#मातंगी देवी #गुप्त#नवरात्रि की नौवीं महाविद्या हैं । कला संगीत, तंत्र तथा मन की देवी एकमात्र ऐसी है जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं।
विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री हैं , इनका स्वरूप मंगलकारी है ।
मातंगी देवी श्री लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं,पशु, पक्षी, जंगल, आदि प्राकृतिक तत्वों में उनका वास होता है।मुनि #मातंग की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नाम मातंगी पड़ा। देवी गहरे नीले रंग या श्याम वर्ण की हैं। अर्ध चन्द्र धारण करती हैं,उनको कमल का आसन भी प्रिय है।
रत्नमय सिंहासन पर आसीन
चतुर्भुजी देवी गुंजा के बीजों की माला धारण करती हैं।दायें हाथों में वीणा तथा मानव खोपड़ी धारण कर रखी हैं तथा बायें हाथों में खड़ग धारण करती हैं।तोते हर समय उनके साथ रहते हैं जो वाणी और वाचन के प्रतीक हैं।
उनकी सर्वप्रथम आराधना #भगवान विष्णु ने की। वह #विष्णु की आद्य शक्ति भी मानी गई हैं।
In #Hinduism the e concept of #Kuladevata and #Kuldevi is very essential & significant. . Puja of which helps in avoiding all forms of untoward incidents in life. Our #Purvaj or ancestors originated from
from any #Rishi who himself originated from any Devta.
Since Kuldevta and Kuldevi have a direct link with your DNA, they are considered more close to you as compared to other Devtas. In this way they are also your family's first line of defense against negative energies. Regular worship and hom of Kuldevta creates a shield around.
Practice of worshipping them initiated by Our forefathers. Any ceremony is incomplete without their rituals. There are Kuldevta temples where the family has been worshipping for generations .
‘Shri Kuladevatayai Namaha’. 🙏🏼🙏🏼
#Shri Ramkrishna Paramhansa, born Gadadhar Chattopadhyaya a 19th Century religious leader and reformer, who was a devotee of Maa #Kali.
He was a priest at the #Dakshineswar Kali Temple . For him, Kali was not a deity, she was a living reality.
Ramakrishna’s consciousness was so crystallized that whatever form he wished became a reality for him. Maa Kali danced in front of him, she ate from his own hands, she came when he called, and she left him dripping with ecstasy.
At the age of 23, he got married to five-year-old Saradamani , She later became his spiritual counterpart known as Sarada devi.
His teachings emphasised that the realization of the existence of God is the supreme goal of all living beings.
The Ganga Dussehra is one of the most auspicious festivals in Hinduism. Mother descended to earth to purge the cursed souls of Bhagiratha's ancestors on this day ,she has the purity of heaven. After descending on the Earth, the purity of heaven came along with her.
Devotees worship & offer prayers on this day, by taking the holy dip to attain salvation.
Ganga Dussehra falls on the tenth day of the Shukla Paksha of Jyeshta month ,the festival is celebrated a day before the Nirjala Ekadashi.
Thousands of lamps are lit in the flowing water of Ganga to mark the peace and goodness.Pitru Puja is also performed on this day .Devotees who recite the Ganga Stotra on this day, while standing in the water of Ganges, gets relieved from all the sins.
#सनातन धर्म में #विद्यारंभ संस्कार
शुभ घड़ी में #कलम-दवात और #पटरी का पूजन करने के बाद ही प्रारंभ होती थी । पाठशाला में जब बच्चा प्रवेश लेता था तब दूधिया भरी दावात और #नरकट की बनी कलम होती थी। गांव में गड़ही और जलाशय के किनारे नरकट होता था।
पका नरकट काटकर बच्चे खूबसूरत कलम गढ़ते थे। उसके उपरांत लकड़ी की काली पटरी पर सफेद दूधिया में कलम डूबो कर सुंदर लिखाई की जाती थी .
खास बात यह थी कि पांचवी कक्षा तक नरकट और कीरिच की कलम से लिखने के चलते लिखावट बेहद सुंदर होती थी।
परंतु आज प्रचलन में न कलम रही ना दवात। नरकट आज भी है पर इसका प्रयोग महज मड़ई निर्माण तक ही रह गया है। पटरी और कलम-दवात का प्रचलन बंद होने से शिक्षा भी प्रभावित है .. परम्परायें पुरानी होने के साथ धीरे-धीरे खत्म होती चली जाती है ,पर बच्चों को इसी में आनंद आता था।
#Pashupatinath mandir dedicated to Bhagwan #Shiva is one of the oldest in #Nepal.
The pagoda style temple stands tall on the banks of the river #Bagmati and has a history dating back to 400 AD. The temple complex is huge covering an area of 264 hectares.
Inside the temple complex there are 518 different structures.
The main temple is an architectural masterpiece and features cubic constructions and wooden rafters.There are four main doors wrapped in silver sheets and the roof is made from copper with gold coating.
The main idol is a stone #Mukhalingam facing four directions,
with the silver serpent.
One of the most astonishing decorations of the temple is the huge golden statue of #Nandi .the temple area also includes Deupatan, Jaya Bageshori, Gaurighat (Holy Bath), Kutumbahal, Gaushala,
#तुलसीदासजी का जन्म संवत् 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन #सरयूपारीण#ब्राह्मण के परिवार में हुआ था
जन्मते समय बालक तुलसीदास रोए नहीं, किंतु उनके मुख से #राम का शब्द निकला। उनके मुख में बत्तीसों दाँत मौजूद थे जिसे देखकर पिता अमंगल की शंका से भयभीत हो गए थे।
तुलसीदास लगभग साढ़े पाँच वर्ष अनाथ हो गए थे। ऐसी मान्यता है #माता#पार्वती ब्राह्मणी का वेश धारण कर प्रतिदिन उसके पास जातीं और उसे अपने हाथों से भोजन करा जातीं। संवत् 1561 माघ शुक्ल पंचमी श्री नरहरि ने उसका यज्ञोपवीत संस्कार कराया और उनका नाम #रामबोला रखा।
बिना सिखाए ही बालक रामबोला ने #गायत्री-मंत्र का उच्चारण किया, जिसे देखकर सब लोग चकित हो गए।
अयोध्या में ही रहकर उसे विद्याध्ययन कराने लगे।
बालक रामबोला की बुद्धि बड़ी प्रखर थी। एक बार गुरुमुख से जो सुन लेते थे, उन्हें वह कण्ठस्थ हो जाता था।