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आप भी पढ़िए उनकी कहानी अमृतसर आ गया है के कुछ हिस्से
पहली ट्रेन पाकिस्तान से (15.8.1947)
अमृतसर का लाल इंटो वाला रेलवे स्टेशन अच्छा खासा शरणार्थियों कैम्प बना हुआ था!
15 अगस्त 1947 को तीसरे पहर के बाद स्टेशन मास्टर छैनी सिंह ट्रैन का इंतेज़ार कर रहे थे थोड़ी ही देर में 10 डाउन,पंजाब मेल के पाकिस्तान से पहुँचने पर जो मंजर देखा वो डरावना था ।
उन्होने पीछे मुड़कर एक बार फ़िर ट्रेन पर नज़र डाली हत्यारों ने अपना परिचय देने के लिये अंतिम डिब्बे पर मोटे मोटे सफेद अक्षरों से लिखा था.
"यह पटेल और नेहरू को हमारी ओर से आज़ादी का नज़राना है " !