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Releasing an exclusive document to explain how demonetization has hit Kejriwal ... Follow this thread #DeMoExposedAK 1/n
हेम प्रकाश शर्मा, कौन है हेम प्रकाश शर्मा? अगर आप हेम प्रकाश शर्मा को जान गए तो केजरीवाल ने नोटबन्दी का विरोध क्यों किया, क्यों केजरीवाल के घर मे नोटबन्दी वाले दिन सन्नाटा छा गया था और क्यों तीन दिन तक पार्टी में किसी को कोई भी रिएक्शन देने से मना कर दिया गया था। #DeMoExposedAK
वाराणसी चुनाव में केजरीवाल के नॉमिनेशन से सिर्फ एक हफ्ते पहले, आम आदमी पार्टी के खाते में 5 अप्रैल 2014 को रात 12 बजे 2 करोड़ रुपये आते हैं। ये 2 करोड़ रुपये 4 फ़र्ज़ी कंपनियो के माध्यम से भेजे गए, इन 4 फ़र्ज़ी कंपनियों में से तीन का डायरेक्टर है हेम प्रकाश शर्मा #DeMoExposedAK
जब नोटबन्दी हुई तो ED ने दिल्ली के GK में छापे मारे जहां गद्दों में, बाथरूम में और छत तक पर नोटों की गड्डियां छिपी हुई मिली। ED को वहां से कुल 13 करोड़ रुपये की करेंसी मिली। जिस कंपनी में ED ने छापा मारा नोटबन्दी के दौरान उसका डायरेक्टर भी वहीं हेम प्रकाश शर्मा। #DeMoExposedAK
यहां और भी गंभीर बात है ये कि अगर कॉर्पोरेट अफेयर्स के रिकॉर्ड में DIN नंबर से देखा जाए तो ये हेम प्रकाश शर्मा एक फ़र्ज़ी डायरेक्टर है जिससे शायद अरविंद केजरीवाल के अलावा आज तक कोई कभी मिला ही नहीं। #DeMoExposedAK
नोटबन्दी से केजरीवाल का सीधा नुकसान हुआ था, भारी नुकसान और उस नुकसान की भरपाई शायद आज तक नहीं हुई।
#DeMoExposedAK
हालात कितने खराब थे इस बात से समझा जा सकता है कि नोटबंदी से पहले हुई सूरत की रैली में केजरीवाल ने घोषणा की थी AAP गुजरात मे सारी सीटों पर चुनाव लड़ेगी पर आज 11 से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पा रही। पुरानी कहावत है खजाने के ऊपर रहने वाला चूहा ऊंचा कूदता है। #DeMoExposedAK
वाराणसी चुनाव हो या पूरे देश मे एक साथ सभी सीटों पर लोकसभा लड़ने की घोषणा करना, गुजरात मे सारी सीट पर लड़ने का एलान करना, केजरीवाल आज इनमे से कुछ नही कर सकते, उसका केवल और केवल एक कारण है -नोटबन्दी। #DeMoExposedAK
कुछ साल पहले बनी पार्टी जिसके खाते में 10 - 11 लाख रुपये हो उस पार्टी के लोग 135 विदेश यात्राएं करें, अमेरिका, कनाडा, रशिया, स्विट्जरलैंड, इटली, जर्मनी, कतर, म्यांमार, थाईलैंड, सिंगापुर, ऑस्ट्रलिया, फ़िनलैंड , यूएई। ये सब केवल काले धन और हवाला के पैसों से संभव था। #DeMoExposedAK
दुर्गेश पाठक जैसे कई लोग तो विदेशों में एक एक महीने तक रुके। नोटबंदी ने इस पर लगाम लगा दी। संजय सिंह जैसे लोग शादी अटेंड करने के नाम पर रशिया जाते और आशुतोष को साथ ले जाते। #DeMoExposedAK
नोटबन्दी ने केजरीवाल को कितना बौखला दिया इसका अंदाज़ा इस बात से लग सकता है कि 8 नवंबर 2016 की शाम को ही आदेश दे दिया गया था, पार्टी में कोई कुछ रिएक्शन नहीं करेगा। तीन दिन बाद रिएक्शन हुआ कि विरोध करो। #DeMoExposedAK
