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💥 #_मैं_भारत_हूँ 🇮🇳

मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम #दुशासन नहीं रखा, क्योंकि उसने एक #स्त्री का अपमान किया था।

मैं वह भारत हूँ जो कभी अपने बच्चों को रावण या कंश नाम नहीं देता, क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में स्त्रियों के साथ
दुर्व्यवहार किया था।

मैं वह भारत हूँ जहाँ कोई गांधारी अपने सौ पुत्रों की मृत्यु के बाद भी द्रौपदी पर क्रोध नहीं करती, बल्कि अपने बेटों की असभ्यता के लिए क्षमा मांगती है।

मैं वह भारत हूँ जहाँ निन्यानवे प्रतिशत बलात्कारियों को अपना गाँव छोड़ देना पड़ता है, और उसे धक्का कोई और
नहीं, खुद उसके खानदान वाले देते हैं।

मैं वह भारत हूँ जहाँ गुस्सा आने पर सामान्य बाप बेटे को भले लात से मार दे, पर बेटी को थप्पड़ नहीं मारता!

मैं वह भारत हूँ जहाँ एक सामान्य बाप अपने समूचे जीवन की कमाई अपनी बेटी के लिए सुखी संसार रचने में खर्च कर देता है।

मैं वह भारत हूँ
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चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ!

पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने जीवन में उतारते हैं, वे स्वास्थ्य (1/24)
संबंधी कई परेशानियों से बचे रहते हैं। यहां जानिए ऐसी ही चौदह प्रमुख परंपराएं, जिनका पालन अधिकतर परिवारों में किया जाता है…

1. एक ही गोत्र में शादी नहीं करना:

कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी न हो इसके लिए एक इलाज है ‘सेपरेशन ऑफ़ जींस’, यानी (2/24)
अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नहीं करना चाहिए। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाईंडनेस आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। संभवत: पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में (3/24)
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#अत्रि_ऋषि_की_पत्नी_और_सती_अनुसूया_की_कथा से अधिकांश धर्मालु परिचित हैं। उनकी पति भक्ति की लोक प्रचलित और पौराणिक कथा है। जिसमें त्रिदेव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और बन गए नन्हे शिशु ...

पढ़ें विस्तार से ....

एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तभ तीनों
#Thread
देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने स तीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र
और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए अपने पतियों को कहा तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।

इ स विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने
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💥 #सीता_की_निंदा_करने_वाले_धोबी_के_पूर्व
जन्म_का #_वृत्तान्त :🚩🚩

मिथिला नाम की नगरी में महाराज जनक राज्य करते थे। उनका नाम था सीरध्वज। एक बार वे यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे उस समय फाल से बनी गहरी रेखा द्वारा एक कुमारी कन्या का प्रादुर्भाव हुआ। रति से भी सुंदर Image
कन्या को देख कर राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उस कन्या का नाम सीता रख दिया
परम सुंदरी सीता एक दिन सखियों के साथ उद्यान में खेल रहीं थीं। वहाँ उन्हें एक शुक पक्षी का जोड़ा दिखाई दिया,जो बड़ा मनोरम था। वे दोनों पक्षी एक पर्वत की चोटी पर बैठ कर इस प्रकार बोल रहे थे
‘पृथ्वी पर श्री राम नाम से विख्यात एक बड़े सुंदर राजा होंगे। उनकी महारानी, सीता के नाम से विख्यात होंगी। श्री राम, सीता के साथ ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य करेंगे। धन्य हैं वे जानकी देवी और धन्य हैं वे श्री राम।

तोते को ऐसी बातें करते देख सीता ने यह सोचा कि ये दोनों मेरे ही
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💥 #माँ_का_सम्मान 🙏

एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।
पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..!

माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली,
"..मुझे भी बताइये, देखती हूँ...!

इसी बीच लड़का फटाक से बोला...
"बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!"

अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लु से पोंछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।

ये बात पिता ने तुरंत सुनी ...! फिर उन्होंने लड़के के कहे
हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...!

जब तू गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर
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#कौन_हैं_छठ_माता_और_क्यों_की_जाती_है_इनकी_पूजा 🚩

क्या आप जानते हैं कि छठ माता कौन हैं और इनकी सूर्य के साथ पूजा क्यों की जाती है. सूर्य से इनका क्या संबंध है. छठ पूजा क्यों मनाई जाती है...

छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है. कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के
#Thread
6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है.

यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती. इस व्रत को करने के नियम इतने कठ‍िन हैं, इस वजह से इसे महापर्व अौर महाव्रत के नाम से संबाेध‍ित
किया जाता है.

🌞 #कौन_हैं_छठी_मइया ??

मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी
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💥 #हंस_और_काग 🚩🚩

पुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे, एक गरीब था तो दूसरा अमीर..दोनों पड़ोसी थे..,,गरीब ब्राम्हण की पत्नी ,उसे रोज़ ताने देती , झगड़ती ..।।

एक दिन ग्यारस के दिन गरीब ब्राह्मण पुत्र झगड़ों से तंग आ जंगल की ओर चल पड़ता है ,
#Thread Image
ये सोच कर , कि जंगल में शेर या कोई मांसाहारी जीव उसे मार कर खा जायेगा , उस जीव का पेट भर जायेगा और मरने से वो रोज की झिक झिक से मुक्त हो जायेगा..।

जंगल में जाते उसे एक गुफ़ा नज़र आती है...वो गुफ़ा की तरफ़ जाता है...। गुफ़ा में एक शेर सोया होता है और शेर की नींद में ख़लल न पड़े
इसके लिये हंस का पहरा होता है..

हंस ज़ब दूर से ब्राह्मण पुत्र को आता देखता है तो चिंता में पड़ सोचता है..ये ब्राह्मण आयेगा ,शेर जगेगा और इसे मार कर खा जायेगा... ग्यारस के दिन मुझे पाप लगेगा...इसे बचायें कैसे ??

उसे उपाय सुझता है और वो शेर के भाग्य की तारीफ़ करते कहता है..ओ
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💥 #कन्या_पूजन_से_सभी_तरह_के_वास्तु_दोष, #विघ्न, #भय #और_शत्रुओं_का_नाश_होता_है।🚩🚩

🍁 नवरात्रि में कन्या पूजन में ध्यान रखे कि कन्याओ की उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से ज्यादा भी न हो ।

🍁 शास्त्रों के अनुसार दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा गया है ।
कुमारी के पूजन से सभी तरह के दुखों और दरिद्रता का नाश होता है ।
🍁 तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति माना गया है । त्रिमूर्ति के पूजन से धन लाभ होता है ।
🍁 चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते है । कल्याणी के पूजन से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है
🍁 पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा गया है । माँ के रोहणी स्वरूप की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सभी रोग दूर होते है।

🍁 छः वर्ष की कन्या kanya को काली कहते है । माँ के इस स्वरूप की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, यश और सभी क्षेत्रों में विजय की प्राप्ति होती है ।
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💥 #जब_भगवान_ने_बनाई_स्त्री....#पढ़ें_यह_दिलचस्प_रचना 🚩

जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी।

#इसलिए_देवदूत_ने_पूछा - भगवान, आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो?

#भगवान_ने_जवाब_दिया-
#Thread
क्या तुमने इसके सारे गुणधर्म देखे हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी हैं।

यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है। यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है। यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे दिल के घाव भी भर सकती है। यह सब सिर्फ अपने दो
यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे दिल के घाव भी भर सकती है। यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है। इसमें सबसे बड़ा गुणधर्म यह है कि बीमार होने पर अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।

देवदूत चकित रह गया और आश्चर्य से पूछा कि भगवान क्या
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क्यूं कहते हैं कि " #काशी_जमीन_पर_नहीं_है, वह शिव के त्रिशूल के ऊपर है!" क्योंकि काशी एक यंत्र है एक असाधारण यंत्र!!

मानव शरीर में जैसे नाभी का स्थान है, वैसे ही पृथ्वी पर वाराणसी का स्थान है.. शिव ने साक्षात धारण कर रखा है इसे!
#Thread
@AnkitaBnsl
@Itishree001
शरीर के प्रत्येक अंग का संबंध नाभी से जुड़ा है और पृथ्वी के समस्त स्थान का संबंध भी वाराणसी से जुड़ा है।
धरती पर यह एकमात्र ऐसा यंत्र है !!

काशी की रचना सौरमंडल की तरह की गई है,
इस यंत्र का निर्माण एक ऐसे विशाल और भव्य मानव शरीर को बनाने के लिए किया गया, जिसमें भौतिकता को
अपने साथ लेकर चलने की मजबूरी न हो, और जो सारी आध्यात्मिक प्रक्रिया को अपने आप में समा ले।

आपके अपने भीतर ११४ चक्रों में से ११२ आपके भौतिक शरीर में हैं, लेकिन जब कुछ करने की बात आती है, तो केवल १०८ चक्रों का ही इस्तेमाल आप कर सकते हैं।

इसमें एक खास तरीके से मंथन हो रहा है।
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#रहस्य_उसे_कहते_हैं_जिसका_ज्ञान_किसी_को_ना_हो 🚩

🔸१. जिस शंख को बजाया जाता है उसे पूजा के स्थान पर कभी न रखें|

🔹२. जिस शंख को बजाया जाता है उससे कभी भी भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए|

🔸३. पूजा के स्थान पर कभी दो शंख न रखें|
#Thread
🔹४. पूजा के दौरान शिवलिंग को शंख से कभी नहीं छूना चाहिए|

🔸५. ध्यान रखें कि कभी भगवान शिव और सूर्य देवता को शंख से जल अर्पण न करें|

🔹६. यह कुछ रहस्य है जिनका कारण शायद ही कोई जल्दी से दे

#शंख बजाने से क्या लाभ होते हैं इस संबंध में हम थोड़ी सी चर्चा कर सकते हैं
👇

👉 हिन्दू धर्म में पूजा के समय शंख बजाने की परम्परा काफी समय से चलती आ रही है| शंख को घर के पूजा घर में रखना और बजाना बहुत शुभ माना जाता है| आइए जानते हैं पूजा में शंख बजाने और इसके इस्तेमाल से क्या फायदे होते हैं|

