1/ जब सारा देश ही वैदिक रीति-रिवाजों को भूल गया है, सूर्य षष्ठी हम बिहारियों का सबसे बड़ा महापर्व है। एक पूर्णरूपेण वैदिक त्यौहार। वैदिक देवता, प्राकृतिक ईश्वर की आराधना का #ChhathPuja. वेदों को ज़िंदा रखना है, इसीलिए छठ ज़रूरी है। कोई मूर्तिपूजा नहीं। किसी पंडित की...
2/ ...ज़रूरत नहीं। पुरुषों की ज्यादा आवश्यकता नहीं। महिलाएँ ही प्रभार में होती हैं, अधिकांश वही इस पर्व को करती हैं। महिलाओं की प्रधानता का प्रतीक है छठ। सामाजिक एकता को पुनर्जीवन देने का मौका है छठ। मूर्तिपूजा और पंडितों के बिना भी कोई बड़ी पूजा हो सकती है, इसका सबसे...
3/ ...बड़ा उदाहरण है छठ।
4/ सूर्य.. वेदों के देवता हैं। जब राम और कृष्ण की भी पूजा न के बराबर होती होगी, तब सूर्य पूजे जाते थे। अग्नि के साथ वो विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक ऋग्वेद के भी प्रमुख देवताओं में से एक हैं। ऋग्वेद में उन्हें द्युलोक का रक्षक माना गया है। वेदों में अंतरिक्ष का अर्थ...
5/ ...है सूर्य व अन्य प्रकाशमान पदार्थों और पृथ्वी के मध्य की चीजें। इसमें वायुमंडल भी आ जाता है। सूर्य की किरणों की ऋग्वेद में अनेकों बार चर्चा की गई हैं। ऋग्वेद में उन्हें विश्व-देव्यावता (समस्त देवगणों के प्रभाव वाला) और विश्वकर्मणा (सर्वकर्म सामर्थ्य वाला) कहा...
6/ ...गया है।
7/ आप मुझे बताइए, वैदिक देवी-देवताओं में से अग्नि, इंद्र, वरुण, वायु या रुद्रों की पूजा अब कहाँ होती है? वो भी इतने बड़े स्तर पर। छठ महापर्व ने सूर्य की पूजा के रूप में इसे ज़िंदा रखा है। जल में रह कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। खरना के दिन अग्नि में होमाद देते हैं, दीप...
8/ ...और धूना जलाते हैं। जल और अग्नि का प्रयोग करते हुए सूर्य की आराधना का पर्व है छठ। मैं कहता हूँ कि ये विश्व का प्राचीनतम त्यौहार होगा, जो अब तक इतने बड़े स्वरूप में जीवित है। पुराण, रामायण, महाभारत - इन सबके लिखे जाने से पहले से होता आ रहा है छठ।
9/ छठ में भूमि के भीतर से निकली चीजों का विशेष महत्व है - मूली, अदरक, अरुआ, सुथनी इत्यादि खरना, अर्घ्य और हाथी - तीनों मौकों पर प्रयोग में लाए जाते हैं। इन चीजों को बाँस की टोकरी, दौर या छईटा में डालते हैं, जिन्हें गाँवों में सामान्यतः डोम समुदाय द्वारा बुना जाता है।...
10/ ...अलग-अलग जाति-समुदाय के लोग पान, फूल इत्यादि दे जाते हैं। हर समाज की सहभागिता का प्रतीक है छठ। घाट पर कोई किसी से जाति नहीं पूछता। छठ सबका है। सूर्य सबके हैं। सूर्य की किरणें ज्ञानी-अज्ञानी, सजीव-निर्जीव और लौकिक-अलौकिक, अभी को प्रकाशमान करती हैं।
11/ छठ विज्ञान का पर्व है। सामवेद में लिखा है - "आयं गौः पृश्निरक्रमीदसदन्मातरं पुरः । पितरं च प्रयन्त्स्वः ॥६३०॥" अर्थात कि सूर्य की 2 प्रकार की गति होती है - एक इसके इसकी धुरी पर कर एक इसके अक्ष पर। प्राचीन काल में सिद्ध ऋषि-मुनि छठ जैसी प्रक्रिया का पालन करते हुए...
12/ ...बिना खाए-पिए सूर्य किरनों से कॉस्मिक ऊर्जा प्राप्त किया करते थे। छठ 'Photoenergization' की एक सटीक प्रक्रिया है, जिससे हमारा नर्वस सिस्टम मजबूत होता है। आइए, थोड़ा और अच्छे से समझते हैं।
13/ जब सूर्य षष्ठी होती है, तब शीत ऋतु का आगमन हो रहा होता है। शरीर गर्मी और बारिश के मौसम के बाद शीत में प्रवेश करता है, ऐसे में मन एवं इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए 36 घण्टों के उपवास के साथ सूर्य के माध्यम से व्रती अपने शरीर मे ऊर्जा का जो संचार करते हैं, वो...
