1/ 14: भारत की आज़ादी के बाद कई उद्योगपतियों ने देश की GDP बढ़ाने में योगदान दिया। टाटा-बिरला पहले से ही स्थापित थे, बाद में अंबानी भी आए। लेकिन, इन सबके बीच पाकिस्तान के सियालकोट को छोड़ कर दिल्ली आया एक ऐसा व्यक्ति भी था, जिसे भरण-पोषण को ताँगा चलाने को मजबूर होना...
2/ ...पड़ा, लेकिन उसने अपनी जिजीविषा से भारत में मसालों का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया कि उसकी माँग दुनिया भर में बढ़ी। दिल्ली के करोल बाग और कीर्ति नगर में 1950 के दशक में स्थापित दुकानें 'महाशय दी हट्टी (MDH) के विस्तार का आधार बनीं।
3/ शायद उनके बारे में इसीलिए भी बात नहीं होती थी, क्योंकि वो प्रखर आर्य समाजी थे। अपने जीवन में जो भी कमाया, उसका एक बड़ा हिस्सा आर्य समाज के क्रियाकलापों में लगाने में कभी पीछे न हटे। वो हमेशा कहते थे कि पैसे के पीछे मत भागो, अपना व्यक्तित्व ऐसा बनाओ कि पैसा तुम्हारे...
4/ ...पीछे भागे। एक उदाहरण बताता हूँ। अजमेर में ऋषि उद्यान में मेला चल रहा था, वहाँ पहुँचे महाशय धर्मपाल गुलाटी ने पूछा कि इसकी निधि में कितना धन है? उन्हें बताया गया - ₹35 करोड़। उन्होंने कहा कि इसे दोगुना कर दो और इतने ही अपनी तरफ से डाल दिए।
5/ दयानंद सरस्वती के शहर में आर्य समाज के कार्य में भला वो पीछे कैसे हट सकते थे। उनके नाम पर बनने वाले म्यूजियम के लिए रुपए दान दिए। ₹2000 करोड़ के ऑपरेटिंग इनकम तक अपनी कम्पनी को पहुँचाने वाले #MahashayDharampalGulati ₹21 करोड़ सैलरी लेते थे, लेकिन इसका 90% हिस्सा...
6/ ...चैरिटी में दान कर देते थे। बहुत बड़े गोभक्त थे। वैदिक क्रियाकर्मों से खास लगाव था, इसीलिए न जाने कितने ही याज्ञिक विद्यालयों की स्थापना की। 1959 में पहली फैक्ट्री खोली, आज इसके 61 वर्षों बाद उन्होंने अंतिम साँस ली है, 98 की उम्र में।
7/ इस उम्र में भी वो कम्पनी की बैठकें लिया करते थे। कोरोना काल मे भी विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करते थे। कोरोना संक्रमित भी हुए, फिर ठीक भी हो गए। 1933 में जब वो 5वीं कक्षा में थे, तभी उन्हें अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। अपने पिता से ₹1500 लेकर ₹650 में...
8/ ...ताँगा खरीदा, लेकिन ये ज्यादा दिनों तक चला नहीं। आज दुबई और लंदन में MDH के दफ्तर हैं। 100 देशों में बेचे जाते हैं। उनकी 6 बेटियों ने विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रखी है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग उनकी कम्पनी का मुख्य स्रोत था।
9/ आज इसी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध हो रहा है, जहाँ सारी चीजें किसानों के हाथ में दे दी गई है। सोचिए, जब इस एक कम्पनी से किसानों को भी फायदा हुआ और व्यापार भी आगे बढ़ा - आज खालिस्तानी इसका विरोध कर रहे.. धर्मपाल गुलाटी की सैलरी ITC, Hindustan Uniliver और गोदरेज के...
10/ ...CEOs की सैलरी से भी ज्यादा थी। उन्होंने अपने पिता चुन्नी लाल के नाम पर चैरिटी ट्रस्ट के गठन किया था। आज इसके 250 बेड वाले अस्पताल चलते हैं। झुग्गी-झोंपड़ी वालों के लिए मोबाइल अस्पताल चलते हैं। गरीबों के लिए 4 स्कूल अलग से।
11/ टीवी पर दिखने का शौक था, इसीलिए आपने कम्पनी के अधिकतर एडवर्टाइजमेंट्स में उन्हें ही देखा होगा। उन्होंने अपने निधन तक कम्पनी में 80% स्टेक रखा हुआ था, जो बहुत बड़ी बात है। कहते हैं, कभी उनके ताँगे के लिए यात्री तक नहीं मिलते थे, कुछ ने उन्हें गालियाँ भी दी थीं -...
