#ज्योतिष #राहु #उपाय #दूर्वा
ज्योतिष में राहु भ्रम है और भ्रम का कोई अंत नहीं, राहु अनंत फैला नीला आसमान है।राहु छाया है। राहु मन का विचार है। अनदेखा डर राहु ही है। जो आपको सताता है वो भय भी राहु ही है,ससुराल पक्ष से आपका सम्बन्ध भी राहु है।
तो इस अनजाने भय (राहु) पर चर्चा करते हैं।
शरीर मे रोग की जटिलता और फैलाव राहु से देखा जाता है।
कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि(कैंसर) की स्थिति में राहु दृष्टि/नक्षत्र/भाव/दशा-अंतर्दशा कहीं से भी अवश्य प्रभाव दे रहा होता है
शुभ में राहु तीक्ष्ण बुद्धि, ज्ञान का विस्तार (रिसर्च)में अष्टमभाव/अष्टमेश/ के साथ राहु के योग भी देखे गए हैं। वहीं दूषित राहु मूर्खतापूर्ण निर्णय से हुआ नुकसान है और अलग अलग ग्रहों के साथ इसके परिणाम भी अलग अलग होते हैं।
राहु के अच्छे प्रभाव अनायास मिलने वाले लाभ/कहीं फसा हुआ धन-संपत्ति मिलना/लॉटरी/शेयर बाजार इत्यादि में भी सहायक होते हैं। वहीं राहु के दुष्प्रभाव विवेकहीन निर्णय/अनजान भय/ इंसोमेनिया/ दुःस्वप्न/अंधेरे में सांप कीड़े के डर का आभास देते हैं।
उपाय-
भ्रमकारक राहु का मंत्र देखें ‘‘ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’’ है।
दूर्वा राहु ग्रह की समिधा है दूर्वा स्तनपान करने वाली माँ में प्रोलेक्टिन हार्मोन बढ़ाती है। फ्लेवनाइड का मुख्य प्रधान स्रोत होता है। जिसके कारण यह अल्सर रोग को रोकने में मदद करती है।
इसमें एन्टीवायरल और एन्टी माइक्रोबियल (रोगाणुरोधी बीमारी को रोकने की क्षमता) गुण होने के कारण यह शरीर के किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।एन्टी इन्फ्लेमेटरी (सूजन और जलन को कम करने वाला) एन्टीसप्टिक गुण होने के कारण त्वचा सम्बन्धी कई समस्याओं जैसे खुजली,
त्वचा पर चकत्ते और एक्जिमा आदि समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है दूर्बा घास को हल्दी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर त्वचा के ऊपर लगाने से त्वचा सम्बन्धी कुछ समस्याओं से राहत मिलती है। कुष्ठ रोग और खुजली जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायता करती है।एनीमिया में इसका रस लेते हैं
भ्रम को केवल ज्ञान से जीता जा सकता है तो सरस्वती आराधना, गणपति जी का पूजन करें। गणपति को दूर्वा चढ़ायें
गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया है।
"यो दूर्वाङ्कुरैर्यजति ।
स वैश्रवणोपमो भवति ।"
अर्थात जो दूर्वांकुरों से गणपति का अर्चन करता है वो कुबेर के समान (अनंत) धन प्राप्त करता है
राहु का उपाय-
भ्रमकारक राहु का मंत्र ‘‘ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’’ है।
दूर्वा राहु ग्रह की समिधा है तो राहु के शुभ प्रभाव प्राप्त करने और दूषित अवस्था से बचने को योग्य ब्राह्मण से राहु का जप कर करा कर दूर्वा से हवन किया जाता है।
दान-सतनाजा, कंबल, टिल से भरा लोहे का पात्र, उड़द, सरसों, नारियल, तेल, नीला कपड़ा और शीशा है।
👉दान उपाय इत्यादि करने से पहले योग्य ज्योतिष से अवश्य सलाह लें।कुंडली में फलकथन भाव/ग्रह स्थिति/दृष्टि संबंध/गोचर/दशा-अन्तर्दशा पर होता है केवल एक ग्रह से कुंडली का फलकथन असम्भव है

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with पंडित विशाल श्रोत्रिय

पंडित विशाल श्रोत्रिय Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @VishalS50533075

31 Mar
राधा के माता-पिता की पूर्वाग्रह।

एक बार नारद जी ने श्री हरि को कलावती (राधा की माता) के महत्व के बारे में पूछताछ की क्योंकि राधा के माता-पिता के लिए विश्वकर्मा एक नया घर बनाने आए थे। तो श्री हरि ने उन्हें सूचित किया कि कलावती, पितृ की मानस कन्या थी Image
जिनकी अब वृष्णु से शादी हो चुकी थी। राधा उनकी बेटी थी। तब फिर से नारद यह जानने के लिए उत्सुक थे कि बृज के एक साधारण नश्वर व्यक्ति को ऐसे दिव्य व्यक्ति से शादी करने का अवसर कैसे मिला। तो श्रीहरि ने पूरा इतिहास सुनाया
पहले पिटारा की तीन बेटियां थीं, यानी कलावती, रत्नमाला और मेनका रत्नमाला कई ग्रंथों में उसे सुनैना के नाम से जाना जाता है ने जनक से विवाह किया और माता सीता के साथ थीं मेनका (कई पाठों में उसे मैना के नाम से जाना जाता है) पार्वती की माँ थी। कलावती ने राजा सुचंद्र से विवाह किया।
Read 7 tweets
29 Mar
*🌷🌷लघुकथा🌷🌷*
*|| ब्राह्मण बड़ा या संत ||*

