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@meenakshisharan कश्मीर का सच
कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था। कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे। कश्मीरी पंडितो की संस्कृति 5000 साल पुरानी है और वो कश्मीर के मूल निवासी हैं। इसलिए अगर कोई कहता है कि भारत ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया है यह बिलकुल गलत है।
@meenakshisharan यहाँ का प्राचीन विस्तृत लिखित इतिहास है राजतरंगिणी, जो कल्हण द्वारा 12वीं शताब्दी ई. में लिखा गया था। तब तक यहां पूर्ण हिन्दू राज्य रहा था। यह अशोक महान के साम्राज्य का हिस्सा भी रहा। लगभग तीसरी शताब्दी में अशोक का शासन रहा था। तभी यहां बौद्ध धर्म का आगमन हुआ,
@meenakshisharan जो आगे चलकर कुषाणों के अधीन समृध्द हुआ था। उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य के अधीन छठी शताब्दी में एक बार फिर से हिन्दू धर्म की वापसी हुई। उनके बाद ललितादित्या हिन्दू शासक रहा, जिसका काल 697 ई. से 738 ई. तक था। अवन्तिवर्मन ललितादित्या का उत्तराधिकारी बना।
@meenakshisharan उसने श्रीनगर के निकट अवंतिपुर बसाया उसे ही अपनी राजधानी बनाया जो एक समृद्ध क्षेत्र रहा उसके खंडहर अवशेष आज भी शहर की कहानी कहते हैं यहां महाभारत युग के गणपतयार और खीर भवानी मन्दिर आज भी मिलते हैं। गिलगिट में पाण्डुलिपियां हैं, जो प्राचीन पाली भाषा में हैं उसमें बौद्ध लेख लिखे हैं
@meenakshisharan त्रिखा शास्त्र भी यहीं की देन है यह कश्मीर में ही उत्पन्न हुआ इसमें सहिष्णु दर्शन होते हैं। चौदहवीं शताब्दी में यहां मुस्लिम शासन आरंभ हुआ उसी काल में फारस से से सूफी इस्लाम का भी आगमन हुआ यहां पर ऋषि परम्परा, त्रिखा शास्त्र और सूफी इस्लाम का संगम मिलता है,जो कश्मीरियत का सार है
@meenakshisharan भारतीय लोकाचार की सांस्कृतिक प्रशाखा कट्टरवादिता नहीं है।
राज-वंशावली:- प्रवरसेन, गोपतृ, मेघवाहन , प्रवरसेन 2 .विक्रमादित्य-कश्मीर ,चन्द्रापीड, तारापीड , ललितादित्य, जयपीड, अवन्तिवर्मन – 855/6-883 , शंकरवर्मन राजा - 883-902, गोपालवर्मन- 902-904 , सुगन्धा- 904-906,
@meenakshisharan पार्थ राजा- 906-921 + 931-935 , चक्रवर्मन- 932-935 + 935-937, यशस्कर 939-948 , संग्रामदेव – 948-49 ,पर्वगुप्त – 949-50,क्षेमगुप्त- 950-958 , अभिमन्यु राजा – 958-972 , नन्दिगुप्त-- 972-93, त्रिभुवन – 973-75, भीमगुप्त – 975-980, दिद्दा-- 980/1--1003, संग्रामराज -1003-1028,
@meenakshisharan अनंत राजा -1028-1063, कलश राजा -1063-1089 , उत्कर्ष-1089 , हर्ष देव – 1089-1101, उच्चल, सल्हण, सुस्सल, भिक्षाचर, जयसिँह, राजदेव – 1216-1240 , सहदेव_कश्मीरी राजा – 1305-1324 और कोट रानी का 1324-1339 तक का राज्य रहा था।
@meenakshisharan मध्य काल-:14वीं शताब्दी में तुर्किस्तान से आये एक क्रूर आतंकी मुस्लिम दुलुचा ने 60,000 लोगो की सेना के साथ कश्मीर में आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की। दुलुचा ने नगरों और गाँव को नष्ट कर दिया और हजारों हिन्दुओ का नरसंहार किया
@meenakshisharan हुत सारे हिन्दुओ को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया। बहुत सारे हिन्दुओ ने जो इस्लाम नहीं कबूल करना चाहते थे, उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकि भाग गए या क़त्ल कर दिए गए या इस्लाम कबूल करवा लिए गए। आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को इन अत्याचारों के कारण जबरदस्ती
@meenakshisharan मुस्लिम बनाया गया था। भारत पर मुस्लिम आक्रमण अतिक्रमण विश्व इतिहास का सबसे ज्यादा खुनी कहानी है। ज़ैनुल-आब्दीन :1420-1470 तक का राज्य रहा था। सन 1589 में यहां मुगल का राज हुआ। यह अकबर का शासन काल था। मुगल साम्राज्य के विखंडन के बाद यहां पठानों का कब्जा हुआ।
@meenakshisharan यह काल यहां का काला युग कहलाता है। फिर 1814 में पंजाब के शासकमहाराजा रणजीत सिंह द्वारा पठानों की पराजय हुई, व सिख साम्राज्य आया। आधुनिक काल :- अंग्रेजों द्वारा सिखों की पराजय 1846 में हुई, जिसका परिणाम था लाहौर संधि। अंग्रेजों द्वारा महाराजा गुलाब सिंह को गद्दी दी गई,
@meenakshisharan जो कश्मीर का स्वतंत्र शासक बना। गिलगित एजेन्सी अंग्रेज राजनैतिक एजेन्टों के अधीन क्षेत्र रहा। कश्मीर क्षेत्र से गिलगित क्षेत्र को बाहर माना जाता था। अंग्रेजों द्वारा जम्मू और कश्मीर में पुन: एजेन्ट की नियुक्ति हुई। महाराजा गुलाब सिंह के सबसे बड़े पौत्र,...
