1/ 23: दिल्ली में जिस तरह की अराजकता चल रही है, उससे साफ़ है कि बात मुद्दे की न होकर मुद्दे को भटकाने की है। अभी तक सरकार ने एकदम इज्जत से पंजाब के 'किसानों' के साथ व्यवहार किया है क्योंकि अगर भाजपा अपने पर आ जाती तो ये लोग हरियाणा ही न पार कर पाते। यहाँ हिन्दुओं को...
2/ ...गाली दी जा रही है, 'जय हिंद' और 'भारत माता' को छोड़ कर 'अस्सलाम वालेकुम' की पैरवी हो रही है और जब उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जा रहा है तो कह रहे हैं कि 32 संगठनों को क्यों बुलाया, 500 को बुलाओ।
3/ वामपंथियों के कुचक्र में न फँसें। वो चाहते हैं कि हम इन पंजाबियों की वजह से देश भर के किसानों को गाली दें। वो चाहते हैं कि इन हिंसक पंजाबियों की वजह से यूपी-बिहार के वो मेहनती किसान भी गाली खाएँ, जो अभी गेहूँ-सरसो और आलू-प्याज की बुआई में व्यस्त हैं। वो चाहते हैं...
4/ ...कि भाजपा के समर्थन में पूरे किसान वर्ग को गाली दी जाए, ताकि एक बड़े वर्ग को मोदी के खिलाफ खड़ा किया जा सके। वो चाहते हैं कि इन अमीर आंदोलनकारी 'किसानों' की वजह से बेचारा वो गरीब किसान भी गाली खाए, जिसे ये तक न पता कि MSP होता क्या है।
5/ इसीलिए, अभी ज़रूरत है उन्हें पहचानने की, जो इस उपद्रव में शामिल हैं। मेरी पहली आपत्ति तो उन्हें 'किसान' कहने पर ही है, क्योंकि मैं उन्हें किसान नहीं मानता। मैं हमेशा से कहता हूँ कि अगर यूपी-बिहार के किसानों को उतने संसाधन-सुविधा दिए गए होते तो शायद आज ये नौबत न...
6/ ...आती। खालिस्तानियों का नेटवर्क ऐसा है कि पंजाब के भोंदू गायकों से लेकर इंग्लैंड के क्रिकेटर और कनाडा का पीएम तक उनका समर्थन कर रहा है। मुझे इससे ख़ुशी है कि सरकार ने जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया, जिससे कोई भी नकारात्मक छवि बने।
7/ सरकार काफी पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ रही है। प्रदर्शनकारियों के नेता ये तक नहीं बता पा रहे हैं कि उन्हें दिक्कत किस बात से है। उस कानून के बारे में उन्हें ऐसे ही कुछ भी नहीं पता, जैसे फरहान अख्तर को CAA के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। प्रधानमंत्री ने खुद उदाहरण...
8/ ...दे-दे कर समझाया है कि कैसे इस कानून के फायदे हो रहे हैं और पुराना सिस्टम भी बना हुआ है। सरकार कैसे बार-बार उन्हें बातचीत के लिए बुला रही है और वो हिंसा पर उतारू हैं, जनता देख रही है। वो जितनी अराजकता फैलाएँगे, लोग उतना उनके खिलाफ होने और ये उपद्रव कमजोर होकर...
9/ ...स्वतः ख़त्म हो जाएगा।
10/ पुराना MSP बना हुआ है, APMC कहीं भी भंग नहीं किया गया है और राज्यों के जो अलग-अलग कृषि कानून हैं - वो भी बने रहेंगे। फिर, बवाल कैसा? किसानों को खेत से ही अपनी फसल बेचने की सुविधा दी है और जो प्रायोजक उनसे खरीददारी करता है, सारी क्षति की जिम्मेदारी भी वही लेगा। जब...
