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#इतिहास में अद्वितीय है माता गुजरी, जिन्होंने अपने पति गुरु तेग बहादुर जी को भेजा था धर्मरक्षा हेतु शहीदी के लिए।

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नारी शक्ति की प्रतीक, वात्सल्य, सेवा, परोपकार, उत्सर्ग की शक्तिस्वरूपा माता गुजरी जी का जन्म #करतारपुर (#जालंधर) निवासी लालचंद व बिशन कौर जी के घर सन् 1627 में हुआ था। 8 वर्ष की आयु में उनका विवाह करतारपुर में श्री तेग बहादुर साहब के साथ हुआ।
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विवाह के कुछ समय पश्चात गुजरी जी ने करतारपुर में मुगल सेना के साथ युद्ध को अपनी आंखों से मकान की छत पर चढ़कर देखा। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी को लड़ते देखा और बड़ी दिलेरी से उनकी हौसला अफजाई कर अपनी हिम्मत एवं धैर्य का परिचय दिया।

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अपने पति गुरु तेग बहादुर जी को हिम्मत एवं दिलेरी के साथ कश्मीर के पंडितों की पुकार सुन धर्मरक्षा हेतु शहीदी देने के लिए भेजने की जो हिम्मत माता जी ने दिखाई, वह विश्व इतिहास में अद्वितीय है।
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सन 1675 में पति की शहीदी के पश्चात उनके कटे पावन शीश, जो भाई जीता जी लेकर आए थे, के आगे माता गुजरी जी ने अपना सिर झुकाकर कहा, 'आपकी तो निभ गई, यही शक्ति देना कि मेरी भी निभ जाए।'

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सन् 1704 में आनंदपुर पर हमले के पश्चात आनंदपुर छोड़ते समय सरसा नदी पार करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार बिछुड़ गया। माता जी और दो छोटे पोतें, गुरु गोबिंद सिंह जी एवं उनके दो बड़े भाइयों से अलग-अलग हो गए।

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सरसा नदी पार करते ही गुरु गोबिंद सिंह जी पर दुश्मनों की सेना ने हमला बोल दिया।

चमकौर साहब की गढ़ी के इस भयानक युद्ध में गुरु जी के दो बड़े साहबजादों ने शहादतें प्राप्त कीं।
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साहबजादा अजीत सिंह को 17 वर्ष एवं साहबजादा जुझार सिंह को 14 वर्ष की आयु में गुरु जी ने अपने हाथों से शस्त्र सजाकर मृत्यु का वरण करने के लिए धर्मयुद्ध भूमि में भेजा था।

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सरसा नदी पर बिछुड़े माता गुजरी जी एवं छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह जी 7 वर्ष एवं साहबजादा फतह सिंह जी 5 वर्ष की आयु में गिरफ्तार कर लिए गए।

उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खां के समक्ष पेश कर ठंडे बुर्ज में कैद कर दिया गया।

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और फिर कई दिन तक नवाब, काजी तथा अन्य अहलकार उन्हें अदालत में बुलाकर धर्म परिवर्तन के लिए कई प्रकार के लालच एवं धमकियां देते रहे।

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दोनों साहबजादे गरजकर जवाब देते, 'हमारी लड़ाई अन्याय, अधर्म एवं जोर-जुल्म तथा जबर्दस्ती के खिलाफ है। हम तुम्हारे इस जुल्म के खिलाफ प्राण दे देंगे लेकिन झुकेंगे नहीं।' अततः 26 दिसंबर 1704 को वजीर खां ने उन्हें जिंदा चुनवा दिया।
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साहिबजादों की शहीदी के पश्चात बड़े धैर्य के साथ ईश्वर का शुक्राना करते हुए माता गुजरी जी ने अरदास की एवं 26 दिसंबर 1704 को प्राण त्याग दिए। आज भी माता गुजरी जी के इस दिलेरी और बहादुरी भरे काम का सभी शुक्राना अदा करते है।

