इसमें क्या होगा? क्या सिर्फ़ मुस्लिम लोगों को तकलीफ़ होगी? 1/n
सवाल है कि क्यों नहीं कर पाए? 2/n
1. 1971 की वोटर लिस्ट मेन खुद का या माँ-बाप के नाम का सबूत; या
2. 1951 में, यानि बँटवारे के बाद बने NRC में मिला माँ-बाप/ दादा दादी आदि का कोड नम्बर
3/n
1. नागरिकता सर्टिफिकेट
2. ज़मीन का रिकॉर्ड
3. किराये पर दी प्रापर्टी का रिकार्ड
4. रिफ्यूजी सर्टिफिकेट
5. पासपोर्ट
6. बैंक डाक्यूमेंट
7. LIC पॉलिसी
8. उस वक्त का स्कूल सर्टिफिकेट
4/n
5/n
अगर नहीं हैं, तो कैसे इकट्ठा करेंगे। ये ध्यान दें कि 130 करोड़ लोग एक साथ ये डाक्यूमेंट ढूँढ रहे होंगे। जिन विभागों से से ये मिल सकते हैं,वहाँ कितनी लम्बी लाइनें लगेंगी, कितनी रिश्वत चलेगी?
6/n
राष्ट्रीय NRC में भी यही होना है। 7/n
जी, ठीक सोच रहे हैं। लेकिन NRC बनने, अपील की प्रक्रिया पूरी होने तक, फिर नए क़ानून के तहत नागरिकता बहाल होने के बीच कई साल का फ़ासला होगा। 8/n
असम में छः साल लग चुके हैं, प्रक्रिया जारी है। आधार नम्बर के लिए 11 साल लग चुके हैं, जबकि उसमें ऊपर लिखे डाक्यूमेंट भी नहीं देने थे। 9/n
10/n
11/n
12/n
13/n