His some couplets -- the poet in him
मुहिब्बाने वतन होंगे हजारों बेवतन पहिले।
फलेगा हिंद पीछे और भरेंगा अंदमन पहिले।
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खुशी के दौर दौरे से है यां रंजों मुहन पहिले।
बहार आती हैं पीछे और खिजां गिरदे चमन पहिले।
मिलेंगे खाक में लाखों हमारे गुलबदन पहिले।
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उन्ही के सिर रहा सेहरा, उन्ही पे ताज कुर्बा हो।
जिन्होंने फाडकर कपडे रखा सिरपर कफन पहिले।
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यही मजहब, यह फिर्का, यही हैं खानदाँ मेरा ।
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तेरी सेवामें ऐ भारत अगर सर जाये तो जाये ।
तो मैं समझू कि हैं मरना हयाते-जाविदाँ मेरा ।
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