हे पिंगल,पाणिनि कल्हण और अभिनवगुप्त की संतानों.
भरत,क्षेमेंद्रआनंद वर्द्धन के पुत्रों। क्या विडम्बना है कि तुम्हारे पूर्वजों ने ही समूची दुनिया को पहली बार बताया था कि क्या है संगीत ? साहित्य क्या है,क्या है,रस,भाव और अनुभाव,विभाव ?
लेकिन नहीं
और उसके आगे हम कुछ न बोल सके..
वो सजल नेत्रों से मुझे देखने लगे..
देश के राजनेताओं,बुद्धिजीवीयों,लेफ्ट,राइट और सेंटर से छले जाने का..
एक वक्त आएगा जब समूची दुनिया जानेगी कि भारत और भारत की मेधा की पहचान किसी राजनेता और किसी तथाकथित बुद्धिजीवी से नही है। भारत की पहली पहचान तो तुमसे और तुम्हारे इन्हीं पूर्वजों से है।
आज जहाँ भी हों..बार-बार प्रणाम है। 🙏
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