ब्रांड्स के जरिए अरबों कमाने वाले को पूंजीवाद कैसे मसीहा बनाता है, इसकी बानगी है रोनाल्डो-कोक प्रकरण

हाल ही में मीडिया में यह मामला छाया रहा कि कैसे फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने कोक की जगह बोतलबंद पानी पीने की सलाह दी, ऑफ स्क्रीन शूट किया गया रोनाल्डो यह वीडियो दुनियाभर 1/1
में चर्चा का विषय बन गया और लोग रोनाल्डो को हीरो बताने लगे. रोनाल्डो के इस स्टंट के बाद कोका कोला का शेयर प्राइस 242 बिलियन डॉलर से 238 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसके बाद कई सारे लोग रोनाल्डो को मसीहा की तरह पेश करने लगे. लेकिन इस स्टंटबाजी के दौरान रोनाल्डो शायद भूल गए थे कि 1/2
पूर्व में वे कोका कोला का प्रचार कर पैसा बटोर चुके हैं. जिन रोनाल्डो को हीरो की तरह पेश किया गया वे कोक का एड कर करोड़ों रुपये पीट चुके हैं.

वायरल वीडियो में रोनाल्डो कोक के बोतल को हटाकर बोतलबंद पानी पीने का सलाह देते हैं. इतना देखते ही मेरे जेहन में उन तमाम लोगों का संघर्ष 1/3
जग गया जो दिनरात जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं. जो लड़ रहे हैं नदियों के निर्मल बहाव के लिए, जो अपनी जिंदगी कुर्बान कर रहे हैं हमारी प्रकृति को बचाने के लिए. लेकिन इसे जनमानस की चेतना का मर जाना ही कहेंगे कि हम पूंजीवादी व्यवस्था में कैपिटलिज्म के ब्रांड एंबेसडर में ही 1/4
अपना नायक ढूंढ रहे हैं, उसपर शब्द खर्च कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं. मेरी पहली दिक्कत इस समाज और व्यवस्था से यह है कि क्यों कोई पुरुष ही नायक की तरह पेश किया जाता है? क्या महिलाएं फुटबॉल नहीं खेलती हैं? क्या महिलाएं दुनिया नहीं बदल रही हैं? 1/5
क्यों महिलाओं को यह समाज खारिज करने पर आमदा है?

ऐसे कई सवाल है जिनपर यह सभ्य समाज सदियों से मौन की मुद्रा में है. इन सो कॉल्ड फेक सेलिब्रिटीज को क्या हो जाता है जब दुनियाभर में मानवाधिकारों का हनन होता है? परंपरा और धर्म के नाम पर महिलाओं को गुलामों की तरह ट्रीट किया जाता है 1/6
इसपर क्यों नहीं मुंह खोलते हैं ये सो कॉल्ड ये सितारे. दुनियाभर में आदिवासियों से जल, जंगल, जमीन छीनकर पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है, क्या ये सब नहीं दिखता है हमारे पैसों पर पल रहे इन सो कॉल्ड स्टार्स को. खैर देश दुनिया को छोड़ दीजिए ये जिस फिल्ड में हैं उसकी लड़ाई ही लड़ लें 1/7
तो शायद दुनिया की सूरत बदल जाए. चाहे फुटबॉल हो या क्रिकेट हर क्षेत्र में पुरुष अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं, ये क्यों नहीं बहिष्कार करते हैं कि महिलाओं को भी हम पुरुषों के बराबर मेहनताना, नाम, सम्मान और पद मिलना चाहिए? मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि वे ऐसा नहीं करेंगे 1/8
क्योंकि यही सिस्टम है और इस सिस्टम से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि वे पीड़ित नहीं है.

दुनिया भर में लाखों लोग गरीबी-भूखमरी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं, अमीर बहुत अमीर होता जा रहा है तो गरीब बहुत ज्यादा गरीब गए हैं. इस माहामारी के दौर में भी अमीरों की संपत्ति बढ़ गई, 1/9
दूसरी तरफ गरीब और ज्यादा गरीब हो गए हैं. ऐसे किसी मुद्दे पर रोनाल्डो और इन जैसे सो कॉल्ड स्टार्स अपना मुंह तक नहीं खोलते हैं. खैर चलते-चलते आपको बता दूं कि क्रिस्टियानो रोनाल्डो KFC, अरमानी, कैस्ट्रोल, सैमसंग, कोका कोला, स्मैश एंटरटेनमेंट, बैंको एस्पिरितो सैंतो, एंपोरियो 1/10
सॉकरेड, कोनामी, JBS, जेकब एंड कंपनी, स्पोर्ट लॉब्स्टर, MTG, एल्टिस, एडटीई, एक्सट्रे़ड, एक्सनेस, अमीरात एयरलाइंस और टोयोटा जैसी नामी कंपनियों के साथ एंडोर्समेंट डील कर चुके हैं और अरबों रुपये छाप रहे हैं. इस पूंजीवादी/पूरुषवादी व्यवस्था में आपको ही मुबारक हो ऐसे 'हीरो'!