*पूर्व समय की बात है संत तथा ब्राह्मण में एक बार बहस हो गई संत बोले हम श्रेष्ठ है ब्राह्मण बोले हम श्रेष्ठ है संत बोले हम प्रभु की प्राप्ति के लिए अपने जन्म दाता माता पिता का त्याग करते हैं। साथ ही इस संसार के सभी Image
संबंधों को त्याग कर केवल परमात्मा से संबंध जोड़ते हैं इसलिए हम श्रेष्ठ हैं।*

*ब्राह्मण बोले हम अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के लोगो के जीवन के दुख़ दूर करने तथा धर्म राष्ट्र संस्कृति के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत करते है इसलिए हम श्रेष्ठ है।*

*विवाद बढ़ते बढ़ते इतना बढ़
गया कि संत*
*तथा ब्राह्मण ब्रह्मा जी के पास पहुंचे*

*संतों ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया साथ ही ब्राह्मणों ने भी प्रणाम किया।*

*ब्रह्मा जी ने प्रसन्न चित्त से संतो तथा*
*ब्राह्मणों के आगमन का कारण पूछा*

*संत बोले प्रभु हम दोनों आप ही की संतान है परन्तु हम दोनों में
Read 9 tweets
5 Mar
भगवान की भक्ति के प्रकार

साधक की भावनाओं के अनुसार, हम कह सकते हैं कि भक्तों या साधकों के स्वभाव और गुण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
1) तामस भाक्त
जो साधक क्रोध, हिंसा, अभिमान या नकारात्मकता से भरा होता है, लेकिन भक्त होता है, उसे तामस भक्त कहा जाता है।
2) राजस भक्त
वह साधक जो ज्यादा लालच की इच्छा रखता है, वो राजस भक्त कहलाता है
Read 5 tweets
5 Mar
पीले रंग को क्यों माना जाता है शुभ और क्या है इसका महत्व

इस रंग का इस्तेमाल पूजा और पढ़ने के समय करना काफी शुभ माना जाता है मकान की बाहरी दीवारों पर इस रंग का पेंट करना अच्छा माना जाता है नकारात्मक ऊर्जा को अपने से दूर रखने के लिए भी इस रंग के रुमाल का प्रयोग लाभदायक माना गया
है हल्दी का तिलक मन को सात्विक और शुद्ध रखने का काम करता है ज्योतिष में भी इस रंग का काफी महत्व माना जाता है पीला रंग बृहस्पति ग्रह से संबंधित है देव गुरु बृहस्पति को शुभ कार्यों को कराने वाला ग्रह कहा जाता है। यह रंग काफी ऊर्जा पैदा करने वाला माना जाता है। यह बृहस्पति का प्रधान
रंग है। इसका व्यक्ति के पाचन तंत्र, रक्त संचार और आँखों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कहा जाता है कि इस रंग के अंदर मन को बदलने की क्षमता होती है। इस रंग को शुभता का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष अनुसार यह नकारात्मक
Read 4 tweets
4 Mar
#महत्वपूर्ण

सनातन धर्म में सोलह संस्कारों और कर्मकांडों का पालन किया जाता है जब आप जीवित हों हालांकि, एंटीथेशी एक व्यक्ति के मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार है

दुनिया में बहुसंख्यक धर्म अपने मृतकों को दफनाने में विश्वास करते हैं। हिंदू कुछ कर्मकांड करने के बाद शव को जलाने मे Image
विश्वास करते हैं। मृतक को जलाने के पीछे का कारण शरीर को शुद्ध करना है इससे पहले कि वह एक नए व्यक्ति के रूप में अपनी यात्रा जारी रखे

सभी देवी-देवताओं को अग्नि में चढ़ाया जाता है क्योंकि यह हिंदू शास्त्रों के अनुसार शुद्ध है। इसी तरह, जब एक शरीर एंटीसिस्टी के दौरान जल गया है,
तो आग आत्मा को मोक्ष के करीब लाने में मदद करती है। इसके अलावा, आग से उत्पन्न ऊर्जा स्वर्ग की ओर ऊपर की दिशा में है।

एक व्यक्ति के मरने के बाद, वे अपने भौतिक शरीर को त्याग देते हैं। वर्तमान दुनिया को छोड़ने से पहले, अंत्येष्टि एक व्यक्ति का बलिदान है। मृत व्यक्ति का अंतिम
Read 13 tweets
3 Mar
सनातन धर्म में उपवास एक नैतिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जिसका उद्देश्य शरीर, मन को साफ करना और दिव्य अनुग्रह प्राप्त करना है। सनातन धर्म के वैदिक शास्त्रों में बहुत से विज्ञान हैं। कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं के बजाय उपवास का अधिक महत्व है

भारत को कई सांस्कृतिक मान्यताओं वाला देश Image
कहा जाता है। पूरे राष्ट्र में प्रचलित रीति-रिवाज जीवन में अधिक अर्थ रखते हैं। उपवास ऐसे अनुष्ठानों में से एक है। यह सनातन धर्म की एक प्रथा है जो थोड़े प्रतिबंधों से लेकर भारी रिवाजों तक हो सकती है। उपवास के दिनों और तरीकों का चुनाव समुदाय या व्यक्ति पर निर्भर करता है।
सनातन धर्म में उपवास के प्रकार

वाचिका (भाषण को शुद्ध करने के लिए)

काईका (मन को शुद्ध करने के लिए)

मानसा (शरीर को शुद्ध करने के लिए)

ऋग्वेद के उपनिषदों में विभिन्न प्रकार के उपवासों का वर्णन है, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है:

#वाचिका

वाचिका उपवास का एक तरीका है जो
Read 15 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!