भ्रम तो नहीं, कन्फ़्यूज़न ज़रूर है। जिन सवालों के चलते है, उनका जवाब सरकार से अपेक्षित है। गृहमंत्री को इनका अधिकृत जवाब देना चाहिए ताकि तनाव ख़त्म हो।
सवाल ये हैं: 1/n
क्या सरकार ने कोई अधिकृत वक्तव्य जारी किया है कि CAA व NRC को जोड़ा नहीं जाएगा?
क्या CAA के तहत असम में नागरिकता खोने वाले 12 लाख ग़ैर-मुस्लिम लोगों की नागरिकता बहाल नहीं की जाएगी?क्या कभी पूरे देश में भी ऐसा हो सकता है?
2/n
क्या वो बिना कैबिनेट मंज़ूरी के हुआ? यदि हाँ, तो PM ने देश और राष्ट्रपति को गुमराह करने के लिए कैबिनेट सचिव पर क्या कार्यवाही की?
3/n
Citizenship Rules, 2003 के नियम 3(5) के अनुसार NPR ही NRC बनाने का पहला चरण है। क्या सरकार ने अभी तक कोई आश्वासन दिया है कि NPR 2020 से बाद में NRC नहीं बनाएगी?
अभी सरकार ने सिर्फ़ यही कहा है कि फ़िलहाल NRC का फ़ैसला नहीं हुआ है।
4/n
5. 1987 से भारत में सिर्फ़ पैदा होने से नागरिकता नहीं मिलती है।
1987 के बाद से माँ या पिता में से एक का भारतीय होना ज़रूरी है।
2003 के बाद से दोनों का ही भारतीय होना ज़रूरी है।
5/n
जिनको नहीं पता होगा तो Citizenship Rules,2003 के नियम4(4) के अनुसार उन्हें Doubtful Category में रखना होगा।
क्या सरकार ऐसा नहीं करेगी? बताये।
6/n
असल में CitiZenship Rules, 2003 में इसका प्रावधान है। लोकल रजिस्टर प्रकाशित होने पर कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर संदेह दर्ज कर सकता है।
7/n
इसकी अपील की प्रक्रिया ज़रूर है, लेकिन फ़ैसला सब-रजिस्ट्रार या तालुक़ा रेजिस्ट्रार के हाथ में है।8/n
बता दें असम में 2.5 लाख लोग पूरे काग़ज़ जमा कराने के बावजूद संदेहास्पद वर्ग में शिफ़्ट हो गए थे, क्योंकि किसी दूसरे ने आपत्ति कर दी थी
9/n
तो फिर, इस डेटा की गोपनीयता कैसे सुरक्षित की जाएगी। जबकि SC की संवैधानिक पीठ का फ़ैसला है कि आधार डेटा राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भी शेयर नहीं किया जा सकता है।
10/n
11/n