ये सिर्फ पटाखों की आवाज नहीं है... ये देश के अंदर सुलग रहे एक गृहयुद्ध की अभिव्यक्ति (प्रगटीकरण) है !
-हिंदुओं का खून अब पानी हो चुका है... उनके अंदर कभी कोई गुस्सा नहीं आता है... इस देश के अंदर रहकर लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं... उस
पाकिस्तान के नारे लगाते हैं जो कोई देश नहीं है बल्कि हमारे महान पूर्वजों की जमीन पर मौजूद एक इस्लामिक उपनिवेश है ! उस पाकिस्तान की जिंदाबाद के नारे लगाए जाते हैं जिसके निर्माण के लिए लाखों बेगुनाह हिंदुओं की जान जिन्ना और मुस्लिम लीग के समर्थकों ने ली थी... उस पाकिस्तान की
जिंदाबाद के नारे लगाए जाते हैं जिस पाकिस्तान के समर्थकों ने बंटवारे के वक्त भारत की लाखों हिंदू महिलाओं का बलात्कार किया था... उनको नंगा करके कराची और लाहौर की सड़कों पर घुमाया था... ये उस पाकिस्तान की जिंदाबाद के नारे लगाते हैं... जिसके निर्माण के वक्त
हजारों हिंदू औरतों ने कुओं में कूद कर सुसाइड करके अपने सतीत्व की रक्षा की थी । उस पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे हिंदुस्तान के अंदर मौजूद पाकिस्तान के पिट्ठू लगाते हैं और हिंदू चुपचाप खामोश होकर इसे देखता रहता है ?
-जब पुलिस के अधिकारियों से ये पूछा
जाता है कि क्या इस इलाके में रात में कोई पटाखे जलाए गए तो आपको जवाब मिलता है कि नहीं कहीं कोई पटाखे नहीं जलाए गए... दरअसल जो सच ही नहीं बोल सकता है वो कभी किसी देशद्रोही से क्या लड़ सकता है ? हम तुम और सब लोग... तमाम हिंदू उस पुलिस के भरोसे खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हो...
जो एक सच भी नहीं बोल सकती है ? और खुलकर ये बात भी नहीं बोल सकती है कि हां पाकिस्तान जीता तो फलानी फलानी जगह पर पटाखे जलाए गए थे
-चलो छोड़ो देश की कितनी और क्या बात करूं ? अपने मासूम छोटे छोटे बच्चों के चेहरों को देखो... और सोचो कि क्या तुम जो मुल्क अपने बच्चों के लिए छोड़ कर जा
रहे हो वो तुम्हारे बच्चों के लिए सुरक्षित है ? तुमने एक एक बच्चा पैदा करके उनको जिहाद के अंगारों के बीच में छोड़ दिया है... हिंदू ज्यादातर इतनी स्वार्थी लोगों की कौम है... (आम तौर पर सब एक जैसे भी नहीं होते) कि उसको अपने बच्चों से भी कोई असल मोहब्बत नहीं है... वो अपना सुख
चैन और आराम चाहता है... कितनी बार हम सभी लोग ये बात कहकर कहकर परेशान हो चुके हैं कि एक बच्चा पैदा करने के बाद दूसरा बच्चा भी जरूर पैदा करो और वो इसलिए पैदा करो ताकी दोनों बच्चे एक दूसरे की सुरक्षा कर सकें... संगठित रह सकें ।अगर समर्थ हो तो तीसरा और चौथा भी
पैदा करो लेकिन हम लोग स्वार्थी हो चुके हैं अपना सुख नहीं छोड़ना चाहते हैं !
-हिंदुओं के दुर्भाग्य की कोई सीमा नहीं है... कभी कोई पृथ्वीराज... किसी मुहम्मद गोरी की जान बख्श देता है और फिर वो मुहम्मद गोरी देश में लाखों लोगों की जान लेता है... कभी कोई पेशवा बाजीराव... हैदराबाद के
नवाब को 5 बार हराकर उसकी जान बख्श देता है... कभी कोई सरदार पटेल... हैदराबाद के नवाब को फिर हराकर उसकी जान बख्श देता है... और इसीलिए आज हैदराबाद से देश के लिए जहर उगला जाता है… आखिर हम कब तक सांपों को दूध पिलाते रहेंगे ? ये सांप आखिरकार हमें ही डसेंगे...
