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Meenakshi Sharan @meenakshisharan
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कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को,
वराह पुत्र नरकासुर ने अपने वध से पहले
#श्रीकृष्ण के समक्ष इच्छा प्रकट की,
कि, उसकी दुष्‍ट प्रवृत्तियां को #नरक_चतुर्दशी के रूप में, हर व्यक्ति,
‘अपनी बुराइयों के अन्त के उत्सव’ के रूप में मनाए।
समस्त भारतीयों को #दीपावली की शुभकामनाएँ🙏🏻
#नरक_चतुर्दशी को ही भगवान श्रीविष्णु ने राजा बलि को वामन अवतार में प्रकट होकर,हर वर्ष दर्शन देने का आशीर्वाद दिया🙏🏻

कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी की अर्धरात्रि को अंजनी पुत्र श्रीहनुमान जी का जन्म भी हुआ🙏🏻

विष्णु-लक्ष्मी, हनुमान, यमराज जी की पूजा भारतीयों केलिए शुभ हो #दीपावली
कार्तिक मास,कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर समुद्र मंथन से श्रीधनवंतरी प्रकट हुए
दो दिन पश्चात् महालक्ष्मी प्रकट हुयीं,तभी से अमावस पर उनके स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं
द्वापर युग में नरकासुर वध करके लौटने पर श्रीकृष्ण के स्वागत में अमावस्या पर द्वारका में दीपक जलाने की परंपरा चली
#दीपावली की परंपरा
त्रेतायुग में रावण वध के बाद #श्रीराम के अयोध्या लौटने पर स्दीपक जलाए गए।

धनतेरस से दीपावली, ३ दिन में ३ कदमों से श्रिहरी वामन ने ब्रह्मांड नाप लिया,
राजा बलि ने इन ३ दिनों में यम दीपदान, लक्ष्मीजी की अराधना द्वारा मृत्यु भय और गरीबी से मुक्ति का वर मांगा।
कार्तिक शुक्लपक्ष प्रतिपदा
श्रीविष्णु साक्षात अंश, पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण, श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का मानमर्दन कर गोवर्धन पर्वत अपनी कानी उंगली पर उठाकर ७दिन तक ब्रजवासियों को शरण में रखकर, स्वयं गोवर्धन रूप धर पूजा ग्रहण कर
ब्रजवासियों को गौ-धन और पर्यावरण के महत्व का ज्ञान दिया।
कार्तिक मास,शुक्ल पक्ष द्वितीया(यम द्वितीया) को सूर्य पुत्र यमराज अपनी बहन यमुना के गए, और हर वर्ष आने का वचन दिया।
नरकासुर वध कर लौटे श्रीकृष्ण का बहन सुभद्रा ने तिलक किया और स्वागत में दीये जलाए।
पुण्य प्राप्ति के लिए भाई दूज भाई-बहन के यमुना जी में स्नान करने की भी प्रथा है।
कार्तिक मास,शुक्ल पक्ष द्वितीया को ब्रह्माजी के चित् से जन्मे,प्राणियों के कर्मों का ब्योरा लिखनेवाले,भगवान चित्रगुप्त की पूजा होती है। गरुड़ पुराण के अनुसार,हर प्राणी के आस पास श्रवण नामक गण रहते हैं जो उसके हर अच्छे-बुरे कर्म का ब्योरा चित्रगुप्त को देते हैं।
#चित्रगुप्त_पूजा
बल, बुद्धि, साहस, शौर्य के लिए की जाने वाली #चित्रगुप्त_पूजा के बिना की गई हर पूजा अधूरी मानी जाती है।
शरशैया पर भीष्म पितामह ने भी मुक्ति के लिए #चित्रगुप्त पूजन किया था।

कायस्थ समुदाय को भगवान चित्रगुप्त का वंशज माना गया है।
#चित्रगुप्त के वंशज,दिवाली से दूज तक कलम स्पर्श नहीं करते।
दूज पर कलम के आराध्य देव, चित्रगुप्त और कलम पूजन के बाद,सबसे पहले परिवार के बुजुर्ग
ॐ चित्रगुप्ताय नमः लिखते हैं।

मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।
#ReviveATraditionChallenge
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