवंश के लोगो द्वारा 90साल तक सताया गया था।
असल में हुआ यह कि हस्तिनापुर के मौजूदा राजा के पिताजी के पिताजी ने एक बार गंधार पर किया था अटैक,और बम मारकर सब धुआं धुआं कर दिया।।
गंधार उर्फ कंधार तब एक इंडिपेंडेंट सॉवरिन नेशन था।
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उसने नाटो से मदद मांगी और जिसने मदद नही की। नतीजा सेनानायक भीष्म में कन्धार किंग की फोर वाइफ और फोर्टी बच्चो को मार डाला।
इस कत्लेआम के बारे में हर शब्द इतिहास से मिटा दिया गया।वामपंथी व्यास की सम्पूर्ण महाभारत इस विषय पर मौन है।
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खैर, तो कंधार को हस्तिनापुर में एनेक्स कर
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एक प्रोविंस बना लिया गया।शकुनि काफी छोटा था।उसकी बहन बेहद रूपवती थी।
चूंकि अब इंडिया वाले कंधार की लड़कियों से ब्याह कर सकते थे।सो युद्ध का सोल पर्पज था। इसलिए सबसे पहले भीष्म ने अपने अंधे रिश्तेदार धृतराष्ट्र का गांधारीसे का ब्याह रचा दिया।
छोटेसे शकुनि को दुल्हनका संगी बनाकर
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आजकल जो लोग जुहू बीच रोज़ जाते हैं उन्हें एक अजीब नज़ारा देखने को मिलता है। सवेरे नौ साढ़े नौ के आसपास एक चमचमाती जगुआर रुकती है। उसमें से फटे पुराने कपड़े पहने एक शख्स बाहर आता है। कार के अंदर से एक महिला की आवाज़ सुनने को मिलती है - कमा कर लाओगे तभी शाम को खाना मिलेगा। 11/1
वह फकीर बेचारा पोस्ट ऑफिस के डब्बे के बगल में ही एक बोरा बिछा लेता है और बैठ जाता है।उधर से निकलने वाले लोग अपनी हिसाब से 1,2,5रुपया डाल देते हैं उस गरीब के डब्बे में।यहां तक तो ज्यादा अजीब कुछ नहीं है।
11.30से 12बजे के बीच में एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर उस गरीब के सर के ऊपर दो
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चक्कर लगाता है और फिर निकट की एक बिल्डिंग में उतर जाता है।उस हेलीकॉप्टर में से 4 लोग सुटेड बूटेड उतरते हैं और उसी भिखारी के पास जाते हैं। पता नहीं कहां से दो मेज आती हैं। एक मीटिंग चालू हो जाती है।आस पास से गुजरते लोग राफेल राफेल बार बार सुनते हैं।एक गुप्ता जी,जिन्होंने पूरे
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श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा- जाओ भ्राता,रावण से शासन प्रशासन की शिक्षा लेकर आओ। लक्ष्मण गए, और सिर के पास खड़े हो गए। रावण ने ज्ञान न दिया।
तो राम के समझाने पर वे पैरों के पास खड़े हुए, तब रावण ने ज्ञान देना शुरु किया। यह कथा आप
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वाल्मीकि रामायण में पढ़ चुके है।
अब आगे।
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रावण ने कहा- "लक्ष्मण, जनता को व्यस्त रखना जरूरी है। व्यस्त न रखने पर वह उद्विग्न हो जाती है। विद्रोह की संभावना रहती है"
तो उसे व्यस्त रखने के लिए क्या किया जाए महाराज- लक्ष्मण ने हाथ जोड़कर पूछा।
रावण बोला- हे लक्ष्मण।
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जनता को व्यस्त रखने के लिए रोजगार देना पड़ता है। रोज़गार देने उद्योग खोलने पड़ते हैं। उद्यमशील लोगो को ऋण, सुविधा और मदद देनी होती है। लेकिन फिर भी आपके यहां निजी क्षेत्र विकसित न हो, तो उद्यम सरकार को खोलने पड़ते है। इसे पीएसयू कहते हैं।
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन अपने गधे को घर की छत पर ले गए जब नीचे उतारने लगे तो गधा नीचे उतर ही नहीं रहा था ।
बहुत कोशिश के बाद भी जब नाकाम हुए तो ख़ुद ही नीचे उतर गए और गधे के नीचे उतरने का इंतज़ार करने लगे ।
कुछ देर गुज़र जाने के बाद मुल्ला नसरुद्दीन ने महसूस किया
1 @budhwardee
कि गधा छत को लातोंसे तोड़ने की कोशिश कर रहाहै मुल्ला नसरुद्दीन बहुत परेशान हुए कि छत तो नाज़ुकहै इतनी मज़बूत नहीं कि गधेकी लातों को बर्दाश्त कर सके दोबारा ऊपर भागे और गधे को नीचे लानेकी कोशिश की लेकिन गधा अपनी ज़िद पर अटका हुआ था और छत को तोड़ने में लगा हुआ था।2 @NiranjanTripa16
मुल्ला आख़िरी कोशिश करते हुए उसे धक्के देकर नीचे लाने की कोशिश करते रहे गधे ने मुल्ला को लात मारी और वह नीचे गिर गए। गधा फिर छत को तोड़ने लगा आख़िरकार छत टूट गयी और गधे समेत ज़मीन पर आ गिरी।
मुल्ला काफी देर तक इस वाक़ये पर ग़ौर करते रहे और फिर ख़ुद से कहा कि कभी भी गधे को ऊँचे
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