Brothers! I must have been very angry after reading that title. Now pay attention
First, the parents of the house gave permission to the women to go out, then after some time the men gave approval for the speech, then the phone was also.
stopped. Then the ban was removed from coming and going with the great men. Now by being naked in the phone, wearing lingerie, giving permission to dance and becoming a whore to get likes/shares. The Western Mlechho's plan was successful.
The parents have already prepared the girls to be raped, now after some time it will not stop till they become rape victims and sit at home. After this, the parents will start to understand rape as simple, then the women of the house will sell the youth.
And just as today Shashan is unable to stop this nudity demonstration, then it will be unable to stop rape too.
What to say about the girls, this sensual lull not only fascinates women with a stronger pleasure than men, there is a story of Bhangaswan in the Mahabharata.
Many women even now allow one or more men to corrupt their modesty in the name of friendship. And then she gets the abortion done with impunity. Where is this a big deal for these shameless women?
In this, the most and absolutely the fault lies with the parents, they are punishable. Holding the phone in the hands, there is no darkness in the prostitute-dance, so it is the fault of the brothers who bring the lights.
Today this is happening in every other house, thousands of apps like Tiktok have flooded. Febu also has the same nudity in the reel.There is going to be a lot of famine in the future of noble maidens, and the hypocritical women who feed the wolves are about to roam around naked
The magnitude of the situation is not visible to the short-sighted at present.
Today, if a gentleman teaches civilization by looking at the torn clothes of a girl, then the parents of Mlechho and the followers of western world feel very sad,
then where will these people take their karma? They will enjoy it.
According to my opinion, girls should plant only good knowledge from childhood, worshiping their husbands, preparing delicious food, cooking, etc., giving affection to younger brothers and children,
slow respectful words with sweet throats. If some people call you backward, then in your mind imagine the coming downfall after their advance.
Today's society has become so low that it is difficult to guess how much our ancestors must have been spitting above.
Nowadays no one even cares about their satisfaction, just keeping the human yoni as a bhogyoni. The burden of one such person is heavier than the burden of 10 lakh crore elephants on Mother Earth.
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ancient.bharat The world credited Sir Issac Newton, the English astronomer, mathematician and physicist, for discovering Gravity. In 1687 he published a book called - Philosophiae Naturalis Principia Mathematica - In which he presented a theory of Universal Gravitation.
But Gravity is a concept that Ancient Indians have known for Longer The concept was so prevalent and revered that references abound. For instance, the Rig Veda-1-103-2 explains: "The gravitational effect of Solar System keeps the earth stable."
Rishi Pippalada in the text, Prashnopanishad states, "The mother divinity in the earth helps the apana by supporting it." As per Ayurveda, apana is the force equivalent to gravity, present in the middle of the body. In all living beings, it aids the bodily functions of:
भीमराव अंबेडकर महार जाती से थे जो कि एक बहिष्कृत समाज था अब सवाल ये उठता है कि महारो का बहिष्कार क्यों किया गया था।
ज्यादातर महारो का बहिष्कार दलितों ने ही किया हुआ था ना महारो को बेल गाड़ी मैं बिठाया जाता और ना ही उन्हें कोई पानी पीने देता ओर नाही कोई उन्हें अपने पास बिठाता।
