नमस्कार मित्रों..
वैसे तो हम सभी गूगल चाची और वाट्स अप यूनिवर्सिटी के चलते कोरोना विशेषज्ञ हो गए हैं..फिर भी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहूँगी जो डाक्टर @DNeurosx ने कुछ देर पहले ट्विटर स्पेस में बताई और मेरी मोटी बुद्धि में समझ आई।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये कि अति आत्मविश्वास में ना रहें। कोरोना की किसी से रिश्तेदारी नहीं है इसलिए मास्क पहनने और सावधानियों में बिल्कुल भी ढील न दें।
इस बीमारी से बचाव ही बेहतर है। इसलिए ध्यान रखें अपना भी और अपने अपनों का भी..
वैक्सीन अवश्य लगवाएं।
अब यदि सारी सावधानियों के बावजूद भी कोरोना हो जाता है तो क्या करें।
पहली चीज..लक्षण..
बिल्कुल आम बुखार जैसा महसूस होगा..
तापमान बढ़ा हुआ और बदन दर्द।
घबराहट की कोई बात नहीं है..
हर बुखार कोरोना नहीं होता।
बुखार आते ही जाँच के लिए यहाँ - वहाँ भागने की जरूरत नहीं है।
घर पर रहें..एक कापी/डायरी लें और अपने परिवार के सभी सदस्यों का हर दो घंटे में SPO2, Pulse rate और तापमान नोट करें क्योंकि यदि घर में किसी एक को कोरोना है तो निश्चित तौर पर अन्य सदस्यों को भी होने की संभावना है। ऐसा तो साधारण बुखार में भी होता है।
बुखार के लिए आप पेरासिटामोल ले सकते हैं..हर छः घंटे में, कितनी लेनी है आप के पारिवारिक चिकित्सक बता देंगे।
ध्यान रहे बुखार पर नियंत्रण आवश्यक है..आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह से एंटी वायरल या एंटीबैक्टीरियल दवा भी ले सकते हैं किंतु स्वचिकित्सा न करें न ही स्टेरॉयड लें।
पहले दो तीन दिनों में कोरोना जाँच या सीटीस्कैन कराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये वायरस पकड़ में ही नहीं आता पहले दो तीन दिनों में..
यदि चौथे दिन ऑक्सीजन स्तर 94 से कम हो जाए और बुखार कम न हो तो
आपको डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कोरोना की पहली वेव में डॉक्टर्स के पास 7 से 9 दिन का समय था उपचार करने का..ये अबकी बार 4 से 5 दिन रह गया है और ईश्वर न करे यदि तीसरी बार ये कोरोना वेव आई तो केवल तीन दिन का समय होगा।
इस बार अधिकांशतः वे सभी केसेज सही हुए हैं जिनका उपचार चौथे दिन शुरू हो गया।
इसलिए जरा भी कोताही न बरतें.. ये न सोचें कि पहले अपने बड़ों का इलाज हो जाए..वीरता तो बिल्कुल न दिखाएं कि मैं तो जवान हूँ मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि इस बार कोरोना छोटा - बड़ा नहीं देख रहा।
महत्वपूर्ण: यदि कोरोना है तो चौथे - पाँचवें दिन तक ऑक्सीजन की कमी से साँस लेने में परेशानी होने लगती है और तभी हमें इस वायरस का उपचार आरंभ कर देना चाहिए।
यहाँ यह महत्वपूर्ण है कि कोरोना से बचाव के लिए आप सभी घरेलु उपाय अपना सकते हैं किंतु यदि संदेह भी हो कि आप कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं तो सब बंद कर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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1739 के "कत्लेआम" में नादिरशाह दुर्रानी ने करीब एक लाख बीस हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और तब से दिल्ली "मुर्दों का शहर" बन गई.
यूँ भी ऐबक,लोधी,खिलजी,तुगलक, सयैद आदि इत्यादि के अधीन रही दिल्ली के कोने-कोने में तो कब्रें और कब्रगाहें बनी पड़ी हैं ज़िंदगी आती भी कहाँ से..?
फिर मुगल स्थापत्य कला तो जानी ही मुर्दों की स्थापत्यकला के रूप में जाती है।
"जीतों को ज़िंदा जलाते थे आखिर
मैयत की मिट्टी सजाते थे आखिर"
दिल्ली के कोने-कोने में कब्रें तो थीं ही तो क्या आश्चर्य कि आजादी के बाद हमारे महान राष्ट्रीय खानदान यानि नेगाँधी वंश ने भी वैसा ही किया?
पुराने समय के समाज में महिलाओं और पुरुषों के लिए कई नियम बने थे जिन्हें रिवाज या परंपरा कहा गया।
प्राचीन भारतीय समाज में स्वास्थ्य एवं शुचिता की दृष्टि से इन नियमों का पालन आवश्यक था।
कालांतर में यही रिवाज कुरीतियों में बदल गए..
रजस्वला होने के समय रसोई अथवा मंदिर न जाना, अलग कक्ष में सोना आमोद-प्रमोद से दूर रहना, प्रसव के उपरान्त 30-40 दिन प्रसूति कक्ष में पुरुष का प्रवेश वर्जित होना उतना ही वैज्ञानिक था जितना आज शल्य चिकित्सा के बाद गहन चिकित्सा इकाई में रहना..
#प्रसंगवश..
दिशा रवि की आयु 21, 22 या 24 कुछ भी हो सकती है..किंतु उसके विचारों से परिलक्षित उसकी सोच हमें यह सोचने पर बाध्य करती है कि हम कहाँ चूके हैं..
यदि आपका संवाद इन दिनों किसी किशोरवय के बालक या बालिका से हुआ हो तो आप जानते पाएंगे कि वामपंथी घुन कितने गहरे पैठ चुका है।
स्वाभाविक भी है..
पूर्व प्राथमिक कक्षाओं से ही छद्म धर्मनिरपेक्षता और विकृत वैश्विकता का विष घोला जाता है।
आप धार्मिक हों या न हों उससे कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि आपके पास समय नहीं है और हवा में जहर घुला है..
हमारे चारों ओर का वातावरण कुछ ऐसा बना दिया गया है कि बच्चे न चाह कर भी विष पीने को बाध्य हो रहे हैं।
किशोरावस्था तक पहुँचते-पहुँचते स्थिति
आपके नियंत्रण से बाहर चली जाती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात करें?
कैसे चलता है नकली किसानों का गोरखधंधा?
कैसे लगाते हैं वो देश की अर्थव्यवस्था को चूना..?
आइए सीधे शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं..
तो शुरुआत से शुरू करते हैं..
एक किसान 70 रुपये की अपनी उपज
80 रुपये में एक नकली किसान को बेचता है..नकद..बिना किसी आय कर के..
नकली किसान 80 रुपये की ये खरीद
सरकार को 100 रुपये में बेचता है..
आय कर विभाग के लिए कोई गुंजाइश नहीं यहाँ ..
किसने कितना कमाया..कोई हिसाब नहीं..
नया कृषि कानून खरीदने और बेचने वाले दोनों से आधार और PAN नम्बर की अनिवार्यता चाहता है जो नकली किसानों यानि दलालों के लिए परेशानी वाली बात होगी..
आइए आज बात करते हैं श्री रामचन्द्र काक की जो 1945 से 1947 तक कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे।
एक कश्मीरी पंडित होने के नाते रामचन्द्र जी अच्छी तरह जानते थे किस प्रकार सूफी समाज ने कश्मीरी संस्कृति और रिवाजों का ह्रास किया और उन्होंने महाराजा हरी सिँह से परिग्रहण संधि पर हस्ताक्षर करने से पहले कुछ वर्ष रुक कर निर्णय लेने को कहा..
सप्तॠषि वैदिक काल के सबसे महान ऋषि माने जाते हैं। अपनी योग और प्रायश्चित की शक्ति से उन्होंने बहुत लंबी आयु अर्थात् लगभग अमरत्व की सिद्धि प्राप्त की..।
सप्त ऋषियों को चारों युग में मानव प्रजाति के मार्गदर्शन का कार्य सौंपा गया ।वे आदि योगी शिव के सहयोग से पृथ्वी पर संतुलन बनाये रखते हैं..