1/ 23: जब से ये 'किसान आंदोलन' शुरू हुआ है, तभी से देख रहा हूँ कि कुछ लोग खुद के करदाता होने का बखान करते हुए सभी किसानों पर एक समान रूप से गालियाँ बरसा रहे हैं। कोई कह रहा है कि वो मुफ्त का थोड़े न खाता है, रुपए देकर अनाज खरीदता है। कोई कह रहा है कि उनके दिए टैक्स के...
2/ ...रुपयों से किसानों के लिए फलाँ योजनाएँ बनती हैं। कोई कह रहा है कि उसने अपने फार्म में सब्जी उगाई है तो वो भी किसान है। कोई कहीं मुंबई में बैठ कर खुद के किसान परिवार से होने की दुहाई देकर कृषि पर राय दे रहा।
3/ अरे मूर्खों, चंद खालिस्तानियों की वजह से पूरे देश के किसानों को गाली दोगे? करदाता हो तो क्या किसानों के परिवार में करदाता नहीं हैं? इस देश को सबसे ज्यादा करदाता तो किसानों ने ही दिए हैं, अपना पेट काट कर, अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर इस लायक बनाया कि वो कर दे सकें।...
4/ ...फलाँ योजना, चिलाँ योजना, ये स्कीम, वो स्कीम - बिहार के गाँवों में घूम लीजिए और देखिए कि कौन सी स्कीम से उनका क्या हो रहा है और उससे कौन लोग कमा रहे हैं। और किसानों को क्या मिल रहा है।
5/ और ये तो तुम घमंड खा रहे हो कि रुपए देकर अन्न खाते हो, ऐसी बातें कहने वाले गधों को ये तक नहीं पता कि किसान अपना अन्न सीधे बाजार में तुम्हें नहीं बेचता है। 10 रुपए किलो वो जो चीजें बेचता है न, वो तुम्हारे पास 70 रुपए में पहुँचती है तो तुम मूर्खों को लगता होगा कि ये...
6/ ...सारे किसान ही खा रहा है। हिम्मत है तो जाकर उस महाजन के आगे रोब दिखाओ, जिसके माध्यम से तुम्हारे पास ये अनाज पहुँचता है। जूते मार-मार के ठीक कर देगा। दुकान पर अजान खरीदने में जिन्हें दुकानदार तक भाव नहीं देता और 1 रुपए नहीं कम करता, वो बोल रहे कि किसान को पैसा...
7/ ...देते हैं।
8/ फिर किसानों को धौंस क्यों दिखाया जा रहा है? पंजाब के कुछ किसानों की सटक गई, उन्हें किसी ने भड़का दिया, कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियाँ इसका फायदा उठा रही, प्रदर्शन में खालिस्तानी ताकतें शामिल हो चुकी हैं और इस्लामी संगठन इस आग में घी डाल रहे हैं - ये अब सब को पता चल चुका...
9/ ...है। लेकिन, इसका अर्थ ये नहीं कि आप किसानों और कृषि को गाली देने लग जाएँ। एक ने कहा कि कृषि काफी Overhyped पेशा है। ऐसे मूर्ख को पता होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में प्राथमिकताएँ बदलती रही हैं, जॉब के लिए इंडस्ट्रीज हजारों आए-गए और सरकारें व राजा-महाराजा...
10/ ...सैकड़ों आकर गुम हो गए लेकिन भोजन की ज़रूरत ज्यों की ज्यों बनी रही।
11/ और इसी भोजन की जरूरत को मिटाने वाला पेशा है किसानी, जहाँ किसान फसल उपजाता है और फिर उसे बेच कर आए रुपयों से अगले सीजन की खेती करता है। 2008 में आई वैश्विक मंदी में हमारा देश इसीलिए भी बच गया क्योंकि यहाँ की अर्थव्यवस्था अधिकतर कृषि पर निर्भर थी। किसान इसीलिए खेती...
12/ ...करता है, क्योंकि वो खरीद कर अन्न नहीं खा सकता और अन्न उपजाने के लिए खुद के खाने लायक से ज्यादा करना पड़ेगा, ताकि अगले सीजन की खेती हो सके।
13/ फिर आते हैं वो लोग जो कहते हैं कि खेती में इतने लोग लगे हैं, इससे हमें क्या मिल रहा.. इतने बड़े Workforce का इतना छोटा आउटपुट। उन्हें समझना चाहिए कि ये लोग पहले से आत्मनिर्भर हैं और इन्होंने किसी से भीख माँग कर खेती नहीं शुरू की थी। कुछ की जमीनें थीं, तो कुछ दूसरे...
14/ ...की जमीनों पर खेती करते हैं। ये खुद की कीमत पर दूसरों के लिए रोजगार के अवसर बनाने वाले लोग हैं, न कोई सरकारी सहायता इन तक पहुँचती है, न कोई इनकी सुध लेता है।
15/ किसान गाय-बैल पालते हैं। महानगरों में बैठ कर ज्ञान देने वालों के पास इतनी जगह ही नहीं होती कि वो ऐसा कर सकें। MSP कहने-सुनने वाली बातें हैं, किसी भी किसान को इसका फायदा नहीं मिलता है। खासकर गरीब किसानों को तो नहीं ही मिलता है। जब स्टोरेज के लिए सरकार के पास जगह...