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with Meena Kotwal

Meena Kotwal Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @KotwalMeena

27 May
अपनी बेटी धरा के नाम मेरा दूसरा खत (तकरीबन एक साल पहले लिखा था)

प्यारी बेटी धरा,

अगस्त (2019) का महीना था. मेरा पूरा ध्यान एक खास वर्ग के कुछ लोगों के दिमागी कचरे को उजागर करने में लगा था और इधर तुम इस दुनिया में आने की शुरूआत कर चुकी थी. हालांकि मुझे तुम्हारे बारे में 1/1
सितम्बर में पता चला. जुलाई तक बीबीसी में थी और दो अगस्त से मैंने एक सच को बताना शुरू कर दिया था. मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि मेरे अंदर तुम जन्म ले चुकी हो.

ऐसे में तुम हर उस पल की गवाह हो जो मैंने उस दौरान महसूस किया. किस तरह जो लोग सामने और सोशल मीडिया पर अच्छे बनते थे, 1/2
उनके दिल और दिमाग अंदर से कितने मैले हैं! तुम्हारे बारे में पता चलते ही मुझे लगा जैसे मुझे हर बात बताने के लिए एक नया साथी मिल गया. कई बार राजा यानि तुम्हारे पापा को भी नहीं पता चलता था कि मैं दुखी हूं. उन्हें भी किस-किस के बारे में बताती और क्या-क्या बताती, 1/3
Read 13 tweets
4 May
महिला होकर भी कंगना सवर्ण पुरुषों का हिंदू राष्ट्र चाहती हैं, ट्विटर ही नहीं हर प्लेटफॉर्म से कंगना को हटवाइए

फेक महिला अभिनेत्री @kanganateam दिन-रात एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का काम करती हैं, इतना ही नहीं वे आरक्षण के खिलाफ भी जहर उगलती हैं और इस तरह से लगातार बहुजनों 1/1
को टारगेट करती रहती हैं. एक महिला होकर जिस तरह से उन्होंने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा किया वह दोयम दर्जे का था.

कंगना कई बार सोशल मीडिया पर अपने प्रिविलेज का बखान कर चुकी हैं, वे लिख चुकी हैं कि उन्हें राजपूत होने का गर्व है. 1/2
कंगना जिस तरह से सरकार के लिए बैटिंग कर रही हैं वह साबित करता है कि कंगना रीढ़विहीन हैं, वे अपना जमीर बेच चुकी हैं. ऐसा व्यक्तित्व समाज के लिए बेहद ही खतरनाक है, कोरोना के इस विकट समय में वे कुछ रचनात्मक न कर दिन-रात हिंदू-मुसलमान कर रही हैं. 1/3
Read 5 tweets
3 May
सो कॉल्ड ‘मेट्रोमैन’ श्रीधरन की हार में ही मानवता की जीत है...

जिन्हें आप ‘मेट्रोमैन’ कहते हैं उन श्रीधरन को केरल की जनता ने रिजेक्ट कर दिया है और इसका सबसे बड़ा कारण है श्रीधरन का BJP से चुनाव लड़ना. सबसे शिक्षित राज्य का दर्जा प्राप्त केरल में सांप्रदायिक नफरत के लिए कोई 1/1
जगह नहीं है चाहे आप कितने भी तीस मार खां क्यों नहीं हो...जहां भी सही मायने में शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा वहां फासिस्ट विचारधारा की हार तय है. भले ही आपने अपने नीजि/सार्वजनिक जीवन में कई कमाल किए हैं लेकिन आप नफरत की राजनीति से संबंध रखते हैं तो यहां की जनता आपको नकार देगी. 1/2
सो कॉल्ड ‘मेट्रोमैन’ श्रीधरन की हार में ही मानवता की जीत है. जो पूंजी श्रीधरन साहब ने कमाई थी वो सबकुछ उन्होंने गंवा दिया, वे चाहते तो इस विपदा में लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाते, कुछ रचनात्मक करते लेकिन यह सब न कर उन्होंने हिंदू-मुसलमान करने वाली पार्टी का दामन थाम लिया 1/3
Read 4 tweets
3 Jan
भारत की प्रथम महिला टीचर माता #सावित्रीबाई_फुले ने महिलाओं और शूद्रों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था.