12/ ...इसी अपमान के कारण उन्होंने उसे घोड़ों सहित बेच डाला था। आज 4 लाख रिटेल डीलरों तक उनका मसलों का साम्राज्य फैला हुआ है और उनके 60 प्रोडक्ट्स कर लिए रोजाना 30,000 टन से भी अधिक पाउडर तैयार किए जाते हैं।
13/ आज आर्य समाजी संगठनों में शोक की लहर है। वैदिक कार्यक्रमों और वैदिक क्रियाकलापों को आगे बढ़ाने वाले उद्योगपति आज के जमाने में कहाँ मिलते हैं। देश को ऐसे ही उद्योगपतियों की ज़रूरत है, जो अपनी संस्कृति और विरासत को आगे बढ़ाए। एक ताँगे से शुरू कर के ₹2000 करोड़ का...
14/ ...साम्राज्य खड़ा करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है इस दौरान अपने इतिहास को पहचान कर इस रुपए का इस्तेमाल देश की मिट्टी के लिए करना, धर्म के लिए करना। वो सिखा गए हैं कि आपकी उम्र और स्थिति जो भी हो, मौके अभी भी हैं.. आगे भी मिलेंगे..
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1/ 23: दिल्ली में जिस तरह की अराजकता चल रही है, उससे साफ़ है कि बात मुद्दे की न होकर मुद्दे को भटकाने की है। अभी तक सरकार ने एकदम इज्जत से पंजाब के 'किसानों' के साथ व्यवहार किया है क्योंकि अगर भाजपा अपने पर आ जाती तो ये लोग हरियाणा ही न पार कर पाते। यहाँ हिन्दुओं को...
2/ ...गाली दी जा रही है, 'जय हिंद' और 'भारत माता' को छोड़ कर 'अस्सलाम वालेकुम' की पैरवी हो रही है और जब उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जा रहा है तो कह रहे हैं कि 32 संगठनों को क्यों बुलाया, 500 को बुलाओ।
3/ वामपंथियों के कुचक्र में न फँसें। वो चाहते हैं कि हम इन पंजाबियों की वजह से देश भर के किसानों को गाली दें। वो चाहते हैं कि इन हिंसक पंजाबियों की वजह से यूपी-बिहार के वो मेहनती किसान भी गाली खाएँ, जो अभी गेहूँ-सरसो और आलू-प्याज की बुआई में व्यस्त हैं। वो चाहते हैं...
1/ 23: जब से ये 'किसान आंदोलन' शुरू हुआ है, तभी से देख रहा हूँ कि कुछ लोग खुद के करदाता होने का बखान करते हुए सभी किसानों पर एक समान रूप से गालियाँ बरसा रहे हैं। कोई कह रहा है कि वो मुफ्त का थोड़े न खाता है, रुपए देकर अनाज खरीदता है। कोई कह रहा है कि उनके दिए टैक्स के...
2/ ...रुपयों से किसानों के लिए फलाँ योजनाएँ बनती हैं। कोई कह रहा है कि उसने अपने फार्म में सब्जी उगाई है तो वो भी किसान है। कोई कहीं मुंबई में बैठ कर खुद के किसान परिवार से होने की दुहाई देकर कृषि पर राय दे रहा।
3/ अरे मूर्खों, चंद खालिस्तानियों की वजह से पूरे देश के किसानों को गाली दोगे? करदाता हो तो क्या किसानों के परिवार में करदाता नहीं हैं? इस देश को सबसे ज्यादा करदाता तो किसानों ने ही दिए हैं, अपना पेट काट कर, अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर इस लायक बनाया कि वो कर दे सकें।...
