शुरू करते हैं -
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कहूटा शहर में पाक ने एक रिसर्च लेबोरेटरी की स्थापना करी जिसमे उन्होंने 1972 से 1983 तक एक गुप्त ऑपरेशन चलाया जिसका मूल ध्येय था परमाणु बम बनाना ।
अब आप ये देखिए kaau साहब ने 10 साल अपने जीवन के इस ऑपरेशन को दिए और पाकिस्तान में अपने रॉ एजेंट एक्टिव किए ताकि गुप्त खबरे आती रहे ।
थोड़े टाइम बाद सब वैज्ञानिकों के बारे के छोटी मोटी जानकारी एजेंट लोगो को पता चलनी शुरू हुई ।
अब थोड़े वक्क्त बाद एक बड़ा लीड मिला एजेंट लोगो को ।
रॉ के एजेंट्स ने इस सैलून से पाक के वैज्ञानिकों के बाल (जुल्फे) के सैंपल लिए उन बालों की टेस्टिंग करने से पता चला कि उन बालो में "पूतोनियम" है ।
पूतोनियम बालो से मिलने से एक चीज़ पक्का हो गई थी कि पाक ...
उस वक्त गांधीवादी विचारधारा के मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया ।
वही सत्य और अहिंसा वाला राग था उनका ।
उन्हें लगता था शांति हर चीज़ का पहल है ।
इस चीज़ से नाराज होकर R N kaau साहब ने अपना त्यागपत्र दे दिया,और बड़े दुख से दफ्तर से निकल गए ।
R. N kaau के बाद K. S नायर ने रॉ की कमान संभाली और इस ऑपरेशन पे आगे काम किया ।
तो नायर साहब पहुँच गए प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई साहब के पास की ऐसी ऐसी बात है पैसा दीजिए।
प्रधानमंत्री देसाई साहब का आगे का कारनामा सुर भयंकर है उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पे चलकर तब के पाक के जनरल ....
अब जिया उल हक ने खोज खोज के सारे भारतीय रॉ एजेंट जितने पाक में एक्टिव थे सब को जान से मरवा दिया ।
रॉ की दस साल की मेहनत एक झटके में खत्म ।
उसके बाद पाक ने बम बना लिया और 1998 में धमाका करके ..
अब देख लीजिए गांधीवादी विचारधारा का नुकसान इस देश मे ।
गांधीवाद ने इस देश का नुकसान ही किया है ।
कांग्रेस ने देश का नुकसान ही किया है ।
धन्यवाद ।🙏