ऐसा लगता है जैसे हम सांपों के बिस्तर पर सुख चैन से सोने की कोशिश कर रहे हों !
-आज इस मौके पर जब देश में प्रचंड हिंदूवादी बहुमत की सरकार है फिर भी पाकिस्तान परस्तों के हौसले बुलंद हैं... ये क्यों है ? क्योंकि हम सवाल ही नहीं पूछते हैं । ज़रा पूछो... अपने पड़ोसी से जब
पाकिस्तान जीता तो तुमने खुशियां क्यों मनाई ? तुमने पटाखे क्यों फोड़े ? ये भारत की कानून व्यवस्था और सुरक्षा पर बहुत बड़ा सवालिया निशान है जिसको हम समझना नहीं चाहते हैं ? आज नहीं तो कल हमारे पेट के अंदर मौजूद ये पाकिस्तान हमारा पेट फाड़कर हमें मार देगा और हम कुछ नहीं कर पाएंगे ?
-इसीलिए कुछ करो... अपने विधायकों... सभासदों... पार्षदों... सांसदों पर दबाव डालो कि वो इस तरह की देशद्रोही गतिविधियों के खिलाफ आखिरकार क्या एक्शन ले रहे हैं ? थानों का घेराव करो आरोपियों पर कार्रवाई का दबाव डालो ! मोहल्लों में गांवों में तमाम इलाकों में एक दूसरे से बात करो..
लोगों से घुलो मिलो अपने भाइयों के साथ बात करो और विचार करो कि आखिर देश के अंदर जगह जगह पल रहे पाकिस्तान पर काबू कैसे किया जाए ?
-कभी तो कठोर फैसला लेना होगा सरकार को... आखिर कब तक हम पाकिस्तान की सोच को अपने देश के अंदर पालते पोसते रहेंगे ?
हमें जागना होगा और दूसरों को भी जगाना होगा !
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
नेता तो बहुत हैं पर उनके मन में हिंदुओं के साम्राज्य जैसा कोई लक्ष्य नहीं, कोई महत्वाकांक्षा नहीं; इसलिए हिंदु नेताओं को सेकुलरिज्म की चादर ओढ़कर हिंदुओं के रक्त की प्यासी कौम से भाईचारा निभाने में भी कोई लज्जा नहीं आती!
सत्ता का जो तंत्र अंग्रेज स्थापित कर गए,
मात्र वे उसे ढोना चाहते हैं, उसपर बैठकर उसे भोगना चाहते हैं, यही हिंदु नेताओं की महत्वाकांक्षा है!
जबकि कम्युनिस्टों, मुसलमानों और ईसाईयों का स्पष्ट राजनैतिक लक्ष्य है। कम्युनिस्ट साम्यवादी शासन वाला भारत चाहते हैं, मुसलमान शरीयत कानून वाला इस्लामिक भारत चाहते हैं और ईसाई
इंडोनेशिया के पूर्व मुस्लिम राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी ने हिंदू धर्म अपनाया
इंडोनेशिया में चर्चा है कि खत्म हो जाएगा इस्लाम धर्म और क्या 500 साल पुरानी भविष्यवाणी सच हो जाएगी
इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी ने हिंदू धर्म अपना लिया है । इंडोनेशिया के
पहले राष्ट्रपति सुकर्णो को इंडोनेशिया में राष्ट्रपिता के जैसा दर्जा हासिल है । सुकर्णो नाम तो संस्कृत भाषा से मिलता जुलता है लेकिन वो एक मुसलमान थे ।
इंडोनेशिया में इस्लाम ने आक्रमण के माध्यम से... तलवार के जरिए अपनी जड़ें जमा लीं और 99 प्रतिशत आबादी को
इस्लाम में कन्वर्ट करवा लिया लेकिन इसके बाद भी वहां पर अरब कल्चर की जड़ें नहीं जम पाईं यही वजह है कि आज भी वहां लोगों के नाम संस्कृत भाषा से मिलते जुलते हैं
सुकुमावती सुकर्णोपुत्री ने इंडोनेशिया के बाली द्वीप में पूरे धार्मिक रीति रिवाज से घर वापसी कर ली है और इस घटना को
बन्दा बैरागी जी का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 को ग्राम तच्छल किला, पुंछ में श्री रामदेव के घर में हुआ। उनका बचपन का नाम लक्ष्मणदास था। युवावस्था में शिकार खेलते समय उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक
शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।
इसी दौरान गुरु गोविन्दसिंह जी माधोदास की कुटिया में आये।
उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त आतंक से जूझने को कहा।
इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर दोनों छोटे पुत्रों
इस देश के अंदर पाकिस्तानियों को हम कब तक ढोते रहेंगे ?