14/ ...उन्हें अगले कुछ हफ्तों तक स्वस्थ रखता है। शाम को और सुबह जलाशय में खड़े रह कर ऐसा करते हैं, इससे शरीर की सहनशक्ति भी मजबूत होती है, इतने देर के उपवास से गर्मी व वर्षा ऋतु में शरीर मे जो विजातीय द्रव्य जमा हो जाते हैं, उनका निष्कासन होता है सो अलग।
15/ अगर कथाओं की भी बात करें तो सूर्य षष्ठी का महत्व है। अंग प्रदेश का राजा कर्ण महाभारतकाल में इस पर्व को किया करते थे। द्रौपदी ने भी किया था, ऐसा कहते हैं। जब कुंती अपने बेटे कर्ण से मिलने जाती है, तब वो अस्ताचलगामी सूर्य की ही पूजा कर रहे होते हैं। ये चर्चा बहुत...
16/ ...बार हो चुकी है कि दुनिया में और कहीं भी डूबते सूर्य की पूजा नहीं होती। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी षष्ठी माता का जिक्र है, जिन्हें हम छठी मइया कहते हैं। उसमें वो संतान प्रदायिनी हैं। नवरात्रि में षष्ठी के दिन माँ कात्यायिनी की पूजा होती है। कार्तिक मास की षष्ठी...
17/ ...को छठी मइया की।
18/ रामायण और महाभारत के बिना हमारा कोई पर्व अधूरा ही रहेगा। कुंती ने महाभारत में लाक्षागृह से निकलने के बाद व्रत किया था। आप जानते हैं कि छठ और राम राज्य का क्या संबंध है? दीपावली दुनिया भर में मनाई जाती है। क्यों? क्योंकि भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और...
19/ ...अर्द्धांगिनी सीता सहित रावण वध पश्चात अयोध्या लौटे थे। इसके 6 दिन बाद उनका राज्याभिषेक हुआ और धरती पर रामराज्य की स्थापना हुई। इस तरह से दोनों ने ही इस दिन उपवास किया था। अर्थात, छठ के दिन ही रामराज्य प्रारम्भ हुआ था। इससे शुभ मौका क्या होगा!
20/ बिहार के औरंगाबाद के देव शहर में स्थित है देव सूर्य मंदिर। इसका मुख भी पश्चिम की तरफ है -अस्ताचलगामी सूर्य की तरफ। ये भी कितना रोचक है न कि सूर्य का ये मंदिर एक चंद्रवंशी राजा ने बनवाया था - भैरवेंद्र सिंह ने। हो सकता है मंदिर उससे पहले से रहा हो, उन्होंने इसे...
21/ ...निर्माण कार्य करा के पहचान दी। ओडिशा के कोणार्क में सूर्य मंदिर है। गुजरात के मोढेरा सूर्य मंदिर और उसकी सिमिट्री आज भी दिखाई देती है, इस्लामी आक्रांताओं द्वारा उसे तबाह करने के बावजूद। मुल्तान का आदित्य मंदिर तबाह होकर भी उस युग की याद दिलाता है। आग्रह है कि...
22/ ...आप इन तीनों के बारे में पढ़ें और जानें।
23/ इतिहासकार भी मानते हैं कि सूर्य की पूजा हड़प्पा या उससे पहले से भी होती आ रही है। सूर्य का चिह्न है स्वस्तिक, जिसे दुनिया भर के कई धर्मों में पवित्र माना गया है। सिंघु घाटी सभ्यता से भी ऐसे चिह्न मिले हैं।घूमते हुए पहियों के प्रतीक मिले, जो सूर्य की पूजा की ओर...
24/ ...इशारा करते हैं। ज्ञान-विज्ञान में समृद्ध रहे माया सभ्यता के लोग भी सूर्य की पूजा करते थे। सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं में से एक सुमेरियन भी सूर्य की पूजा करते थे। दुनिया भर की प्राचीन परंपराओं को ज़िंदा रखने के लिए - सामाजिक एकता का महापर्व छठ ज़रूरी है। वेदों की...
25/ ...राह पर चलने के लिए, छठ ज़रूरी है।
26/ षष्ठी तिथि का भी बहुत महत्व है। एकादशी, त्रयोदशी और अष्टमी की तरह इस दिन भी भारत के कई क्षेत्रों में कई बड़े त्यौहार पड़ते हैं। ओडिशा व आसपास के क्षेत्रों में मई-जून में शीतला षष्ठी मनाते हैं। मानना है कि इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। तमिलनाडु में स्कन्द...
27/ ...षष्ठी मनाते हैं। इसी दिन कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था। वही दक्षिण के भगवान मुरुगन हैं। षष्ठी देवी, छठी मइया को प्रकृति का छठा अंश भी माना गया है। लेकिन, इन सबसे भी ज्यादा रोचक हैं बिहार में छठ के लोकगीत। उनके बोल अलग-अलग अर्थ लिए हैं, जिन्हें सुनना...
28/ ...अपने-आप में एक अलग अनुभव है।

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एक बात याद रखो निकम्मों, भले अबकी मोदी तुम्हें बचा ले लेकिन हर चुनाव में जंगलराज का डर काम नहीं आएगा।

धो देगा तेजस्वी किसी दिन तुम्हें।
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