तो आगे क्या हुआ?? बेटे ने बताया की 100 में से 95 पैसे नहीं पहुँचते केवल 5 पैसे पहुँचते हैं।
अब इतना माल "नहीं पहुँचाने" वाले सिस्टम की आदत हो तो सत्ता के बाहर बेचैन तो होंगे ही। दुनिया भर के खर्चे हैं!!
आज के परिपेक्ष्य में राजीव गाँधी जी के इन शब्दों में कौन सा नेता बिल्कुल सही बैठता है??
घर में घुसकर मारना तो अब शुरू हुआ। 2/2
कम्युनल हारमनी की चिंता में सूख रहे हैं।
इन्होंने एक उपाय दिया था - आम जनता बस एकजुट रहे !! (ये शायद इनके शब्दों में स्पिरिट ऑफ इंडिया था)