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29 Dec
Thread

"ना पहले आली हवा रही ना पहले आला पानी
होगी ख़त्म कहानी ना मिलती कोई चीज पुराणी"

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पहले आले कोई ईब ठाट ना रहे
जोहड़ उपर नहाया करते घाट ना रहे
घी तोल्या करती दादी वे बाट ना रहे
धोती खंडके आले ईब जाट ना रहे

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पेदल चल के जाया करते बाट ना रही
बालका प पड्या करती डाट ना रही
दरवाज्या में घली हुई खाट ना रही
गाम के मा बानिया की हाट ना रही

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26 Dec
Thread:

Chaar Sahibzaade: The unforgettable history of #Sikh heroism and sacrifice.

#SikhHistory
#ਮਾਤਾ_ਗੁਜਰੀ_ਦੇ_ਲਾਲ Image
The martyrdom of the four “Sahibzaade” (Sons) is an important and integral part of the Sikh history and the occasion of their martyrdom is remembered, and commemorated both with great vigour and very acute sadness,
#SikhHistory Image
by the Sikh community every year in the month of December, also known to be the month of “Poh”.

Chaar Sahibzaade, (‘Chaar’ means four and ‘Sahibzaade’ refers to the sons or scions, young men of genteel birth)
#SikhHistory Image
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24 Dec
Facts About #Sikhism
{SIK-ism} is a monotheistic religion that began over 500 years ago in the #Punjab region of #India. However, it remains one of the world’s least understood faith traditions. #Sikhs are always eager to educate people about their beliefs
#SikhHistory
and practices. And that means there are some really great resources out there to help kids learn more about it.
#SikhHistory
1️⃣. There Are Ten Human Gurus in Sikhism
The spiritual founders of Sikhism are the 10 human gurus. The first Guru, Guru #Nanak, was born in 1469. The last human Guru, Guru Gobind Singh, died in 1708. Each Guru contributed something of value to the faith tradition,
#SikhHistory
Read 23 tweets
22 Dec
Part : 1
#सिख धर्म , धर्म और दर्शन की स्थापना 15वीं शताब्दी के अंत में भारतीय उपमहाद्वीप के #पंजाब क्षेत्र में हुई। इसके सदस्यों को सिख कहा जाता है। सिख अपने विश्वास को गुरमत कहते हैं पंजाबी: "गुरु का मार्ग"

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सिख परंपरा के अनुसार, सिख धर्म गुरु 7 नानक (1469-1539) द्वारा स्थापित किया गया था और बाद में नौ अन्य गुरुओं के उत्तराधिकार के नेतृत्व में किया गया था। सभी 10 मानवसिखों का मानना ​​है कि गुरुओं में एक ही आत्मा का वास था।
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10 वीं की मृत्यु पर, गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708), शाश्वत गुरु की आत्मा ने खुद को सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ , गुरु ग्रंथ साहिब "गुरु के रूप में ग्रंथ" में स्थानांतरित कर दिया , जिसे आदि ग्रंथ के रूप में भी जाना जाता है।
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22 Dec
Part : 1

#Sikhism, religion and philosophy founded in the #Punjab region of the Indian subcontinent in the late 15th century. Its members are known as Sikhs. The Sikhs call their faith Gurmat (Punjabi: “the Way of the Guru”).
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#SikhHistory
According to Sikh tradition, Sikhism was established by Guru Nanak (1469–1539) and subsequently led by a succession of nine other Gurus.All 10 human Gurus, Sikhs believe,were inhabited by a single spirit. Upon the death of the 10th,Guru Gobind Singh (1666–1708).
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#SikhHistory
and subsequently led by a succession of nine other Gurus. All 10 human Gurus, Sikhs believe, were inhabited by a single spirit. Upon the death of the 10th, Guru Gobind Singh (1666–1708)..
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#SikhHistory
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