1/ जब सारा देश ही वैदिक रीति-रिवाजों को भूल गया है, सूर्य षष्ठी हम बिहारियों का सबसे बड़ा महापर्व है। एक पूर्णरूपेण वैदिक त्यौहार। वैदिक देवता, प्राकृतिक ईश्वर की आराधना का #ChhathPuja. वेदों को ज़िंदा रखना है, इसीलिए छठ ज़रूरी है। कोई मूर्तिपूजा नहीं। किसी पंडित की...
2/ ...ज़रूरत नहीं। पुरुषों की ज्यादा आवश्यकता नहीं। महिलाएँ ही प्रभार में होती हैं, अधिकांश वही इस पर्व को करती हैं। महिलाओं की प्रधानता का प्रतीक है छठ। सामाजिक एकता को पुनर्जीवन देने का मौका है छठ। मूर्तिपूजा और पंडितों के बिना भी कोई बड़ी पूजा हो सकती है, इसका सबसे...
1/ 25: कहते हैं कि नेता जो अच्छा होता है, उसके किए कार्यों को जनता तक पार्टी के अन्य रणनीतिकार और नेतागण कैसे पहुँचाते हैं, ये मायने रखता है। वाजपेयी काल में तमाम ताम-झाम के बावजूद BJP ऐसा नहीं कर पाई थी। बिहार में जब भूपेंद्र यादव को प्रभारी बना कर भेजा गया था, तब...
2/ ...सभी को लगा था कि पता नहीं राजस्थान से आया ये व्यक्ति कितनी जल्दी राजनीतिक रूप से जटिल इस राज्य को समझ पाएगा। लेकिन, उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 विधानसभा चुनाव में दिखा दिया कि वो राम माधव, धर्मेंद्र प्रधान और कैलाश विजयवर्गीय के साथ BJP के रणनीतिकारों की...
1/ 15: कुछ महीनों पहले मैं जब भी कोरोना की बातें करता था तो मेरे डिजाइनर दोस्त तुरंत केरल की बातें करने लगते थे। कुछ भी बोलो तो 'केरला मॉडल'। मोदी ने इतने करोड़ लोगों को अनाज दिया तो 'केरला मॉडल'.. अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले लॉकडाउन सही समय पर सही सख्ती के साथ...
2/ ...लगाया तो 'केरला मॉडल'। जबकि मैं शुरुआत से ही कहता आ रहा था कि ये झूठा 'केरला मॉडल' कुछ है ही नहीं। कोरोना वायरस से निपटने का दुनिया के सबसे सटीक नमूनों में से एक है यूपी मॉडल। जी हाँ, मैं अभी आँकड़े देता हूँ।
3/ असल में कोई ये मानने को तैयार ही नहीं था कि यूपी मॉडल हो भी सकता है क्योंकि ये यूपी ' बीमारू राज्य' मानते हैं (जो कि ये नहीं है) और चूँकि वहाँ एक मठाधीश भगवा पहन कर शासन कर रहा है, इसीलिए वो कभी कुछ ऐसा कर ही नहीं सकता कि उसकी तारीफ हो। भाई, कुछ 'कूल' होना चाहिए,...
1/ 19: कुछ लोग ऐसे हैं जो #ArnabGoswami की गिरफ़्तारी का जश्न मना रहे हैं। उनमें वही लोग हैं जो दिन भर बैठ कर हिन्दू देवी-देवताओं को गाली देने वाला ह₹।मखोर पंकज कनौजिया पर एक FIR भी दर्ज हो जाती है तो नरेंद्र मोदी को फासिस्ट बता कर अपना रोना चालू कर देते हैं। सफूरा...
2/ ...जरगर और उमर खालिद जैसे दंगाइयों के लिए आँसू बहाने वाले आज अर्णब गोस्वामी के लिए ठहाके लगा रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो कुछ महीनों पहले तक शिवसेना को गाली देते नहीं थकते थे। असली फासिज्म पर ताली पीटने वाले दंगाइयों पर कार्रवाई को फासिज्म बताते हैं।
3/ जिस तरह से एक पुराने केस को खोला गया, वो भी उसी पुलिस द्वारा जिसने इसे बंद किया था - यही ये दिखाने के लिए काफी है कि 'आत्महत्या के लिए उकसाने' का मामला बनाने के लिए हड़बड़ी में सब कुछ किया गया। भाजपा और मोदी को फासिस्ट बताने वालो, तुम्हारे बाप की महाराष्ट्र सरकार...