16/ ...ही नहीं है, तो भला किसान बेचे तो किसे बेचे? वो MSP की आधी रेट पर महाजनों को बेच डालता है, फिर आगे की खेती करता है। वो यहाँ से PMO नहीं जाएगा बेचने।
17/ सलाह देने को लोग देते हैं कि फलाँ तकनीक अपना लो, फलाँ योजना का लाभ उठा लो, यहाँ अनाज बेचो। लेकिन, घुटने तक कींचड़ में उतर कर हर सीजन की खेती में उतर कर जितनी मेहनत करनी होती है, उसके बारे में उन्हें अंदाज़ा नहीं होता। सलाह तो आपको भी कोई भी दे सकते है - टाटा बन...
18/ ...जाओ, अम्बानी बन जाओ, बिल गेट्स बन जाओ। खेत के डरेर पर घूमिए, तब आपको दिखेंगी समस्याएँ। हर जगह गन्ना, कपास और मक्का नहीं होता। धान-गेहूँ वाले किसान इन चीजों की बीज खरीदने के लिए भी संघर्ष करते हैं। जो दूसरों की जमीन पर खेती करते हैं, उन्हें उपज में से उन्हें भी...
19/ ...हिस्सा देना होता है।
20/ मैं जानता हूँ कि मोदी सरकार के नए कृषि कानून किसानों के व्यापक हित में हैं और इससे उन्हें फायदा होने वाला है। वैसे बिहार के किसानों पर खास फर्क न पहले पड़ा था, न अब पड़ने वाला है। कुछ को तो इससे भी दिक्कत है कि कहीं-कहीं किसानों को सब्सिडाइज्ड बिजली मिल रही है।...
21/ ...उनका रोब इस बात को लेकर है कि ये उनके पैसे से मिल रही है। वो तो दिल्ली को भी मिल रही है, जाकर उनसे माँग कर दिखाओ पैसे, जूते मारेंगे।
22/ नहीं। ये ग़लतफ़हमी है कि कि किसी के बाप के पैसे से किसानों को कुछ भी मिल रहा है। भारत की GDP का सबसे बड़ा हिस्सा स्वतंत्रता के समय कृषि ही था और अब भी 20% यही है। बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री को जब हजारों-लाखों करोड़ के Stimulus पैकेज मिलते हैं, तो किसानों को कुछ मिल भी गया तो...
23/ ...इसमें टैक्स का घमंड क्यों दिखा रहे हो? क्या किसान परिवारों में करदाता नहीं हैं? इसीलिए, इस प्रदर्शन को भला-बुरा कहा जा सकता है, लेकिन इसके बहाने पूरे किसानों को गाली देने वालों को टोकिए। सारे किसान पंजाबियों की तरह BMW पर नहीं चलते।
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1/ 14: भारत की आज़ादी के बाद कई उद्योगपतियों ने देश की GDP बढ़ाने में योगदान दिया। टाटा-बिरला पहले से ही स्थापित थे, बाद में अंबानी भी आए। लेकिन, इन सबके बीच पाकिस्तान के सियालकोट को छोड़ कर दिल्ली आया एक ऐसा व्यक्ति भी था, जिसे भरण-पोषण को ताँगा चलाने को मजबूर होना...
2/ ...पड़ा, लेकिन उसने अपनी जिजीविषा से भारत में मसालों का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया कि उसकी माँग दुनिया भर में बढ़ी। दिल्ली के करोल बाग और कीर्ति नगर में 1950 के दशक में स्थापित दुकानें 'महाशय दी हट्टी (MDH) के विस्तार का आधार बनीं।
3/ शायद उनके बारे में इसीलिए भी बात नहीं होती थी, क्योंकि वो प्रखर आर्य समाजी थे। अपने जीवन में जो भी कमाया, उसका एक बड़ा हिस्सा आर्य समाज के क्रियाकलापों में लगाने में कभी पीछे न हटे। वो हमेशा कहते थे कि पैसे के पीछे मत भागो, अपना व्यक्तित्व ऐसा बनाओ कि पैसा तुम्हारे...
1/ 23: दिल्ली में जिस तरह की अराजकता चल रही है, उससे साफ़ है कि बात मुद्दे की न होकर मुद्दे को भटकाने की है। अभी तक सरकार ने एकदम इज्जत से पंजाब के 'किसानों' के साथ व्यवहार किया है क्योंकि अगर भाजपा अपने पर आ जाती तो ये लोग हरियाणा ही न पार कर पाते। यहाँ हिन्दुओं को...
