अघोरी आपको एक कथा सुनाता है। 50 वर्ष होने को आए, एक रेल मंत्री थे ललित नारायण मिश्र ; आज के डिजिटल विद्वान जिनका नाम नहीं जानते होंगे।
हत्या के आरोप में जो लोग पकड़े गए उन्होंने कई वर्षों बाद कहा कि बड़े लोगों ने बताया था कि आरोपी बन जाओ, बहुत पैसे मिलेंगे और बाद में बचा लिए जाओगे।
न जाने अभी तक कितने लोग बलिदान हुए हैं। ललित बाबू जैसे कद्दावर की आज कोई गिनती नहीं है, छोटे मोटे कितने होंगे।
किसी बूढ़े ने कहा था- अगले दिन इंदिरा गांधी के पाँव में आलता लगा था, सुर्ख लाल।