बताया गया केजरीवाल देश भर में 45 जनसभाएं करेंगे। ऐसी ऐसी जगह जनसभाओं को घोषणा को गयी कि सभी हैरान थे। नोटबन्दी का विरोध करने का जैसे किसी ने ठेका केजरीवाल को दिया दे था।
#DeMoExposedAK
मेरठ में रैली की गई और भीड़ दिल्ली से ले जाई गयी। हरियाणा में बार बार मना करने के बाद जबरदस्ती रैली करवाई गई। दिल्ली की आजादपुर मंडी में ममता बनर्जी के साथ रैली की गई। जनता का रिस्पांस नहीं मिला तब देशभर में रैली करने की योजना को रोक दिया गया। #DeMoExposedAK
नोटबन्दी के दौरान, आलम यहां तक था कि एक मीटिंग में लाइन में लगे लोगो को भड़काने के लिए कार्यकर्ताओं को लाइन में लगकर बिना टोपी पहने मोदी के खिलाफ जोर जोर से बोलने तक के निर्देश दिये गए। पर माहौल खराब नहीं हुआ। #DeMoExposedAK
विधायको के क्षेत्रों में होने वाली हर मृत्यु को नोटबन्दी से जोड़ने को कोशिश की जा रही थी। केजरीवाल जैसे किसी एक बड़ी दुर्घटना होने का इंतज़ार कर रहे थे। #DeMoExposedAK
आजादपुर से तो केजरीवाल ने यहां तक घोषणा कर दी थी कि अगर नोटबन्दी बंद नही हुई तो बगावत कर देंगे। पर जनता की ताकत के आगे सब फुस्स था। #DeMoExposedAK
एक IRS अधिकारी होने के नाते केजरीवाल को पता था कानून में कहां क्या गड़बड़ की जा सकती है और इस ज्ञान का भरपूर फायदा उठाया गया। #DeMoExposedAK
आम आदमी पार्टी शायद देश की अकेली पार्टी है जिसके हर साल के रिकॉर्ड में वेबसाइट पर पब्लिक के लिए अलग अमाउंट था, बैंक खाते में अलग, इनकम टैक्स को दी बैलेंस शीट में अलग और चुनाव आयोग को दिए विवरण में अलग। और इन सभी दस्तावेजो पर हस्ताक्षर थे स्वयं अरविंद केजरीवाल के। #DeMoExposedAK
नोटबन्दी ने केजरीवाल की कमर तोड़ दी और उनके भव्य राजनैतिक सपनों को चकनाचूर कर दिया। #DeMoExposedAK
नुकसान केवल आर्थिक ही नहीं हुआ, विशुद्ध राजनैतिक नुकसान भी हुआ। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस लड़ाई का प्रतीक केजरीवाल खुद को बनाना चाहते थे उसके लिए PM मोदी ने एक बड़ी लाइन खींच दी थी। यह झटका केजरीवाल के लिए कहीं बड़ा झटका साबित हुआ। #DeMoExposedAK
निराशा का आलम ये कि अब केजरीवाल ईमानदार दिखने की नौटंकी भी नहीं करते। एक समय जिन चिदंबरम साहब को केजरीवाल भ्रष्टतम नेताओं की सूची में रखते थे, उनसे जाकर माफी मांगना यहीं बताता है कि नोटबंदी के बाद केजरीवाल को समझ आ गया कि अब वो ईमानदारी का दिखावा भी नहीं कर सकते। #DeMoExposedAK
राजनीति में रहने के लिए अब केजरीवाल के पास केवल एक ही रास्ता रह गया, मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करना और यहीं कारण है अमानतुल्ला को कुमार विश्वास के सामने उभारा गया। #DeMoExposedAK
मुसीबत में इंसान की असलियत सामने आती है। नोटबंदी ने केजरीवाल का असली चेहरा बेनकाब कर दिया। #DemoExposedAK
8 नवंबर को केजरीवाल कांग्रेस के साथ मिलकर काला दिन मनाएंगे। उन्हें काला दिन मनाना भी चाहिए। उनके लिए 8 नवंबर वाकई में एक काला दिन था। एक दुःस्वप्न जैसा। जिसने उनके आर्थिक और राजनैतिक सारे मंसूबो पर पानी फेर दिया।
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The End.
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