पिछले बजट में 10.6 % था, जो बाद में revise हो कर 11.7 % हुआ।
इस बजट में 10.1% रह गया है।
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पिछले बजट में ₹1,84,200 करोड़ थे।
आज के बजट में सिर्फ़ ₹1,15,570 करोड़ हैं।
यही नहीं, पिछले बजट के ₹75,532 करोड़ खर्च नहीं हुए (RE)
FCI ने क़र्ज़ ले कर काम चलाया, RE कम हुआ और इस तरह से fiscal deficit कम हुआ।
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पिछले revised estimate के मुक़ाबले ₹1,381 करोड़ इस बजट में कम कर दिए हैं।
इस बार ₹27227 करोड़ हैं,
पिछली बार ₹ 27043 करोड़ था
RE में ₹28608 करोड़ था।
यानि उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के लिए पैसा कम हो गया है। 3/n
ऊर्जा बजट में भी ₹1913 करोड़ की कटौती की गयी है।
इस वर्ष ₹ 42725 करोड़ है
पिछले बजट में ₹ 44638 करोड़ था
RE में ₹42458 करोड़ था
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विदेश मंत्रालय के बजट में ₹538 करोड़ की कटौती की गयी है।
इस बजट में ₹ 17347 करोड़ हैं
पिछले बजट में ₹ 17885 करोड़ थे।
RE में ₹ 17372 करोड़ थे
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स्वास्थ्यमंत्रालय के बजट में ₹2485 की वृद्धि हुई है, जो सिर्फ़ 3.8% है, यानि महंगाई दर से भी कम।
इस बजट में ₹ 67484 करोड़ हैं
पिछले बजट में ₹ 64999करोड़ थे
RE में ₹ 63830 करोड़ थे
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इस मंत्रालय के बजट में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है, क़रीब 272%.
पिछले बजट में ₹21783 करोड़ थे,
लेकिन इस बार साढ़े सेंतीस हज़ार करोड़ ज़्यादा मिले हैं, यानि ₹59349 करोड़।
जबकि पिछले साल के बजट का एक-चौथाई हिस्सा ये मंत्रालय खर्च नहीं कर सका था।सो RE था 16000 करोड़
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इसके बजट में पिछले RE मुक़ाबले मात्र 0.99 % की वृद्धि हुई है। यदि महंगाई दर जोड़ लें, तो वास्तविक रूप से इसमें कमी हुई है।
इस बार के बजट में ₹144817 करोड़ हैं।
पिछले बजट में ₹140762 करोड़ था, जो RE में 143409 करोड़ था।
क्या इसका सीधा असर MNREGA पर होगा?
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पिछले बजट के मुक़ाबले सिर्फ़ 2.1 % की वृद्धि हुई है।
लेकिन हैरानी की बात है कि पिछले बजट के 1.5 लाख करोड़ में से सिर्फ़ 1.2 लाख करोड़ ही खर्च हुए? क्यों?
इस बजट में ₹154775 करोड़ हैं।
पिछली बार ₹151518 करोड़ थे, जो RE में ₹120835 करोड़ रह गए!
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इसमें 10.9% की भारी कटौती की गयी है। पिछले बजट की तुलना में कुल ₹8687करोड़ कम किए गए हैं।
इस बजट में ₹71307 करोड़ हैं
पिछले बजट में 79996 करोड़ थे।
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शिक्षा के बजट में मात्र 4.7% बढ़ाया गया है। महंगाई दर घटा दें, तो असल बढ़ोतरी कुछ नहीं है।
इस बजट में ₹99312 करोड़ हैं
पिछले बजट में ₹ 94854 करोड़ थे।
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वित्त मंत्रालय के का बजट दुगुने से ज़्यादा कर दिया गया है। क्यों?
कुल ₹21708 करोड़ ज़्यादा मिलेंगे।
पिछली बार कुल बजट ₹20121 करोड़ था, जो इस साल ₹41829 करोड़ हो गया है।
किसलिए?
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शहरी विकास के लिए सिर्फ़ ₹2008 करोड़ की वृद्धि हुई है। जबकि केवल संसद और इंडिया गेट के इलाक़े में ही हज़ारों करोड़ इस साल खर्च होगा।
यानि बाक़ी देश में वास्तविक अर्थ में बजट कम हुआ है।
पिछली बार ₹ 48032 करोड़ था, जो इस साल ₹ 50040 करोड़ हो गया है। 13/n
1. GPD वृद्धि तय सीमा से कम रही
2. वित्तीय घाटा बहुत अधिक रहा - 3.8 %, इसके बावजूद कि कई सरकारी खर्च को उधार खातों में शिफ़्ट किया गया
3. टैक्स कलेक्शन कम हुआ
4. कुल खर्च 87000 करोड़ कम रहा
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विनिवेश से ₹1.05 लाख करोड़ आने थे, केवल 65 हज़ार करोड़ आए
अब अगले साल के खर्चे पूरे करने के लिए ₹2.1 लाख करोड़ सरकारी सम्पत्ति व संस्थान बेच कर जुटाने का लक्ष्य है
ये सब बेचना उचित है या नहीं, वो अलग बात है। पर होगा या नहीं, ये अभी ये सवाल है। 15/n
लेकिन ये पिछले बजट के अनुमान से भी कम है। पिछले बजट में टैक्स रेवेन्यू का अनुमान ₹ 24.6 लाख करोड़ था।
ये अनुमान भी ग़लत रहा। इसीलिए टैक्स रेवेन्यू का revised अनुमान सिर्फ़ 21.6 लाख करोड़ रहा। ये सामान्य नहीं है।16/n
1.55 लाख करोड़ का टार्गेट था, मिला 1.25 लाख करोड़ !
अब इस साल का लक्ष्य पिछले साल से लक्ष्य से कम रखा गया है: 1.38 लाख करोड़।
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पिछले बजट में लक्ष्य था ₹3 लाख करोड़ का।
आया सिर्फ़ ₹2.48 लाख करोड़
हालत ख़राब हैं इसलिए अगले साल उम्मीद ही कम कर ली सरकार ने।
अब सिर्फ़ ₹2.67 लाख करोड़ का टार्गेट ही सरकार ने रखा है।
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