2/ ...गाली दी जा रही है, 'जय हिंद' और 'भारत माता' को छोड़ कर 'अस्सलाम वालेकुम' की पैरवी हो रही है और जब उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जा रहा है तो कह रहे हैं कि 32 संगठनों को क्यों बुलाया, 500 को बुलाओ।
3/ वामपंथियों के कुचक्र में न फँसें। वो चाहते हैं कि हम इन पंजाबियों की वजह से देश भर के किसानों को गाली दें। वो चाहते हैं कि इन हिंसक पंजाबियों की वजह से यूपी-बिहार के वो मेहनती किसान भी गाली खाएँ, जो अभी गेहूँ-सरसो और आलू-प्याज की बुआई में व्यस्त हैं। वो चाहते हैं...
1/ जब सारा देश ही वैदिक रीति-रिवाजों को भूल गया है, सूर्य षष्ठी हम बिहारियों का सबसे बड़ा महापर्व है। एक पूर्णरूपेण वैदिक त्यौहार। वैदिक देवता, प्राकृतिक ईश्वर की आराधना का #ChhathPuja. वेदों को ज़िंदा रखना है, इसीलिए छठ ज़रूरी है। कोई मूर्तिपूजा नहीं। किसी पंडित की...
2/ ...ज़रूरत नहीं। पुरुषों की ज्यादा आवश्यकता नहीं। महिलाएँ ही प्रभार में होती हैं, अधिकांश वही इस पर्व को करती हैं। महिलाओं की प्रधानता का प्रतीक है छठ। सामाजिक एकता को पुनर्जीवन देने का मौका है छठ। मूर्तिपूजा और पंडितों के बिना भी कोई बड़ी पूजा हो सकती है, इसका सबसे...
1/ 25: कहते हैं कि नेता जो अच्छा होता है, उसके किए कार्यों को जनता तक पार्टी के अन्य रणनीतिकार और नेतागण कैसे पहुँचाते हैं, ये मायने रखता है। वाजपेयी काल में तमाम ताम-झाम के बावजूद BJP ऐसा नहीं कर पाई थी। बिहार में जब भूपेंद्र यादव को प्रभारी बना कर भेजा गया था, तब...
2/ ...सभी को लगा था कि पता नहीं राजस्थान से आया ये व्यक्ति कितनी जल्दी राजनीतिक रूप से जटिल इस राज्य को समझ पाएगा। लेकिन, उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 विधानसभा चुनाव में दिखा दिया कि वो राम माधव, धर्मेंद्र प्रधान और कैलाश विजयवर्गीय के साथ BJP के रणनीतिकारों की...
1/ 15: कुछ महीनों पहले मैं जब भी कोरोना की बातें करता था तो मेरे डिजाइनर दोस्त तुरंत केरल की बातें करने लगते थे। कुछ भी बोलो तो 'केरला मॉडल'। मोदी ने इतने करोड़ लोगों को अनाज दिया तो 'केरला मॉडल'.. अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले लॉकडाउन सही समय पर सही सख्ती के साथ...
2/ ...लगाया तो 'केरला मॉडल'। जबकि मैं शुरुआत से ही कहता आ रहा था कि ये झूठा 'केरला मॉडल' कुछ है ही नहीं। कोरोना वायरस से निपटने का दुनिया के सबसे सटीक नमूनों में से एक है यूपी मॉडल। जी हाँ, मैं अभी आँकड़े देता हूँ।
3/ असल में कोई ये मानने को तैयार ही नहीं था कि यूपी मॉडल हो भी सकता है क्योंकि ये यूपी ' बीमारू राज्य' मानते हैं (जो कि ये नहीं है) और चूँकि वहाँ एक मठाधीश भगवा पहन कर शासन कर रहा है, इसीलिए वो कभी कुछ ऐसा कर ही नहीं सकता कि उसकी तारीफ हो। भाई, कुछ 'कूल' होना चाहिए,...
1/ 19: कुछ लोग ऐसे हैं जो #ArnabGoswami की गिरफ़्तारी का जश्न मना रहे हैं। उनमें वही लोग हैं जो दिन भर बैठ कर हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देने वाला ह₹।मखोर पंकज कनौजिया पर एक FIR भी दर्ज हो जाती है तो नरेंद्र मोदी को फासिस्ट बता कर अपना रोना चालू कर देते हैं। सफूरा...
2/ ...जरगर और उमर खालिद जैसे दंगाइयों के लिए आँसू बहाने वाले आज अर्णब गोस्वामी के लिए ठहाके लगा रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो कुछ महीनों पहले तक शिवसेना को गाली देते नहीं थकते थे। असली फासिज्म पर ताली पीटने वाले दंगाइयों पर कार्रवाई को फासिज्म बताते हैं।
3/ जिस तरह से एक पुराने केस को खोला गया, वो भी उसी पुलिस द्वारा जिसने इसे बंद किया था - यही ये दिखाने के लिए काफी है कि 'आत्महत्या के लिए उकसाने' का मामला बनाने के लिए हड़बड़ी में सब कुछ किया गया। भाजपा और मोदी को फासिस्ट बताने वालो, तुम्हारे बाप की महाराष्ट्र सरकार...