11/ ...चाहे किसान एडवांस (अगर लिया है तो) वापस देकर कॉन्ट्रैक्ट को ख़त्म कर सकता है। किसी भी प्रकार के स्थायी-अस्थायी निर्माण करने पर प्रायोजक को सजा मिलेगी। किसानों के हाथ में ज्यादा शक्तियाँ दी गई हैं।
12/ असली बात तो ये है कि 1 साल बाद ही 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं पंजाब में और जो जितना बड़ा किसान-हितैषी होने का ढोंग करेगा, उसे सत्ता मिलने का उतना ही ज्यादा चांस रहेगा। अकाली दल ने NDA से हट कर और हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देकर अपना 'बलिदान'...
13/ ...दिखाया, तो कैप्टन अमरिंदर ने हरियाणा के साथ झगड़ा मोल ले और राहुल गाँधी के साथ ट्रेक्टर-सोफा पर यात्रा कर लहरिया लूट लिया। अब AAP दिल्ली में उन्हें दाना-पानी दे रही है। ये 3 कौन पार्टियाँ हैं? जो पंजाब जीतने का सपना पाले हैं।
14/ जो संगठन शाहीन बाग़ में फ्लॉप हो गए थे, वो सब अपनी रोटी यहीं सेंक रहे हैं। जिन संगठनों का दिल्ली दंगा में हाथ था, अब उन्होंने किसानों का मुखौटा पहन लिया है। जिस योगेंद्र यादव को एक कुत्ता तक नहीं पूछता है, वो अब किसान नेता बन गया है। पंजाब के जो गायब सोने की चेन...
15/ ...पहन कर महँगी गाड़ियों को दिखा कर रुपए कमाते हैं, वो अब किसान हितैषी हो गए हैं। जिस केजरीवाल ने केंद्र के कृषि कानून को अपने राज्य में चोरी-छिपे लागू कर दिया, वो अब इसका विरोधी बन रहा है।
16/ असल में 'किसान सम्मान निधि' से लेकर कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों से ये दल इतने चिंतित हो गए हैं कि इन्हें कोई एक ऐसा मुद्दा चाहिए था, जिससे ये आग भड़का सकें। दिल्ली के 25 मस्जिद इन प्रदर्शनकारियों की आवभगत में लगे हैं। दिल्ली की गुरुद्वारा कमिटी पर अकाली...
17/ ...दल का कब्ज़ा है, उसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। दिल्ली का जल बोर्ड केजरीवाल के आदेश पर टैंकर पर टैंकर भेज रहा है। इस प्रदर्शन में सिर्फ पंजाब के ही किसान इसीलिए हैं, क्योंकि वहाँ विधानसभा चुनाव है। भाजपा को किनारे लगाने के लिए सब फिर से एक हुए हैं।
18/ सरकार कुछेक चीजें कर के इसका समाधान निकाल सकती है। इनके खिलाफ बल-प्रयोग करना गलती होगी, क्योंकि इससे एक बड़े वर्ग में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इसे भाजपा के खिलाफ हथियार के रूप में प्रयोग किया जाएगा। बातचीत के बाद भी ये ऐसे ही करते हैं तो कल को खुद इन्हें सुनने...
19/ ...वाला कोई न रहेगा। सरकार MSP से कम दाम पर खरीदने पर सज़ा का प्रावधान कर सकती है, जिससे बाकी किसानों को फायदा होगा। हाँ, गुणवत्ता का एक मानक सेट करना पड़ेगा। साथ ही अब यूपी-बिहार के मेहनती किसानों पर ज्यादा ध्यान दे, वो पंजाब नहीं जाएँगे तो वहाँ सब कुछ रुक जाएगा।
20/ समझिए, देश का किसान व्यापार नहीं करता। उनके उत्पादों का कोई दाम नहीं है। आप जो खरीदते हैं, उसका रुपया उस तक नहीं पहुँचता। वो अंग्रेजों के शोषण का शिकार रहा है, फिर आज़ादी के बाद उपेक्षा का शिकार रहा है। जैसे एक पंडित द्वारा पूजा कराने के बाद दक्षिणा देना व्यापार...