👉 लक्ष्मी जी सागर से उत्पन्न हुई थी| शंख की गिनती
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#विवाद_के_कुछ_पद_इस_प्रकार_हैं 🚩
🔘१. #ऋणदान :- इसमें ऋण के लेने-देने से उत्पन्न होने वाले विवाद आते है।

🔘२. #निक्षेप :- इसके अन्तर्गत अपनी वस्तु को दूसरे के पास धरोहर रखने से उत्पन्न विवाद आते हैं।

🔘३.#अस्वामी_विक्रय :- अधिकार न होते हुये दूसरे की वस्तु बेच देना।
#Thread
🔘४. #संभूय_समुत्थान :- अनेक जनों का मिलकर साँझे में व्यवसाय करना।

🔘५. #दत्तस्य_अनपाकर्म :- कोई वस्तु देकर फिर क्रोध आदि लोभ के कारण बदल जाना।

🔘६. #वेतन_अनपाकर्म (वेतन न देना):- किसी से काम लेकर उसका मेहनताना न देना।

🔘७. #संविद_का_व्यतिक्रम :- कोई व्यवस्था किसी के
साथ करके उसे पूरा न करना।

🔘८. #क्रय_विक्रय_का_अनुशय :- किसी वस्तु के खरीदने या बेचने के बाद में असंतोष होना।

🔘९. #स्वामी_और_पशुपालन_का_विवाद :- चरवाहे की असावधानता से जानवरों की मृत्यु आदि के सम्बन्ध में।

🔘१०. #क्षेत्रजविवाद (ग्राम आदि की सीमा का विवाद) - मकान आदि की
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#मंदिर_बनने_से_रोजगार_कैसे_मिलता_है 🚩
थोड़ा रिसर्च कर लो तो पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर के रेवेन्यू में सबसे बड़ा हाथ वैष्णो देवी मंदिर का होता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही हैं।

#Thread
@AnkitaBnsl
फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैं वही देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों के आने से उस क्षेत्र के सभी हजारों छोटे-बड़े दुकानों की अच्छी बिक्री होती हैं, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की जीविका
बढ़ती है और रोजगार का सृजन होता है। साथ ही सरकार का भी रेवेन्यु बढ़ता है।

मंदिर सिर्फ रोज़गार हीं नहीं देते अपितु आम लोगों की सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाते हैं, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।

आइए बताते हैं कि भारत
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#अकबर ने एक ब्राह्मण को दयनीय हालत में जब भिक्षाटन करते देखा तो बीरबल की ओर व्यंग्य कसकर बोला
बीरबल ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण जिन्हें ब्रह्म देवता के रुप में जाना जाता है.. ये तो भिखारी हैं
बीरबल ने उस समय तो कुछ नहीं कहा, लेकिन जब अकबर महल में चला गया तो
#Thread
@Vedic_Woman
बीरबल वापिस आया और ब्राह्मण से पूछा कि वह भिक्षाटन क्यों करता है ?

ब्राह्मण ने कहा - मेरे पास धन, आभूषण, भूमि कुछ नहीं है और मैं ज्यादा शिक्षित भी नहीं हूँ । इसलिए परिवार के पोषण हेतू भिक्षाटन मेरी मजबूरी है ।

बीरबल ने पूछा - 'भिक्षाटन से दिन में कितना प्राप्त हो जाता है ?
ब्राह्मण ने जवाब दिया - 'छह से आठ अशर्फियाँ ।

बीरबल ने कहा - आपको यदि कुछ काम मिले तो क्या आप भिक्षा मांगना छोड़ देंगे ?

ब्राह्मण ने पूछा - मुझे क्या करना होगा ?

बीरबल ने कहा - आपको ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रतिदिन 101 माला गायत्री मन्त्र का
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💥 #चार_युग_और_उनकी_विशेषताएं 🚩
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'युग' शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। जैसे सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग आदि ।
यहाँ हम चारों युगों का वर्णन करेंगें। युग वर्णन से तात्पर्य है कि उस युग में
#Thread
@IndiaTales7
किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊँचाई, एवं उनमें होने वाले अवतारों के बारे में विस्तार से परिचय देना। प्रत्येक युग के वर्ष प्रमाण और उनकी विस्तृत जानकारी कुछ इस तरह है -

🔸 #सत्ययुग 🚩

यह प्रथम युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है -
इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि –
17,28,000 वर्ष होती है ।

इस युग में मनुष्य की आयु – 1,00,000 वर्ष होती है ।
मनुष्य की लम्बाई – 32 फिट (लगभग) [21 हाथ]
सत्ययुग का तीर्थ – पुष्कर है ।

इस युग में पाप की मात्र – 0 विश्वा अर्थात् (0%) होती है ।
इस युग में पुण्य की मात्रा – 20 विश्वा अर्थात् (100%) होती है ।
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