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सिंदूर का पेड़ भी होता है, यह सुन आपको आश्चर्य ही होगा। लेकिन यह सत्य है, हमारे पास सब कुछ प्राकृतिक था, पर अधिक लाभ की लालसा ने हमे केमिकल युक्त बना दिया। हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला दुर्लभ #कमीला यानी सिंदूर का पौधा अब मैदानी क्षेत्रों में भी उगाया जाने लगा है।
कमीला को रोली Image
सिंदूरी, कपीळा, कमु, रैनी, सेरिया आदि नामो से जाना जाता है, वहीँ संस्कृत में इसे कम्पिल्लत और रक्तंग रेचि भी कहते हैं। जिसे देशभर की सुहागिनें अपनी मांग में भरती हैं। जो हर मंगलवार और शनिवार कलयुग के देवता राम भक्त #हनुमान को चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि वन प्रवास के दौरान मां
सीता कमीला फल के पराग को अपनी मांग में लगाती थीं
बीस से पच्चीस फीट ऊंचे इस वृक्ष में फली गुच्छ के रूप में लगती है। फली का आकार मटर की फली की तरह होता है व #शरद_ऋतु में वृक्ष फली से लद जाता है। वैसे तो यह पौधा हिमालय बेल्ट में होता है, लेकिन विशेष देख-रेख करके मैदानी क्षेत्रों में
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#हनुमान जी का कैरियर कर्नाटक में स्थित ऋष्यमूक पर्वत से शुरू होता है।वे वहीं पहली बार भगवान राम के सम्पर्क में आए और अपने स्वामी सुग्रीव को राम से मिला कर किष्किन्धा की सत्ता पलट कर सुग्रीव को राजसिंहासन पर आसीन कर दिया और थोड़े समय राजकाज में सहयोग देने के बाद स्वयं भगवान के
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शरणागत हो लिए ।आज वे राम दरबार के अभिन्न अंग है।जानकी माता के आशीर्वाद से वे सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं ।
कर्नाटक बजरंग बली की कर्मस्थली रही है वे सामान्यतः तटस्थ भाव से विचरण करते रहते हैं पर यदि उन्हें उनके बल का स्मरण दिलाते हुए कोई करुण स्वर में याद करे तो द्रवित होकर
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किसी न किसी रूप में प्रकट होकर सहायता अवश्य करते हैं ।
कर्नाटक काँग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का उल्लेख करके उनके भक्तों को उद्वेलित कर दिया है । परिणामस्वरूप भक्त गण जय बजरंग बली के नारे लगा कर हनुमान जी को सहायता के लिए विवश करने का प्रयास कर
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90 वर्षीय शिव पहलवान बताते हैं “भइया दस जिला में महन्त स्वामीनाथ जइसन लड़वैया कोई नाहीं रहल"।
का जाँघ रहल, सीना और बाँह को कटाव👌👌
पूछ मत...
तब #बनारस में एक बहुत जबर्दस्त #दंगल हुआ था।
"महन्त स्वामीनाथ बनाम राममृर्ति पहलवान" का।
राममूर्ति पहलवान तब देश के प्रमुख पहलवान थे👇
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उनसे लड़ने की हिम्मत जुटाना बहुत कठिन था। – राममूर्ति बनारस में आये और उन्होंने चुनौती दी। सारे बनारसी पहलवानों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी थी।
लेकिन बनारस की आन-बान-शान की खातिर "महन्त स्वामीनाथ" जी ने चुनौती को स्वीकारा।
पूरे बनारस में तहलका मच गया।
स्वामीनाथ जी के पिता👇
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#तुलसीराम जी ने पुत्र की #नादानी पर सिर पकड़ लिया।
कुश्ती के चौबीस घंटे पूर्व वे संकट मोचन जी में #हनुमान जी के सामने फाँसी का फन्दा गले में डालकर खड़े हो गये ....
और हनुमान जी से बोले- “अगर हार भइल तो फाँसी लगाईलेब।
तुलसी दास जी के अखाड़े के अपने जीअत न हारे देब”।.
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काही महिने पुण्यात राहण्याचा योग आला. खरंच पदरी थोडंतरी 'पुण्य' असल्याशिवाय 'पुण्यनगरीत' प्रवेश मिळत नाही. हे वाक्य म्हणजे पुणेकरांबद्दल पुढं जे काही बोलणार आहे त्याआधी त्यांना खुश करण्याचा 'असफल' प्रयत्न आहे.
असफल एवढ्यासाठीच की पुणेकरांना तुमच्या स्तुती किंवा टीकेनं फरक पडत नाही. म्हणजे शुद्ध मराठीत चाटु लोकांना पुणेकर भाव देत नाहीत. उर्वरीत महाराष्ट्रातल्या लोकांनी पुणेकरांवर  कितीही विनोद करावेत पण पुणेकरांना राग येत नाही. कारण ते बाजारातून जाणाऱ्या त्या निर्विकार हत्तीप्रमाणे आहेत
ज्याला भुंकणाऱ्या कुत्र्यांकडं  लक्ष देण्यात रस नाही. याचा अर्थ त्यांना अजिबात राग येत नाही असं नाही. कारण एकदा एका पुणेकरानं 'तुम्ही सांगली, सातारा, कोल्हापूरचे लोक! तुम्हाला जर एवढाच प्रॉब्लेम आहे पुण्याचा तर इथं नोकरीसाठी का येता?' असा चारचौघात माझा उद्धार केला होता.
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
अर्थ→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।

श्री #हनुमान जी के चरणों में मेरा बारम्बार प्रणाम है,
#हनुमान_जयंती की समस्त सनातनियों को हार्दिक बधाई।
आठ सिद्धियों का स्वामी हनुमान जी को कहा जाता है,
वे आठों सिद्धियां इस प्रकार हैं।

1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर जाता है।
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।
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#Thread
#हनुमान
बुद्धीतील जांबुवंताच्या उपदेशाची गरज..!!!
रावणाने सीतेचे हरण केले.राम अत्यंत शोकाकुल अवस्थेत लक्ष्मणासोबत सीतेच्या शोधार्थ फिरत असता महारुद्र हनुमानाची भेट झाली.पुढे सुग्रीवाची भेट झाली आणि सगळी वानरसेना सीतेला शोधायला निघाली.अंगद,जांबुवंत,नल,नील
१/
अशा वीर योध्यांसमवेत महाबली हनुमान ही निघाले. शोधात भटकत असता वानरांची सेना दक्षिण समुद्र किनारी येऊन ठेपली आणि तिथे थोर भगवद्भक्त जटायूच्या भावाची अर्थात संपातीची भेट वानरांना झाली आणि त्याने सगळी सीतेच्या हरणाची कहाणी वानरांना सांगितली.आता सीतेला रामांचा संदेश द्यायचा म्हणजे
२/
समुद्र ओलांडून लंकेत जावे लागणार. मग सगळ्यात चर्चा चालू झाली की कोण एवढा समर्थ आहे की समुद्र ओलांडून जाऊन सीतेस रामांचा संदेश पोचवू शकेल. ही चर्चा चालू असताना हनुमंतराय मात्र एका बाजूला शांत उभे होते. त्यांच्यात हाच समुद्र काय पण सप्तसमुद्र एकावेळी ओलांडून जाण्याचं सामर्थ्य
३/
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