21/ ...नहीं है, ठीक उसी तरह ये व्यापार नहीं है। खाद, कीटनाशक, बीज, मशीनों का भाड़ा और मेहनत - इन सभी में वो इतना मगन रहता है कि वो दिल्ली क्या जाएगा.. दिल्ली में जो हैं, वो खालिस्तानी हैं।
22/ किसानों की समस्याओं को उठाना ठीक है, लेकिन इसके लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा को कोसने बेवकूफी है क्योंकि 50 सालों से कृषि का बेड़ा उन्हीं लोगों ने गर्क किया है, जो आज गोवा और शिमला में छुट्टियाँ मनाते हुए ट्वीट्स दाग रहे हैं। किसी भी आंदोलन की शुचिता उसके नेता को...
23/ ...लेकर होती है और यहाँ तो हर शाख पर उल्लू बैठे हुए दिख रहे हैं। ये किसानों को बदनाम करने वाले लोग हैं। ये किसानों को गाली सुनवाने वाले लोग हैं। यजुर्वेद में कहा गया है - 'अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणां पतये नमः।', इसीलिए इनके कारण सभी किसानों को गाली मत दें।
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1/ 14: भारत की आज़ादी के बाद कई उद्योगपतियों ने देश की GDP बढ़ाने में योगदान दिया। टाटा-बिरला पहले से ही स्थापित थे, बाद में अंबानी भी आए। लेकिन, इन सबके बीच पाकिस्तान के सियालकोट को छोड़ कर दिल्ली आया एक ऐसा व्यक्ति भी था, जिसे भरण-पोषण को ताँगा चलाने को मजबूर होना...
2/ ...पड़ा, लेकिन उसने अपनी जिजीविषा से भारत में मसालों का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया कि उसकी माँग दुनिया भर में बढ़ी। दिल्ली के करोल बाग और कीर्ति नगर में 1950 के दशक में स्थापित दुकानें 'महाशय दी हट्टी (MDH) के विस्तार का आधार बनीं।
3/ शायद उनके बारे में इसीलिए भी बात नहीं होती थी, क्योंकि वो प्रखर आर्य समाजी थे। अपने जीवन में जो भी कमाया, उसका एक बड़ा हिस्सा आर्य समाज के क्रियाकलापों में लगाने में कभी पीछे न हटे। वो हमेशा कहते थे कि पैसे के पीछे मत भागो, अपना व्यक्तित्व ऐसा बनाओ कि पैसा तुम्हारे...
1/ 23: जब से ये 'किसान आंदोलन' शुरू हुआ है, तभी से देख रहा हूँ कि कुछ लोग खुद के करदाता होने का बखान करते हुए सभी किसानों पर एक समान रूप से गालियाँ बरसा रहे हैं। कोई कह रहा है कि वो मुफ्त का थोड़े न खाता है, रुपए देकर अनाज खरीदता है। कोई कह रहा है कि उनके दिए टैक्स के...
2/ ...रुपयों से किसानों के लिए फलाँ योजनाएँ बनती हैं। कोई कह रहा है कि उसने अपने फार्म में सब्जी उगाई है तो वो भी किसान है। कोई कहीं मुंबई में बैठ कर खुद के किसान परिवार से होने की दुहाई देकर कृषि पर राय दे रहा।
3/ अरे मूर्खों, चंद खालिस्तानियों की वजह से पूरे देश के किसानों को गाली दोगे? करदाता हो तो क्या किसानों के परिवार में करदाता नहीं हैं? इस देश को सबसे ज्यादा करदाता तो किसानों ने ही दिए हैं, अपना पेट काट कर, अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर इस लायक बनाया कि वो कर दे सकें।...
1/ जब सारा देश ही वैदिक रीति-रिवाजों को भूल गया है, सूर्य षष्ठी हम बिहारियों का सबसे बड़ा महापर्व है। एक पूर्णरूपेण वैदिक त्यौहार। वैदिक देवता, प्राकृतिक ईश्वर की आराधना का #ChhathPuja. वेदों को ज़िंदा रखना है, इसीलिए छठ ज़रूरी है। कोई मूर्तिपूजा नहीं। किसी पंडित की...
