👉लुम्बिनी नेपाल मे यूरेशियन विदेशी बामन बौद्धो पर इस तरह से हमला कर रहे है, नेपाल की बामनवादी सरकार को शर्म आनी चाहिए #BIN_बुद्धिस्टइंटरनेशनलनेटवर्क भारत मे भी यूरेशियन विदेशी बामनो का जाहिर धिक्कार करता है, #BIN_बुद्धिस्टइंटरनेशनलनेटवर्क नेपाल की तरह भारत मे भी आंदोलन का
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का विरासत बचाओ देश बचाओ अभियान के तहत देशव्यापी आंदोलन| #awakenedbahujan
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का विरासत बचाओ, देश बचाओ अभियान के तहत देशव्यापी आंदोलन हुआ, देश के सभी जिलो के जिलाधिकारी कार्यालय मे लुंबिनी बुद्ध जन्म
स्थल, अजंता बौद्ध गुफाये और जुन्नर बौद्ध गुफाये विरासत को बचाने के लिए महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया है|
इस आंदोलन से लुंबिनी बुद्ध जन्म स्थल व अन्य विश्व धरोहरो की उचित दखल नही ली गई तो आनेवाले समय मे देश और विदेश मे उग्र आंदोलन करने की चेतवानी बुद्धिस्ट इंटरनेशनल
साथियो, बनारस-उत्तरप्रदेश के ताजुद्दीन नाम के इस शख्स को सउदी अरेबिया मे कॉन्ट्रॅक्ट लेबर के तहत काम करने के लिये ले जाया गया था, वहा पर उनका बिमारी के कारण इंतकाल हो गया था, लेकिन उनकी डेड बॉडी को भारत मे लाने मे उनका गरीब परिवार के
लिए नामुमकीन था, जब यह बात राष्ट्रीयमुस्लिममोर्चा को पता चली तो उन्होने सउदी अरेबिया मे रह रहे #बामसेफ_भारतमुक्तिमोर्चा परिवार के लोगो के साथ फोन पर बातचीत की और उन्होने इस डेड बॉडी को सउदी अरेबिया से भारत लाने का पूरा इंतजाम कर दिया, कल उनकी डेड बॉडी बनारस-उत्तरप्रदेश आ गयी है|
BINबुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क
विरासत/विश्व धरोवर बचाओ आंदोलन
बुद्ध जन्मभूमि लुंबिनी और अजंता गुफाओ को विदेशी ब्राह्मणो द्वारा अतिक्रमण करने तथा उसकी गरिमाओ को खराब करने के विरोध मे देशव्यापी आंदोलन की घोषणा👈
मा.वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, बामसेफ, राष्ट्रीय संरक्षक)
#ब्रह्म और #ब्राह्मण संस्कृत भाषा का शब्द है, और #संस्कृत भाषा का लेखनी नागरी लिपि की #वर्णमाला द्वारा ही सम्भव है| और #नागरी लिपि की वर्णमाला का क्रमिक विकास नौवीं सताब्दी बाद बाह्मी लिपि की वग्गमाला से हुआ है| देखे #चित्र 👉1 और #वैदिक संस्कृत या #क्लासिकल संस्कृत भाषा का मिलना
होता है| जैसे- बंदर एक जातिवाचक नाम है और एक बंदर नाम की प्रवृति या गुण मनुष्य मे पाया जाता है| यानी एक बंदर नाम की जाति और दूसरा बंदर नाम का गुण स्वभाव मनुष्य मे| इसलिए बम्ह और ब्रह्म, बाम्हण और ब्राह्मण के लेखनी का अंतर और अर्थ मे अंतर समझने के लिए, अभिलेखो की दुनिया मे चलना
*किसी भी देश समाज मे मानवता उसकी वैचारिक स्वतंत्रता पर निर्भर करता है|*
*जो समाज जितना ज्यादा वैचारिक रूप से स्वतंत्र होगा, वह उतना ही ज्यादा मानववादी होगा|*
*लेकिन भारतीय समाज शिक्षित और उम्रदराज होने के बाद भी मानसिक गुलाम है, काल्पनिक ईश्वरीय अस्तित्व मे बंधा है, सामंती बाबाओ
के चमत्कार मे फंसा है|*
*अब जिस समाज का बाबा ही सामंतवादी हो, तो उसका चेला मानववादी कैसे बन जायेगा?*
*यही सामंतवाद उसके चेले द्वारा गांव कस्बो मे जायेगा, और पूरे तालाब को गंदा कर देगा|*