मला हे अजिबात पटत नाही
मला जे पटते आणि योग्य वाटते ते सर्वथैव सामाजिक दृष्टीने योग्य आहे
कारण ज्या पुरुषाला स्त्री मध्ये फक्त मादी च दिसते
अश्या पुरुषासमोर जर एखादी अर्धनग्न सो कॉल्ड पुढारलेली मुलगी अथवा स्त्री आली
तर त्याच्या भावना चेकाळून जाऊन एखादी असहाय मुलगी शिकार
होते .
ह्याला दोषी कोण?
ती मुलगी ?तो पुरुष?की दोघेही?
मी कोणाचेच समर्थन करणार नाही कारण दोघेही चूकच आहेत
तोकडे कपडे घालून बीभत्स दर्शन घडवणे हे कितपत योग्य हे त्या त्या मुलीने ठरवावे
त्या त्या मुलीने ठरवावे की आपल्या ह्या दर्शनाने आपण सैतान जागा करतोय
आता कोणीतरी तकलादू समर्थन
करेल त्याची तर मला कीव येईल
तो किंवा ती व्यक्ती असेही म्हणेल की लहान मुलींवर (4 ते 5 वर्षे वय)जे रेप होतात ते रेप असे कपडे बघितल्याने होतात काय?
प्रश्न साधाच आहे हा पण ह्या प्रश्नातूनच बीभत्सपणाची पाठराखण करतानाच आपल्याला भारतीय संस्कृतीचा अभिमान आहे ह्याची जाणीव करून द्यायचीय
आता कितीतरी जुन्या काळातील उदाहरणे समोर ठेवली जातील
ते जाऊ दे
पण हे जे कोण लहान मुलींबरोबर असली कृत्ये करतात त्यांना व्यक्तिशः मी माणूस मानतच नाही
पण कायदा तरीही त्यांना माणूस मानतो व कायद्याने (सिद्ध झाला तर) शिक्षा देतो
त्यामुळे माझे विधान खोडून काढण्याऐवजी ते चूक आहे हे मला
पटवून द्या
माझे विधान खोडण्याऐवजी त्याच्या समर्थनार्थ जो मुद्दा मी दिलाय तो खोडुन दाखवा
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टॉपिक है वामपंथी हिंदू और वामपंथी इस्लामी विचारधारा और उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता
1 हिंदू वामपंथी और 1 मुस्लिम वामपंथी में क्या फर्क है? देखे
कुछ दिन पहले म जब 1 लेखक उदय शंकर जिन्होंने भारत में अवार्ड वापसी गैंग की शुरुआत की थी उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए ₹5001 का
डोनेशन दिया और डोनेशन की रसीद को अपने फेसबुक वॉल पर लगाकर कहा कि मैंने आज मंदिर निर्माण के लिए अपना डोनेशन दिया है
कमेंट देखा तो तमाम वामपंथी हिंदू उन्हें कोस रहे यहां तक कि कुत्रकार अजीत अंजुम की लेखिका पत्नी भी उन्हें खूब बुरा भला लिख रही है और राम मंदिर को खूनी मंदिर कह
रही है।
अब कुछ मुस्लिम वामपंथियों पर आते हैं
सज्जाद जहीर कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और उन्होंने पाकिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ पाकिस्तान का गठन किया था
बंटवारे के पहले मुंबई में जब कम्युनिस्ट पार्टी का सम्मेलन हो रहा था
43 साल पुराना खूनी राजनीति का वही खेल आज फिर दोहराया जा रहा है...