2/ ...ज़रूरत नहीं। पुरुषों की ज्यादा आवश्यकता नहीं। महिलाएँ ही प्रभार में होती हैं, अधिकांश वही इस पर्व को करती हैं। महिलाओं की प्रधानता का प्रतीक है छठ। सामाजिक एकता को पुनर्जीवन देने का मौका है छठ। मूर्तिपूजा और पंडितों के बिना भी कोई बड़ी पूजा हो सकती है, इसका सबसे...
1/ 25: कहते हैं कि नेता जो अच्छा होता है, उसके किए कार्यों को जनता तक पार्टी के अन्य रणनीतिकार और नेतागण कैसे पहुँचाते हैं, ये मायने रखता है। वाजपेयी काल में तमाम ताम-झाम के बावजूद BJP ऐसा नहीं कर पाई थी। बिहार में जब भूपेंद्र यादव को प्रभारी बना कर भेजा गया था, तब...
2/ ...सभी को लगा था कि पता नहीं राजस्थान से आया ये व्यक्ति कितनी जल्दी राजनीतिक रूप से जटिल इस राज्य को समझ पाएगा। लेकिन, उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 विधानसभा चुनाव में दिखा दिया कि वो राम माधव, धर्मेंद्र प्रधान और कैलाश विजयवर्गीय के साथ BJP के रणनीतिकारों की...
1/ 15: कुछ महीनों पहले मैं जब भी कोरोना की बातें करता था तो मेरे डिजाइनर दोस्त तुरंत केरल की बातें करने लगते थे। कुछ भी बोलो तो 'केरला मॉडल'। मोदी ने इतने करोड़ लोगों को अनाज दिया तो 'केरला मॉडल'.. अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले लॉकडाउन सही समय पर सही सख्ती के साथ...
2/ ...लगाया तो 'केरला मॉडल'। जबकि मैं शुरुआत से ही कहता आ रहा था कि ये झूठा 'केरला मॉडल' कुछ है ही नहीं। कोरोना वायरस से निपटने का दुनिया के सबसे सटीक नमूनों में से एक है यूपी मॉडल। जी हाँ, मैं अभी आँकड़े देता हूँ।
3/ असल में कोई ये मानने को तैयार ही नहीं था कि यूपी मॉडल हो भी सकता है क्योंकि ये यूपी ' बीमारू राज्य' मानते हैं (जो कि ये नहीं है) और चूँकि वहाँ एक मठाधीश भगवा पहन कर शासन कर रहा है, इसीलिए वो कभी कुछ ऐसा कर ही नहीं सकता कि उसकी तारीफ हो। भाई, कुछ 'कूल' होना चाहिए,...
1/ 19: कुछ लोग ऐसे हैं जो #ArnabGoswami की गिरफ़्तारी का जश्न मना रहे हैं। उनमें वही लोग हैं जो दिन भर बैठ कर हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देने वाला ह₹।मखोर पंकज कनौजिया पर एक FIR भी दर्ज हो जाती है तो नरेंद्र मोदी को फासिस्ट बता कर अपना रोना चालू कर देते हैं। सफूरा...
2/ ...जरगर और उमर खालिद जैसे दंगाइयों के लिए आँसू बहाने वाले आज अर्णब गोस्वामी के लिए ठहाके लगा रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो कुछ महीनों पहले तक शिवसेना को गाली देते नहीं थकते थे। असली फासिज्म पर ताली पीटने वाले दंगाइयों पर कार्रवाई को फासिज्म बताते हैं।
3/ जिस तरह से एक पुराने केस को खोला गया, वो भी उसी पुलिस द्वारा जिसने इसे बंद किया था - यही ये दिखाने के लिए काफी है कि 'आत्महत्या के लिए उकसाने' का मामला बनाने के लिए हड़बड़ी में सब कुछ किया गया। भाजपा और मोदी को फासिस्ट बताने वालो, तुम्हारे बाप की महाराष्ट्र सरकार...