ऐसा करने के लिए उन्होंने अपनी जान की बाजी तक लगा दी थी. जब भी वे पढ़ाने जाती थीं तो ब्राह्मणवादी लोग उनपर गोबर और पत्थर फेंकते थे. मनुवादियों को लगता था कि ऐसा करने से (1/1)
सावित्री बाई फुले पढ़ाना छोड़ देंगी. लेकिन प्रथम महिला टीचर ब्राह्मणवादियों के आगे नहीं झूकीं. वे जब भी पढ़ाने जातीं तो 2 साड़ी साथ लेकर जाती. रास्ते में गोबर फेंकने वाले ब्राह्मणों का मानना था कि शूद्रों और महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं, यह पाप है, मनु के विधान के खिलाफ है 1/2
सावित्री बाई फुले घर से जो साड़ी पहनकर निकलती थीं वो दुर्गंध से भर जाती थी. स्कूल पहुंच कर वे दूसरी साड़ी पहन लेती. फिर महिलाओं को पढ़ाने लगती थीं. सावित्री बाई फुले उस दौर में अपने पति को खत लिखा करती थीं. उन खतों में सामाजिक मुद्दों और ब्राह्मणवादी व्यवस्था का जिक्र होता. 1/3
Read 9 tweets
2 Jan
केरल में यह दलित लड़का अपने माता-पिता के लिए कब्र खोद रहा है, वह पुलिसवालों से कह रहा है, 'तुम लोगों ने मेरे मां-बाप की जान ले ली, अब बोलते हो कि मैं इनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता.'

तिरुवनंतपुरम के एक गांव में दलित लड़के के पिता खाना खा रहे होते हैं, तभी पुलिस आती है और 1/1
कहती है कि घर खाली करो. राहुल राज के पिता कहते हैं कि खाना खाकर हमलोग चले जाएंगे लेकिन पुलिस नहीं मानती है. इस अपमान और पीड़ा से व्यथित होकर राहुल के पिता खुद पर पेट्रोल डाल आग लगाने की धमकी देते हैं. जिसके बाद पुलिस के साथ लाइटर की छीना-झपटी में लाइटर जमीन पर गिर पड़ती है और 1/2
राहुल के माता पिता की जलकर मौत हो जाती है. आप जानते हैं कि कितनी जमीन के लिए राहुल राज के माता-पिता को अपनी जान गंवानी पड़ी? 1 एकड़ के 33वें हिस्से की खातिर राहुल की सिर से माता-पिता का हाथ हट गया. यह दलित लड़का बेसहारा हो चुका है, राहुल गुस्से और बेइंतहां गम में है लेकिन 1/3
Read 10 tweets
1 Jan
नए साल पर मेरा संकल्प

मैं दिखाऊंगी दुनिया की तमाम कहानियां
जिसमें अन्याय, पीड़ा, भेदभाव हो
रोज ऐसे ही लड़ूंगी
ब्राह्मणवादी-पितृसत्ता के खिलाफ

दुनिया के उन तमाम लोगों को पढ़ूंगी
जिन्होंने न्याय और हक की बात की
उन सभी विचारों को अपनाऊंगी
जो भेदभाव/छूआछूत के खिलाफ हो (1/1)
मैं साथ दूंगी उन सभी का
जो स्वतंत्रता के पक्षधर हैं,
जो अभिव्यक्ति की आजादी के हिमायती हैं
जो धर्मनिरपेक्षता को मानते हैं, अपनाते हैं

उन सभी लोगों के साथ खड़ी होऊंगी
जो सच बोलने का साहस रखते हैं
जो डर के वातावरण को खारिज करते हैं
जो जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं (1/2)
उतारूंगी उन सभी के नकाब
जो हमारा हक मारते हैं, नीच समझते हैं
जो संस्थानों में बैठै हैं, हमें रोकने के लिए
जिनकी भावनाएं दिखावटी हैं

दशहरा, दिवाली की जगह मनाऊंगी
गणतंत्र दिवस, संविधान दिवस और 14 अप्रैल
धूमधाम से करूंगी मनुस्मृति का दहन
भीमा कोरेगांव के जाबांजों को करूंगी याद 1/3
Read 4 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Too expensive? Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal Become our Patreon

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(