चौथा नागराजा 'कारकोटक 'था। वह हिमालय के नेपाल प्रदेश के उत्तर में तिब्बत तक के भूभाग पर राज कर रहा था।
पाँचवा नागराजा 'ऐरावत' था। वह पंजाब में रावी नदी के प्रदेश का स्वामी था।
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एक उत्सव के रूप में मनाते थे।
ये नागराजा अपना कुलचिह्न (टोटेम) अपने मुकुट पर धारण करते थे। जिसका जितना बड़ा
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यहाँ की नागरानी के राजमुकुट पर मात्र एक ही फण दिखाई पड़ता है। नागानिका, कुबेरनागा
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'शून्यवाद के प्रणेता व 'प्रमाण विघटन ',
'युक्तिषष्ठिका', 'चतुस्तव 'तथा ''सुहृल्लेखग्रंथ 'के रचयिता और 'रससिद्धि 'प्राप्त दुनिया के पहले रसायनशास्त्री,
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-----अशोक नगरे
हमारी संस्कृति -हमारा इतिहास
हिंदी रूपान्तरण :
#राजेंद्र_गायकवाड़