1977 में देश की जनता कांग्रेस को सत्ता से बुरी तरह बेदखल कर दो तिहाई बहुमत के साथ जनता पार्टी को सत्ता सौंप चुकी थी। पंजाब में भी जनता पार्टी और अकाली दल के गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर
दिया था और कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे ग्यानी झैलसिंह द्वारा किये गए भयंकर भ्रष्टाचार की जांच के लिए गुरदयाल सिंह जांच आयोग बनाया था। इस आयोग की जांच की शुरूआत के साथ ही झैलसिंह का जेल जाना तय होने लगा था। इन परिस्थितियों से निजाद पाने के लिए
कांग्रेस ने एक योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत संजय गांधी और झैलसिंह ने पंजाब से सिक्ख समुदाय के दो धार्मिक नेताओं को दिल्ली बुलाकर बात की थी। संजय गांधी और झैलसिंह की जोड़ी को उन दोनों में से 1 काम का नहीं लगा था क्योंकि वो उतना उग्र आक्रमक नहीं था
अब फिर साबित हुआ - ये किसान आंदोलन नहीं है
इसे कहते हैं राहुल का लड़कियों के पीछे छुपना -
रफाल खरीद पर जब राहुल गाँधी पी एम् मोदी
को चोर कह रहा था, तब लोकसभा में निर्मला
सीतारमण ने 8 जनवरी, 2019 को खरीद के
वित्तीय प्रावधान समझाए थे -
राहुल गाँधी ने तब आरोप लगाया था कि 56 इंच
की छाती होने का दावा करने वाला प्रधान मंत्री
एक महिला के पीछे छुप गया और उसे कहा कि
मुझे बचा लो मगर वो मोदी को बचा नहीं सकी -
आज 26 जनवरी से 10 दिन में दूसरी बार
साबित हुआ कि ये कोई किसान आंदोलन
नहीं चल रहा बल्कि
आंतरराष्ट्रीय स्तर का
षड़यंत्र चल रहा है मोदी के खिलाफ मगर
ये भेद खुलने में देर नहीं लग रही --
26 जनवरी की हिंसा ने साबित किया कि
ये किसान आंदोलन नहीं है -
अब कल एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश का
पर्दाफाश हुआ जब पता चला कि राहुल
गाँधी एक नहीं 3 लड़कियों के पीछे छुपा
शेतकऱ्यांना कायम सतावणारी बाब म्हणजे शिंपणे
हे जर शिंपणे जर शेतकरी वेळ काढून करू लागला तर शेतात पाणी मिळून चांगले पीक येते
मी स्वतः नोकरीत ही आहे आणि मसाला शेतकरी आहे
मी शेतावर सागवान लागवड करून त्यावर मिरी चढवली आहे आणि बाकी इतरत्र मोकळ्या जागेत व चौफुल्यावर (सावली येते)वेलची,
जायफळ ,लवंग,दालचिनी अशी लागवड केली आहे
व जो काही खराबा होता तिथे वेगवेगळ्या प्रकारचा आंबा व काजू लावला आहे
प्लॉट घेतला तेव्हाच तिथे आपोआप रुजून आलेली कोकमाची झाडे तब्बल 11 होती त्यामुळे कोकमाचा प्रश्न उरलाच नव्हता
राहता राहिला लिंबू व सीताफळ आणि जाम (आम्ही विलायती काजू म्हणतो)
अशी निवडक झाडे कोपरे बघून लावली
सोलर पंप (स्वखर्चाने) बसवला प्लॉट ला लागूनच बारमाही जिवंत ओढा (40 फूट रुंद,3 फूट खोलआणि पावसात रौद्रभीषण) असल्याने विहिरीचा विषय नव्हता
रीतसर सरकारी कागद रंगवून पाणीपट्टी भरून सोलर बसवला
साग थोडा उंचीवर आल्यावर त्यावर मिरी चढवली
आणि नंतर तारांबळ
हर परिवार से 1 आदमी किसान आंदोलन में चलो’ – पंजाब की पंचायतों का तुगल की फरमान, नहीं तो ₹2100 जुर्माना*
दिल्ली और आस-पास के कई राज्यों में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ के रविवार (जनवरी 31, 2021) को 4 महीने पूरे हो गए हैं। इसके बावजूद इसमें और ईंधन झोंकने की कवायद जारी है।
पंजाब में अब पंचायतों ने फरमान जारी करना शुरू कर दिया है। कई पंचायतें अपने-अपने गाँव के प्रत्येक परिवारों को कम से कम एक सदस्य आंदोलन में दिल्ली भेजने का फरमान सुना रही है। पंजाब में ऐसी कई पंचायतें हैं।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि ऐसे फरमान पंचायतों के आधिकारिक लेटर हेड पर
जारी किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस परिवार का कोई सदस्य दिल्ली में चल रहे ‘किसान आंदोलन’ में नहीं गया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इससे पहले किसान एक्टिविस्ट्स को टास्क सौंपा गया था कि वो भीड़ जुटाएँ और लोगों को दिल्ली लेकर जाएँ। ”