-जब पाकिस्तान जीता तो हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमानों ने कल जमकर पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की... कल दिल्ली में उन इलाकों से पटाखों की आवाजें आती रहीं जहां शाहीनबाग आंदोलन का सबसे ज्यादा जोर था और ऐसा लगा कि ये कोई पटाखों
की आवाज नहीं है... ये उन अदृश्य जूतों की आवाज थी जो हिंदू को कायदे से बार बार लगाए जाते हैं और हिंदू हर बार ऐसे जूतों को ना सिर्फ सहता है बल्कि सहने का आदी हो चुका है
-वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने तक दिल्ली के सीलमपुरी और तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में फोड़े गए पटाखों पर ट्वीट
किया और कहा कि पाकिस्तान की जीत पर जो लोग पटाखें फोड़ रहे हैं वो लोग दिवाली पर पटाखे ना जलाने का ज्ञान बिलकुल भी ना दें ।
-पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने कल एक बयान जारी करके पाकिस्तान की जीत को समूचे आलमे इस्लाम की जीत बताया है । और कहा है कि पाकिस्तान की
एक गांव में राजपूत, ब्राह्मण, बनिये, तेली, हरिजन आदि जातिके लोग रहते थे, सभी मिलजुल कर शान्ति से रहते थे।
एक दिन गांव के मुखिया के पास एक मुस्लिम अपनी पत्नी और आठ बच्चों के साथ आया और गांव मे रहने की भीख मांगने लगा।
रातों को जागकर गाँव की देखभाल करने वाले
एक चौकीदार ने इसका विरोध किया लेकिन किसीने उसकी बात को नहीं माना और मुस्लिम परिवार को गांव में रहने की अनुमति दे दी।
दिन गुजरते गये और मुस्लिम के आठों बच्चे बड़े हो गए जब उनकी शादी की बारी आई तो मुस्लिम सरपंच के पास गया और बोला कि हुजूर बच्चों की शादी होनेवाली है और
मेरे पास एक ही घर हैं तो गावँवालों ने उसको एक बंजर जमीन दे दी और कहा कि तुम उस पर घर बना कर रहो ।
इसके बाद मुस्लिम बनिये के पास गया और उससे पैसे उधार लिए । कुछ समय बाद उन आठों बच्चों के ७४ बच्चे हुए और देखते ही देखते लगभग ३० सालों मे उस गांव में मुस्लिमों की जनसंख्या ४०% हो गई।
पितृ पक्ष में किसको अधिकार है श्राद्ध करने
का और क्या है 16 तिथियों का महत्व?
श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। उक्त 16 दिनों में हर दिन अलग अलग लोगों के लिए श्राद्ध होता है।
वैसे अक्सर यह होता है कि जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई है, श्राद्ध में पड़ने वाली उस तिथि को उसका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन इसके अलावा भी यह ध्यान देना चाहिए कि नियम अनुसार किस दिन किसके लिए और कौन सा श्राद्ध करना चाहिए?
किसको करना चाहिए श्राद्ध?
******************
*पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके बड़े पुत्र को है लेकिन यदि जिसके पुत्र न हो तो उसके सगे भाई या उनके पुत्र श्राद्ध कर सकते हैं। यह कोई नहीं हो तो उसकी पत्नी कर सकती है। हालांकि जो कुंआरा मरा हो तो उसका श्राद्ध उसके सगे भाई कर सकते हैं और जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध