दैनिक भास्कर के दप्तरो मे, आयकर के छापे में क्या मिला, यह जानकर आपके होश उड़ जाएंगे !!

आयकर के छापों में पता चला है कि, 6000 करोड़ के सालाना टर्न ओवर वाले इस दैनिक भास्कर ग्रुप का बेइमानी से खड़ा किया गया यह सल्तनत है !!
इस कथित मीडिया समूह ने अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियां खड़ी कर रखी हैं, जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों और बोगस फंड ट्रांसफर के लिए किया जा रहा था... लेकिन उन कर्मचारियों को पता भी नहीं है कि उनके नाम पर बोगस कंपनी खड़ा किया गया है...
आयकर के छापों में सच्ची पत्रकारिता का दावा करने वाले दैनिक भास्कर अखबार के, काले कारनामो की कलई खुल गई है... ये ग्रुप सिर से पैर तक बेनकाब हो गया है... पत्रकारिता की आड़ में ये ग्रुप वही सारे काले धंधे कर रहा है जो नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधी करते आए हैं !
आयकर छापों में 6000 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाले दैनिक भास्कर ग्रुप का बेइमानी से खड़ा किया, ताश के पत्तों का महल, रेत की तरह रेशा रेशा ढ़ह गया है! मीडिया, पावर, टेक्सटाइल्स और रियल एस्टेट में पैठ बना चुके इस समूह के, अलग अलग राज्यों में स्थित 9 शहरों के 32 ठिकानों पर रेड की गई|
इस छापे में मालूम पड़ा कि ये ग्रुप, सौ से भी अधिक कंपनियों के जरिए, कालेधन को जुटाने और फिर उन्हें सफेद करने के अवैध कारोबार में शामिल है|

मीडिया, एथिक्स और नैतिकता के प्रवचन देने वाले इस समूह ने, पैसा कमाने की इस अंधी हवस में अपने कर्मचारियों तक का मोहरे की तरह इस्तेमाल किया|
आयकर छापे में मालूम पड़ा कि इस मीडिया समूह ने अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियां खड़ी कर रखी हैं... जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों और बोगस फंड ट्रांसफर के लिए किया जा रहा है...
इस छानबीन में यह भी पता चला कि दैनिक भास्कर ने अपने जिन कर्मचारियों का नाम इन कंपनियों के शेयर होल्डर्स और डायरेक्टर के तौर पर दे रखा है, उन्हें ये बात मालूम तक ही नहीं है !!
पूछताछ में दैनिक भास्कर के इन कर्मियों ने बताया कि, उन्होंने यकीन करके इस समूह को अपने आधार कार्ड और डिजिटल सिगनेचर दे दिए थे !!

उन्हें ख्वाब में भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि इनका इस्तेमाल इन अवैध धंधों के लिए किया जाएगा...
इनकंपनियों के जरिए दैनिकभास्कर ने फर्जीवाड़े की पूरी की पूरी चेन तैयार कर रखी थी... इनके जरिए फर्जी खर्चे दिखाए जाते थे और साथ ही लिस्टेड कंपनियों से हुए मुनाफे को खपा दिया जाता था... कंपनियों में फंड ट्रांसफर से लेकर सर्कुलर ट्रांजैक्शन तक के अवैध धंधे इनके ही जरिए अंजाम दिएजाते
इस फर्जीवाड़े से दैनिक भास्कर ने पिछले छह सालों में 700 करोड़ रुपए का वारा न्यारा किया है... आयकर के छापे में गलत तरीकों से जमा की गई इस रकम का भी खुलासा हुआ है...
अहम बात तो यह है कि फर्जीवाड़े की यह रकम ओर भी बड़ी हो सकती है... इसकी वजह लेनदेन के सौदों की अनेक सतहें यानि लेयर्स हैं, जो इस ग्रुप ने हजारों करोड़ रुपए के अपने फर्जीवाड़े को सही ठहराने के लिए इस्तेमाल की हैं...
दैनिक भास्कर ने इस तरीके से कंपनी एक्ट और सेबी के लिस्टिंग एग्रीमेंट के प्रावधानों का भी खुला उल्लंघन किया है... इस ग्रुप के खिलाफ बेनामी ट्रांजैक्शन ऐक्ट का मामला भी विचाराधीन है...
इतना ही नही बल्कि दैनिक भास्कर समूह की ग्रुप कंपनियों के बीच एक दूसरे से असंबद्ध व्यवसाय से जुड़ी हुई 2200 करोड़ रुपए की साइक्लिल ट्रेडिंग एवं फंड ट्रांसफर का भी पर्दाफाश हुआ है...
आयकर छापे के इस खुलासे से मीडिया के नाम पर आर्थिक अपराध का महल खड़ा कर चुके इस समूह का, काला चरित्र पूरी तरह बेनकाब हो गया है... मुझे लगता है कि इस गोरखधंधे में कई राजनीतिक पार्टियां भी संलिप्त हैं...
शायद इनका भी काला पैसा इस ग्रुप में लगा हुआ है... इसलिए जबसे इसपर छापे पड़े हैं, तबसे कुछ राजनीतिक पार्टियां चूहे के बिल से बाहर निकल आए हैं, और इस छापे को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला कह कर अपना सर फोड़ रहे हैं... देखते जाइए, और कितने भ्रष्टाचारी इसके दायरे में आते हैं...

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16 Jul
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फिर इतनी जल्दी ये इतने बड़े भगवान कैसे बन गए??
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यूपी की सियासत के एक बड़े माहिर खिलाड़ी हुआ करते थे, नरेश अग्रवाल। हरदोई जिले में नरेश अग्रवाल के परिवार का खासा दबदबा माना जाता था। जिला पंचायत, नगर पालिका से लेकर हरदोई विधानसभा तक, 40 साल तक उनका कब्ज़ा रहा है।
कहने को तो वो खाँटी सपाई थे मगर प्रदेश में सरकार किसी की भी रही हो, नरेश अग्रवाल का जलवा हमेशा बरकार रहा।
अपने बयानों को लेकर नरेश अग्रवाल हमेशा अखबारों और मीडिया में चर्चा का विषय रहते थे।
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15 Jun
A new clinical protocol issued by Director General of Health Services (DGHS) for #COVID treatment that dropped hydroxychloroquine (HCQ), ivermectin ,azithromycin, doxycycline, zinc , vitamins & antiviral drug favipiravir saying have no evidence of benefit...
यानी अब तक जो कोविड के मरीज ठीक हुए हैं उन्हें दवा ने नहीं दुआ ने ठीक किया है, और जो मरीज अस्पताल जाकर भी बच नहीं पाए वह शायद इन दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण मरे होंगे।
भाई डॉक्टर साहब लोग जब तुम लोग भी तजुर्बा करके ही सीख रहे हो तो फिर आयुर्वेद को निशाना क्यों बनाते हो??
जब तुम लोग भी अपनी अज्ञानता के कारण उलट-पुलट किसी भी दवाई को लिख देते हो और उसे बाजार में हजारों लाखों रुपए के भाव में बिकवा देते हो तो फिर किसी देसी दवाई के प्रति घृणा क्यों फैलाते हो।
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22 Feb
आपको प्रशांत किशोर नाम याद हैं!!
जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र छह साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब काँग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुल गाँधी को राजनीति में चमकाने का!

प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुल गाँधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया था।
अगस्त के आखिर में PK ने बाकायदा सोशल मीडिया पर विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े, करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी। मुंबई में और दूसरी बनारस में मीटिंग रखी गयी।
5000 लोगों को छाँट कर एक IT Cell बनी जो काँग्रेस को अपग्रेड करते थे
दूसरा आपको "द वायर" याद है, जिसने अमित शाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी??

हालाँकि 'द वायर' ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी माँगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था, लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई।
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4 Jan
जरूरी नहीं कि जमा हुआ शहद मिलावटी हो:

हमारे समाज में ऐसी धारणा है कि जमा हुआ शहद मिलावटी होगा, लेकिन यह पूरी तरह गलत धारणा है। शहद का जमना एक कुदरती प्रक्रिया है। शुद्ध शहद भी जम सकता है, क्रिस्टलाइज्ड हो सकता है।
शहद का जमना इस बात पर निर्भर करता है कि शहद किस स्रोत से उत्पन्न हुआ है अर्थात कौन से फूलों के रस से मधुमक्खियों ने शहद का निर्माण किया है। मधु के अंदर प्राकृतिक रूप से ग्लूकोस और फ्रुक्टोज जैसी शर्कराएं होते हैं।
यदि शहद के अंदर ग्लूकोज की मात्रा अधिक रही तो उसमें जमने की प्रवृत्ति अधिक होगी। जिन फूलों के रस में प्राकृतिक रूप से ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है उनके रस से अगर मधुमक्खी शहद का निर्माण करती है तो उस शहद में जमने का गुणधर्म ज्यादा रहेगा।
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