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18 Oct, 7 tweets, 2 min read
नवदुर्गा के 9 रूप बताते हैं स्त्री का संपूर्ण जीवन -:
एक स्त्री के पूरे जीवन चक्र को मां अंबे के 9 रूपों से समझा जा सकता है,नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के माध्यम से एक स्त्री का संपूर्ण जीवन प्रतिबिंबित होता है.....जानिये कैसे -------
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या 'शैलपुत्री' स्वरूप है,

2. कौमार्य अवस्था तक 'ब्रह्मचारिणी' का रूप है,

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से
वह 'चंद्रघंटा' समान है,
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने
पर वह 'कूष्मांडा' स्वरूप में है,

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री 'स्कन्दमाता'
हो जाती है,

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री
'कात्यायनी' रूप है,
7.अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह 'कालरात्रि' है

8.संसार(कुटुंब ही उसके लिए संसार है)का उपकार करने से 'महागौरी' हो जाती है,

9.धरती छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि(सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली 'सिद्धिदात्री' हो जाती है
जय माता दी,🚩
#सनातन_संस्कृति के रक्षण में जीवन समर्पित करिये भावी पीढ़ी को #सनातन_संस्कृति से पोषित कीजिये #सनातन_संस्कृति की रक्षा ये हर भारतीय का धर्म है
जब तक हमारी #संस्कृति रहेगी ये विश्वास रखिये तब तक हम रहेगें..

यतो धर्मः ततो जयाः
जहाँ #धर्म है तहाँ विजय है

सत्य सनातन धर्म की जय 🚩

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10 Jun
संपूर्ण कष्ट निवारण

" दुर्लभ अष्टलक्ष्मी स्तोत्रं "
1) माँ आदिलक्ष्मी -:

समनस सुंदरि माधवी चंद्रसहोदरीहेममये
मुनिगणवंदित मोक्षप्रदायनि मंजुलभाषिणी वेदनुते
पंकजवासिनि देवसुपुजित सद्गगुणवर्षिणीशान्तियुते
जय जय हे मधुसूदनकामिनी आदिलक्ष्मी परिपालय माम् ||1||
2) माँ धान्यलक्ष्मी-:

अयिकलि कल्मष नाशिनिकामिनी वैदिकरूपिणी वेदमाये
क्षीरसमुद्धभव मंगलरूपिणी मंत्रनिवासिनी मंत्रनुते
मंगलदायिनी अम्बुजवासिनी देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदनकामिनी धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्
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19 May
महाराजा विक्रमादित्य और उनके दरबार के नवरत्नों की जानकारी-:

हमारे देश के देवतुल्य महाराजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्न हुआ करते थे,और प्रत्येक रत्न अपने विषय का प्रकांड विद्वान व अपने विषय मे कुशल पारंगत था,अफसोस कि हमारे पाठ्यक्रम में इस बाबत बहुत कम जानकारी दी जाती है,
राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नो।के विषय मे कम लोग जानते हैं कि आखिर ये नवरत्न थे
कौन-कौन,
राजा विक्रमादित्य के दरबार मे मौजूद नवरत्नों मे उच्च कोटि के कवि,विद्वान,गायक और गणितज्ञ शामिल थे,जिनकी योग्यता का डंका देश-विदेश में बजता था,आइये जानते हैं कौन थे,

ये हैं नवरत्न –👇
1–" धन्वन्तरि- "
नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है,इनके रचित नौ ग्रंथ पाये जाते हैं,वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं,
चिकित्सा में ये बड़े सिद्धहस्त थे आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी ‘धन्वन्तरि’ से उपमा दी जाती है,
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23 Apr
भारत के गुफा मंदिरों का रोचक व अद्भुत तथा विलक्षण संसार.…...!!!

संपूर्ण विश्व मे भारत स्थित गुफा मंदिर स्थापत्य कला,वास्तुकला व उत्कृष्टम अभियांत्रिकी के सर्वोकृष्ट व सर्वोत्तम उदाहरण है,
भारत मे चट्टानों को काटकर व तराशकर बनाई गयी गुफाओं (रॉक कट स्थापत्य) का इतिहास बहुत प्राचीन है,वैसे तो संपूर्ण विश्व मे चट्टानों को काटकर व तराशकर बनाई गुफाओं की कमी नही,
लेकिन भारत में बनी गुफाओं में जो आध्यात्मिक भाव ऐतिहासिक भाव तथा सांस्कृतिक भाव एवं स्थापत्य कलात्मकता की जो विशेषताएं है,भाव विश्व की अन्य गुफाओं में नही,ये रॉक कट गुफाएं भारतीय कलाकारों की अद्भुत कलाकारी का व ऐतिहासिक उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है,
Read 49 tweets
14 Apr
रामायण का एक सत्य जिसकी जानकारी शायद कम लोगो को हो.....
======================
केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे..

क्यों व क्या कारण था....?👇
हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है किन्तु लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी,लक्ष्मणजी की कथा के बिना श्री रामकथा पूर्ण नहीं है लंका विजय पश्चात एक बार अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध का प्रसंग छिड़ गया,
भगवान श्रीराम ने बताया कि उन्होंने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मारा,
Read 22 tweets
17 Mar
महामृत्युंजय मंत्र-: शिवजी को महाँकाल भी कहा जाता है,शिव का प्रिय मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र को शास्त्रों में महामंत्र का दर्जा प्राप्त है,इस मंत्र के प्रत्येक शब्द में असीमित ऊर्जा व प्राणवायु संचित है,अकाल मृत्यु से रक्षा व दीर्घायु हेतु उक्त मंत्र वरदान है
महामृत्युंजय मंत्र अर्थात
"ॐ त्र्यंबकम् मंत्र" के 33 अक्षर हैं
जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताओ के घोतक हैं,
उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं,
इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है
जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं साथ ही वह निरोगी व ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है,
Read 16 tweets
21 Feb
श्लोक -:
त्वमर्कस्त्वं सोमस्त्वमसि पवनस्त्वं हुतवहः।
त्वमापस्त्वं व्योम त्वमु धरणिरात्मा त्वमिति च।।
परिच्छिन्नामेवं त्वयि परिणता बिभ्रति गिरं।
न विद्मस्तत्तत्त्वं वयमिह तु यत् त्वं न भवसि।।
श्लोक भावार्थ-::
आप ही सूर्य, चन्द्र, धरती, आकाश, अग्नि, जल एवं वायु हैं।
आप ही आत्मा भी हैं। हे देव !
मुझे ऐसा कुछ भी ज्ञात नहीं जो आप न हों।
श्लोक -::

महत: परित: प्रसर्पतस्तमसो दर्शनभेदिनो भिदे।
दिननाथ इव स्वतेजसा हृदयव्योम्नि मनागुदेहि न:॥
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