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अधिक मास को अगले मास का नाम दिया जाता है, उदा. आश्विन मास से पूर्व आनेकाले अधिक मास को ‘आश्विन अधिक मास’ कहते हैं और उसके उपरांत आनेकाले मास को ‘शुद्ध आश्विन मास’ कहा जाता है । अधिक मास किसी बडे पर्व की भांति होता है ।
वास्तवमें उच्च देवताओंकी रुचि-अरुचि नहीं होती । विशिष्ट वस्तु अर्पण करनेके पीछे अध्यात्मशास्त्रीय कारण होता है । पूजाका उद्देश्य है, मूर्तिमें चैतन्य निर्माण होकर पूजकको उसका लाभ हो । यह चैतन्य निर्माण होनेके लिए विशिष्ट देवताको विशिष्ट वस्तु अर्पित की जाती है,
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(saying that the husband is only interested in his drinks and spending time with fellow officers), dressing him up in her husband’s uniform and then spanking him in a role-play (where she addresses the doctor as her husband). 👇
अब एक ईमेल लीक हुआ है, जिसे कथित तौर पर टिक-टॉक ने भारत में कार्यरत अपने सभी कर्मचारियों को भेजा है ।