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2009 से 2014 के बीच के 5 सालों में 3,038 किमी रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन हुआ, हमने 5 वर्षों में 13,687 किमी विद्युतीकरण किया: @PiyushGoyal
2013 -14 में लगभग 650 किमी विद्युतीकरण हुआ, पिछले वर्ष एक ही साल में हमने 4,087 किमी विद्युतीकरण किया

2018-19 के एक ही वर्ष में हमने 5,200 किमी विद्युतीकरण किया है : @PiyushGoyal
हारने और जीतने वालों में एक ही फर्क होता है, हारने वाले मुश्किलों की तरफ देखते हैं, और जीतने वाले मंजिलों की तरफ देखते हैं: @PiyushGoyal
पिछले 64 सालों में माल ढोना लगभग 1300% बढा है, और पैसेंजर ट्रैफिक लगभग 1,642% बढा है। इतनी मांग बढी और निवेश किया नही गया, मोदी जी की सरकार आने के बाद यह लगभग ढाई गुना बढाया गया है: @PiyushGoyal
एक चायवाला जिसने रेलगाड़ियों के सामने चाय बेचकर अपनी छोटी आयु में देश को देखा, वही समझ सकता है कि रेलवे की देश में कितनी अहम भूमिका है: @PiyushGoyal
पहले जो देश को गुमराह करने का बजट दिखाया जाता था, ट्रेन और ट्रैक चुनाव जीतने के हिसाब से बजट में अनाउंस किये जाते थे, मोदी जी ने उस विषय को समाप्त किया है। जो काम किया जा सकता वही देश के समक्ष रखा जाये: @PiyushGoyal
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को 2007 में शुरु किया, 2007 से 2014 तक 7 वर्ष में 1 किलोमीटर की भी ट्रैक लिंकिंग नही कर पाये। हमने यह काम अपने हाथ में लिया, और मात्र 5 वर्षों में 1,900 किमी का ट्रैक लिंकिंग अब तक पूरा कर चुके हैं: @PiyushGoyal
रेलवे की सुविधाओं को यदि बढाना है तो स्वाभाविक रूप से इसमे निवेश लगेगा। हम चाहते हैं कि रेलवे की क्षमता बढे, इसलिये हमने निर्णय लिया कि हम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को प्रोत्साहित करेंगे, कुछ युनिट को कॉर्पोरेटाइज करेंगे: @PiyushGoyal
वित्तमंत्री ने जो देश के सामने भविष्य का जो विस्तृत चित्र रखा है कि देश कैसे प्रगति करेगा, उसे करने के लिये हम सभी प्रतिबद्ध हैं: @PiyushGoyal
हमने एक एक विषय पर गहराई से विचार कर, बिना राजनैतिक हस्तक्षेप के, देश की भलाई, और जनता की सुविधा के लिये, किन चीजों पर निवेश देकर रेलवे अधिक अच्छी सेवा दे सके, उस पर बल दिया है: @PiyushGoyal
ICF कोचेस वर्षों से बनते आ रहे हैं, ये कोचेस हमारे आने तक चलते आ रहे थे। इन कोचेस के कारण दुर्घटना में लोगों की मृत्यु होती है। 30 साल पहले अधिक सुरक्षित LHB कोच का डिजाइन आया, हमने निर्णय लिया कि सिर्फ LHB कोच बनायें। आज देश में एक भी नया ICF कोच नही बनता: @PiyushGoyal
ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम का लाभ पूरे देश को मिले, ऐसे कामों के लिये सरकार यदि निवेश के लिये पहल करती है तो मुझे लगता था कि विपक्ष उसमें सहायता करेगी। कभी तो राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिये: @PiyushGoyal
2007-08 में मॉडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली में प्रोजेक्ट शुरु हुआ, 2014 तक वहां एक भी कोच नही बना। कपूरथला और चेन्नई से लाकर वहां पेंट किया जाता था और कहते थे कि प्रोडक्शन हो गया : @PiyushGoyal
हम चाहते हैं कि रायबरेली की फैक्ट्री 5,000 क्षमता की हो, इससे हमारे उद्योग को बल मिले, वहां से भारत के बने ट्रेन सेट और कोच पूरे विश्व में जायें: @PiyushGoyal
रेलवे को प्राइवेटाइज करने का कोई प्रश्न ही नही है। यदि कोई नई तकनीक लाता है, नया स्टेशन बनाने को तैयार हो जाता है, कोई सेमी हाई-स्पीड ट्रेन चलाना चाहता है, यह देशहित का काम है, हमें उसे आमंत्रित करना चाहिये: @PiyushGoyal
2004 से 2009 के बीच लगभग 206 दुर्घटना प्रति वर्ष होते थे। 2009 से 2011 के बीच 153 दुर्घटना प्रति वर्ष, और हमारे समय में घटकर यह 100 से भी नीचे आ गया।: @PiyushGoyal
आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय रेल का ब्रॉडगेज नेटवर्क शत प्रतिशत विद्युतीकृत हो जायेगा, जिससे हजारों करोड़ का डीजल बचेगा, विदेशी मुद्रा बचेगी, साथ ही पर्यावरण में भी इसका बड़ा प्रभाव होगा: @PiyushGoyal
वंदेभारत एक्सप्रेस की लगभग शतप्रतिशत ऑक्यूपेंसी पहले दिन से चल रही है, और यह बहुत अच्छे से लोगों की सेवा कर रही है : @PiyushGoyal
लगभग 58,400 कोचेस में बॉयो टॉयलेट लगाने थे, इसमें कुल 2,40,000 बॉयो टॉयलेट लगने हैं, हमने आज तक 2,10,000 के करीब बॉयो टॉयलेट लगा दिये हैं : @PiyushGoyal
आजादी के लगभग 67 वर्ष बाद भी समयबद्धता का पुराना सिस्टम जिसमें स्टेशन मास्टर समय लिखता था कि स्टेशन कब पहुंची और निकली, जो सही नही थी। हमने ऑटोमेटिक डाटा लॉगर लगाये, जिससे समय पालन में सुधार आया: @PiyushGoyal
पश्चिम बंगाल में सबसे पुराना प्रोजेक्ट 1974 - 75 से चल रहा है। प्रोजेक्ट पूरे नही होते क्योंकि वहां की सरकार जमीन ही नही देती। जमीन मिल जाये तो हम तुरंत काम शुरु कर दें : @PiyushGoyal
ऐसे ही एक और प्रोजेक्ट 1983-84 का है, लगभग 163 किमी का है, इसमे 76 किलोमीटर हेल्डअप है क्योंकि वहां की सरकार जमीन नही देती है, ऐसे ही एक और प्रोजेक्ट 1984-85 का है, 168 किमी का, इसमें 80 किमी का काम अटका है क्योंकि प.बंगाल की सरकार जमीन नही देती है: @PiyushGoyal
केरल में गुरुवयूर जाने के लिये जो प्रोजेक्ट है वो आज से 24 साल पहले से चल रहा है, लेकिन उसका फाइनल लोकेशन सर्वे भी नही कर पा रहे क्योंकि वहां की सरकार सहायता नही करती है: @PiyushGoyal
अंगामली से सबरीमाला प्रोजेक्ट 20 साल पहले बजट में लिया गया था, उसमें केरल सरकार ने कहा कि 50% कॉस्ट हम देंगे, अब मना करते हैं, जबकि बाकि सभी राज्य ऐसा करते हैं इसमें भी राज्य सरकार हमारी मदद नही करती: @PiyushGoyal
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