क्या था रामानुजन के ज्ञान का स्रोत और उनकी कुल देवी महान गणितज्ञ की कहानी।

जब बीमार रामानुजन ने बिस्तर पर पड़े-पड़े कहा, ये नंबर बहुत खास है

X +√y = 28
√x+y = 14

क्या आप इस दो लाइन के सवाल को बिना ग्राफ और इंडक्शन मेथड (सीधे x और y की वैल्यू रखना) के बिना हल कर सकते हैं? Image
अगर हां, तो कोशिश कर लीजिए हो सकता है गणित की अगली महान खोज का श्रेय आपको ही मिल जाए. वैसे मैं आपको बता दू कि इस सवाल का जवाब (x=25 और y= 9) है. इसके बाद भी मन हो तो कोशिश कर के देख सकते हैं.। दरअसल ये एक छोटी सी मिसाल है 22 दिसंबर को पैदा हुए श्रीनिवास रामानुजन की महान
प्रतिभा की. जिन्हें सिर्फ एक गणितज्ञ कह देना उनकी प्रतिभा को अंडररेट करना है।

13 साल की उम्र में रामानुजन को SL Loni की त्रिकोणमिति की किताब मिली. रामानुजन ने किताब खत्म की और कुछ अपनी नई थेओरम बना दीं.।
प्रोफेसर हार्डी ने रामानुजन को एक बार एक टैक्सी नंबर 1729 के बारे कहा की मुझे नहीं लगता कि इस नंबर में कोई खासियत है.”

बीमार रामानुजन ने बिस्तर पर पड़े-पड़े ही कहा ये बहुत ही रोमांचक नंबर है. ये ऐसा सबसे छोटा नंबर है जिसे दो अलग-अलग क्यूब सीरीज़ में एक्सप्रेस किया जा सकता है
1729 = 13 + 123 = 93 + 103
इस नंबर को आज रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है।

रामानुजन अपने साथी हार्डी से कैसे मिले।
दरसल  1913 में. जब उन्होने प्रसिद्ध अंग्रेज़ गणितज्ञ प्रो. जीएच हार्डी को 10 पन्ने की एक चिट्ठी लिखी. हार्डी को लिखे रामानुजन की चिट्ठी के कुछ अंश इस तरह हैं:
श्रीमान, मैं मद्रास में पोर्ट ट्रस्ट के एकाउंट विभाग में सालाना 20 पाउंड कमाने वाला एक क्लर्क हूं. मेरी उम्र लगभग 23 साल है. मेरे पास विश्वविद्यालय की डिग्री तो नहीं है, लेकिन मैंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की है. स्कूल छोड़ने के बाद मैं खाली वक्त में गणित पर काम करता हूं.
मैं उस पारंपरिक कोर्स से कभी नहीं गुजरा जो यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है, लेकिन मैंने अपने लिए एक नया रास्ता बनाया है. मैंने डायवर्जेन्ट सीरीज पर विशेष रिसर्च किया है और जो नतीजे आए हैं उसे स्थानीय गणितज्ञ चौंकाने वाला बता रहे हैं.
रामानुजन ने इस चिट्ठी में स्वयं द्वारा खोजे गए थ्योरम्स को भी अलग से संलग्न किया. संलग्न पृष्ठों में बीजगणित, त्रिकोणमिति, और कैलकुलस की शब्दावली में अपने निष्कर्षों को लिखा था.

रामानुजन ने हार्डी को लगभग 120 थ्योरम्स जो कि निश्चितात्मक-अवकलन के मान निकालने, अनंत श्रेणियों के
योग निकालने, श्रेणियों को समाकलनों से परिवर्तित करने, और इनका निकटतम मान निकालने आदि से संबंधित थीं. पहली नजर में हार्डी को यह चिट्ठी किसी शेखचिल्ली की गप्प लगी. लेकिन जब उन्होंने गौर से इसे देखा तो इनमें बहुत से थ्योरम्स ऐसे थे जो उन्होंने न कभी देखे थे और न सोचे थे. बहुत
कोशिशों के बावजूद हार्डी को रामानुजन के थ्योरम्स के सिर-पैर नहीं मिले. हार्डी ने अपने सहयोगी जे.ई.लिटिलवुड के साथ मिलकर रामानुजन् के कार्य की गम्भीरता से जाँच की. इसके बाद हार्डी को यह समझ में आ गया कि यह कोई शेखचिल्ली नहीं बल्कि गणित का बहुत बड़ा विद्वान है
जिसकी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाना बेहद जरूरी है हार्डी ने रामानुजन को कैम्ब्रिज आने का न्योता दिया।
जब रामानुजन से पूछा गया कि आपके ज्ञान का श्रोत क्या है तब उन्होंने कहा कि देवी नामागिरी मेरी कुल देवी है जिसे मेरा परिवार कई पीढ़ियों से मानता आया है माता नामगिरी ही मुझे सपनो मैं आकर सब कुछ बता देती है। वे कहते है कि माता नामगिरी ने उनसे कहा कि तुम एक बड़ी खोज का निर्माण करोगे Image
जिस मैं मनुष्य कई सदियों तक उलझे रहेंगे।

1920 में रामानुजन की तबीयत काफी खराब हो चुकी थी. वे भारत वापस आ गए थे. मृत्युशैय्या पर पड़े इस गणितज्ञ ने एक पत्र हार्डी को भेजा. इस पत्र में 17 नए फंक्शन लिखे हुए थे. साथ ही ये हिंट दिया गया था कि ये सभी फंक्शन थीटा (साइन थीटा,
कॉस थीटा जैसे) से जुड़े हुए हैं. इसमें से एक फंक्शन मॉक थीटा का था. रामानुजन ने ये कहीं नहीं लिखा था कि ये फंक्शन कहां से आया, कैसे सिद्ध हुआ, इसका कहां और क्या इस्तेमाल है? और इसकी क्या ज़रूरत है? लंबे समय तक ये मॉक थीटा एक पहेली बना रहा. इन पर
दुनिया भर के विद्वान अपना सर खपाते रहे. 1987 में गणितज्ञ फ्रीमैन डायसन ने लिखा, ये मॉक थीटा कुछ बहुत बड़े की तरफ इशारा करता है मगर इसे समझा जाना बाकी है.

फ्रीमैन जिस बहुत बड़े की बात कर रहे थे, उसे जानने के लिए वापस 1916 में जाना पड़ेगा.
1916 में चोर अल्बर्ट आईंस्टीन ने भारतीय शास्त्रो के आधार पर एक छोटा सा फॉर्मूला दिया. E=mc2 का ये छोटा सा सिद्धांत विज्ञान में भगवान का दर्जा रखता है. इसी सिद्धांत के ऊपर एक खोज हुई जिसे ब्लैकहोल कहा जाता है.
इसे जब 2002 में समझा गया तो पता चला कि रामानुजन का 1920 में खोजा गया मॉक थीटा ब्लैकहोल के फंक्शन को समझने के लिए ज़रूरी है. आज भी मॉक थीटा का इस्तेमाल ब्लैक होल के नेचर को समझने में होता है.
1920 में रामानुजन के पास कोई कंप्यूटर नहीं था. गणना करने के टूल नहीं थे. अंतरिक्ष में जाना और उसकी गणना करना तो कल्पना ही था. ऐसे में तमिलनाडु के एक क्लर्क ने कैसे अपने से 100 साल बाद की खोजों के लिए गणित के फॉर्मूलों की नींव रख दी.
आप इसे चमत्कार कहिए या कुछ और मगर एक सत्य यह भी है इस देश ने रामानुजन और उसके बाद के गणितज्ञों को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे।

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