जैसा कि आप फ़ोटो मैं देख सकते है भीमराव अंबेडकर खुद बहिष्कृत परिषद का आयोजन कर रहे है और जागरूकता फैलाते है कि महारो की गलतियों को अनदेखा किया जाए और सभी उन्हें अपनाने लगे।
तो चलिए सुरू करते है कि महारो का बहिष्कार क्यों किया गया था
1857 की क्रांति के बाद आम नागरिकों ने अंग्रेजो के वफादार रहे सैनिकों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था।
यहां पे एक चीज गौर करने योग्य है कि अंग्रेजो की सेना में ज्यादातर था कौन। जैसा कि #अम्बेडकर लिखते है कि अंग्रेजो की सेना में सभी #अछूत थे ये वो लोग थे जो भारत को अंग्रेजो
ब्राह्मण शूद्रों को अछूत मानते थे, आइये जानते हैं इसकी असलियत
जब ब्राह्मणों के घर ब्रह्मभोज होता था तो उनके यहाँ जो दोना पत्तल लगता था वो मुसहर (महादलित) लेके आता था, जो पानी भरा जाता था वो कहार भरते थे, जो मिट्टी का बर्तन यूज होता था वो कुम्हार बनाते थे।
जो आवश्यक कपड़े लगते थे वो जुलाहे के यहाँ से आते थे, जो जनेऊ होती थी उसे शूद्र कारीगर ही बनाते थे, हाथ में जो कलावा पहनते हैं ये भी शूद्र समाज ही बनाता था, नदी जब पार करते थे तो उसे मल्लाह पार करवाता था, अनाज किसानों के यहाँ से आता था और दूध अहिरों के यहाँ से आता था।
छूत अछूत वाली सारी कहानी यहीं धराशायी हो जाती है, ब्राह्मणों ने ऐसे समाज की रचना की थी जहाँ सबको बराबर काम आवंटित होता था और 90% क्षेत्रों में शूद्रों को आरक्षण दिया गया था, ब्राह्मण सिर्फ शिक्षा का काम संभालते थे और क्षत्रिय राज-काज का, जबकि वैश्य व्यापार का, मैनुफैक्चर सेक्टर
क्या था रामानुजन के ज्ञान का स्रोत और उनकी कुल देवी महान गणितज्ञ की कहानी।
जब बीमार रामानुजन ने बिस्तर पर पड़े-पड़े कहा, ये नंबर बहुत खास है
X +√y = 28
√x+y = 14
क्या आप इस दो लाइन के सवाल को बिना ग्राफ और इंडक्शन मेथड (सीधे x और y की वैल्यू रखना) के बिना हल कर सकते हैं?
अगर हां, तो कोशिश कर लीजिए हो सकता है गणित की अगली महान खोज का श्रेय आपको ही मिल जाए. वैसे मैं आपको बता दू कि इस सवाल का जवाब (x=25 और y= 9) है. इसके बाद भी मन हो तो कोशिश कर के देख सकते हैं.। दरअसल ये एक छोटी सी मिसाल है 22 दिसंबर को पैदा हुए श्रीनिवास रामानुजन की महान
प्रतिभा की. जिन्हें सिर्फ एक गणितज्ञ कह देना उनकी प्रतिभा को अंडररेट करना है।
13 साल की उम्र में रामानुजन को SL Loni की त्रिकोणमिति की किताब मिली. रामानुजन ने किताब खत्म की और कुछ अपनी नई थेओरम बना दीं.।
युधिष्ठिर को युवराज के रूप में क्यों नियुक्त किया गया था? / बलराम भीम के गुरु कैसे बने? / पांडवों ने यूनान (ग्रीस) तक अपने राज्य का विस्तार कैसे किया?
एक वर्ष बीतने के बाद, धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर को युवराज के रूप में उनके निरंतर, दयालु, सरलता, सहयोग आदि के महान गुणों के लिए नियुक्त किया, क्योंकि वे हस्तिनापुर के लिए एक सक्षम प्रशासक साबित होंगे। जल्द ही युधिष्ठिर की महिमा पांडु से अधिक हो गई।
इस बीच भीम गदा के माध्यम से युद्ध की कला और युद्ध में रथ के उपयोग की कला सीखने के लिए बलराम के पास गए। भीम इस कला में बलराम के समान हो गए। वह वापस आए और अपने भाइयों के साथ रहने लगे। विभिन्न प्रकार के बाणों को तेजी से निशाना बनाकर अर्जुन अपनी मुट्ठी से धनुष को पकड़ने की कला में
भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते है कि तुम्हे यह गीतारूप रहस्यमय उपदेश किसी भी कालमें न तो तपरहित मनुष्यसे कहना चाहिये , न भक्तिरहितसे और न बिना सुननेकी इच्छावालेसे कहना चाहिये तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है , उससे भी कभी नहीं कहना चाहिये ।
जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्रको मेरे भक्तोंमें कहेगा , वह मुझको ही प्राप्त होगा - इसमें कोई सन्देह नहीं है । मेरा उससे बढ़कर प्रिय कार्य करनेवाला मनुष्योंमें कोई भी नहीं है तथा मेरा पृथ्वीभरमें उससे बढ़कर प्रिय दूसरा कोई भविष्यमें होगा भी नहीं ।
तथा जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनोंके संवादरूप गीताशास्त्रको पढ़ेगा , उसके द्वारा मैं ज्ञानयज्ञसे पूजित होऊँगा -ऐसा मेरा मत है जो पुरुष श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टिसे रहित होकर इस गीताशास्त्रका श्रवण भी करेगा वह भी पापोंसे मुक्त होकर उत्तम कर्म करनेवालोंके श्रेष्ठ लोकोंको प्राप्त होगा।