@meenakshisharan महाराजा हरि सिंह 1925 ई. में गद्दी पर बैठे, जिन्होंने 1947 ई. तक शासन किया।

भाग 2)1947 के समय कश्मीर:-1947 में ब्रिटिश संसद के "इंडियन इंडीपेनडेंस इ एक्ट" के अनुसार ब्रिटेन ने तय किया की मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को पाकिस्तान बनाया जायेगा,
@meenakshisharan 150 राजाओं ने पाकिस्तान चुना और बाकी 450 राजाओ ने भारत। केवल एक जम्मू और कश्मीर के राजा बच गए थे जो फैसला नहीं कर पा रहे थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज भेजकर कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर के राजा ने भी हिंदुस्तान में कश्मीर के विलय के लिए दस्तख़त कर दिए।
@meenakshisharan ब्रिटिशों ने यह कहा था की राजा अगर एक बार दस्तखत कर दिया तो वो बदल नहीं सकता और जनता की आम राय पूछने की जरुरत नहीं है तो जिन कानूनों के आधार पर भारत और पाकिस्तान बने थे उन नियमो के अनुसार कश्मीर पूरी तरह से भारत का अंग बन गया था। इसलिए कोई भी कहता है की कश्मीर पर भारत ने जबरदस्ती
@meenakshisharan कब्जा कर रहे है वो बिलकुल झूठ है ब्रिटिश इंडिया का विभाजन:-1947 में 560 अर्ध्द स्वतंत्र शाही राज्य अंग्रेज साम्राज्य द्वारा प्रभुता के सिध्दांत के अंतर्गत 1858 में संरक्षित किए गये केबिनेट मिशन ज्ञापन के तहत,भारत स्वतंत्रता अधिनियम,1947 द्वारा
@meenakshisharan इन राज्यों की प्रभुता की समाप्ति घोषित हुई, राज्यों के सभी अधिकार वापस लिए गए, व राज्यों का भारतीय संघ में प्रवेश किया गया। ब्रिटिश भारत के सरकारी उत्तराधिकारियों के साथ विशेष राजनैतिक प्रबंध किए गए। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान और भारत के साथ तटस्थ समझौता किया।
@meenakshisharan पाकिस्तान के साथ समझौता पर हस्ताक्षर हुए भारत के साथ समझौते पर हस्ताक्षर से पहले,पाकिस्तान ने कश्मीर की आवश्यक आपूर्ति को काट दिया जो तटस्थता समझौते का उल्लंघन था। उसने अधिमिलन हेतु दबाव का तरीका अपनाना आरंभ किया, जो भारत व कश्मीर, दोनों को ही स्वीकार्य नहीं था।
@meenakshisharan जब यह दबाव का तरीका विफल रहा,तो पठान जातियों के कश्मीर पर आक्रमण को पाकिस्तान ने उकसाया, भड़काया और समर्थन दिया। तब तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद का आग्रह किया। यह 24 अक्टूबर,1947 की बात है।
@meenakshisharan नेशनल कांफ्रेंस,जो कश्मीर सबसे बड़ा लोकप्रिय संगठन था, व अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला थे;ने भी भारत से रक्षा की अपील की हरि सिंह ने गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन को कश्मीर में संकट के बारे में लिखा, व साथ ही भारत से अधिमिलन की इच्छा प्रकट की,
@meenakshisharan इस इच्छा को माउंटबेटन द्वारा 27 अक्टूबर,1947 को स्वीकार किया गया। भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत यदि एक भारतीय राज्य प्रभुत्व को स्वींकारने के लिए तैयार है,
@meenakshisharan यदि भारत का गर्वनर जनरल इसके शासक द्वारा विलयन के कार्य के निष्पादन की सार्थकता को स्वीकार करे, तो उसका भारतीय संघ में अधिमिलन संभव था। पाकिस्तान द्वारा हरि सिंह के विलयन समझौते में प्रवेश की अधिकारिता पर कोई प्रश्न नहीं किया गया। कश्मीर का भारत में विलयन विधि सम्मत माना गया।
@meenakshisharan इसके बाद पठान हमलावरों को खदेड़ने के लिए 27 अक्टूबर, 1947 को भारत ने सेना भेजी,व कश्मीर को भारत में अधिमिलन कर यहां का अभिन्न अंग बनाया।
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